सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और ललिता प्रसाद सुकुल का भावपूर्ण स्मरण

बसंत पंचमी पर बंगीय हिंदी परिषद का स्थापना-दिवस और निराला-सुकुल जयंती समारोह…

बसन्त का पारस…

बसन्त का पारस
पतझड़ के बाद
आनेवाला बसन्त
सुख का सन्देशा लाता है…

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला का निराला व्यक्तित्व

निराला जी जब अध्ययन कर रहे थे तो परीक्षा में एक निबंध…

‘पत्नी की फटकार’

पत्नी की फटकार सुनी जब,
तुलसी भागे छोड़ मकान l
राम चरित मानस रच डाला

‘डरना मुझको स्वीकार नहीं’

जीते जी ही डर-डर कर
है मरने की दरकार नहीं।
है मौत सामने अगर खड़ी …

‘ढाई अक्षर’ का कमाल

जन्म से लेकर मृत्यु तक
हम बंधे हैं ढाई अक्षर में
ढाई अक्षर ही वक्त में
और ढाई अक्षर ही अन्त में।
समझ न पाया कोई भी
है रहस्य क्या ढाई अक्षर में।
पढ़िए ‘ढाई अक्षर’ का कमाल …