बड़ी खबर: कौन से बैंक होंगे सरकारी से प्राइवेट, नीति आयोग ने दिए पांच नाम

नई दिल्ली 


अगले हफ्ते RBI, नीति आयोग और वित्त मंत्रालय की अहम बैठक में लग सकती है दो  नामों पर मुहर


तमाम बैंक यूनियनों के विरोध के बावजूद अब लगभग तय हो चुका है कि केंद्र सरकार दो सरकारी बैंकों का निजीकरण करने का पक्का मन बना चुकी है। इस दिशा में उसके कदम तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। ‘नई हवा’ को सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकारी बैंकों का निजीकरण करने के लिए नीति आयोग ने चार-पांच सरकारी बैंकों के नाम सुझाए हैं। इन चार-पांच बैंकों में से कौनसी बैंकों का निजीकरण होगा, यह नीति आयोग, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया और वित्त मंत्रालय के अधिकारियों की बैठक में तय किया जाएगा। यह अहम बैठक 14 अप्रेल को होगी। इस बैठक में किन्हीं दो बैंकों के निजीकरण को लेकर अंतिम मुहर लग सकती है। सूत्रों के अनुसार नीति आयोग ने जिन पांच सरकारी बैंकों के नाम सुझाए हैं उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया का नाम प्रमुख है माना जा रहा है कि इस बैठक में किसी दो के नाम तय कर लिए जाएंगे

नीति आयोग ने ये बताई वजह
सूत्रों के अनुसार नीति आयोग ने जिन
पांच सरकारी बैंकों के नाम सुझाए हैं, उन बैंकों की वित्तीय हालत, कर्ज का बोझ और कुछ अन्य पहलुओं को ध्यान में रखते हुए पूरी डिटेल रिपोर्ट तैयार की है कुछ बैंक इस समय रिजर्व बैंक के प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) के दायरे में हैं सरकार इन बैंकों में पहले पैसा डालेगी और बाद में या तो इनका निजीकरण कर दिया जाएगा या फिर मर्जर के तहत अन्य बैंकों में शामिल कर लिया जाएगाअगले सप्ताह नाम की घोषणा संभव है

कौन हैं रडार पर और कौन नहीं?
कौन-कौन सी सरकारी बैंक निजीकरण की जद में आ रही हैं, ये बातें भी अब छन-छन कर सामने आ रही हैं।  फ़िलहाल
इंडियन ओवरसीज बैंक (Indian Overseas Bank), सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India), बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra) और यूको बैंक (UCO Bank) RBI के रडार पर हैंसूत्र यह भी बताते हैं कि निजीकरण की लिस्ट में SBI के अलावा पंजाब नेशनल बैंक, यूनियन बैंक, कैनरा बैंक, इंडियन बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा नहीं हैं नीति आयोग ने यह तय कर लिया बताया कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के अलावा जिन बैंकों का पिछले कुछ समय में एकीकरण किया गया है, उन बैंकों का निजीकरण नहीं होगा। आपको बता दें कि बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने दो पब्लिक सेक्टर बैंक और एक इंश्योरेंस कंपनी के निजीकरण की घोषणा की थी।

किस बैंक को कितनी पूंजी
सूत्रों के अनुसार सरकार की तरफ से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को 4,800 करोड़ रुपए, इंडियन ओवरसीज बैंक को 4,100 करोड़ रुपए और यूको बैंक को 2,600 करोड़ रुपए की पूंजी उपलब्ध कराई जाएगी
सरकार ने पिछले दिनों सार्वजनिक क्षेत्र के चार बैंकों में 14,500 करोड़ रुपए की पूंजी डालने का ऐलान किया था इनमें से 11,500 करोड़ रुपए तीनों बैंकों को जबकि बाकी रकम 3,000 करोड़ रुपए बैंक ऑफ इंडिया (Bank of India) को उपलब्ध कराई गई है

आखिर प्राइवेट सेक्टर को किसमें है दिलचस्पी?
सरकारी बैंकों के निजीकरण की चर्चाओं के बीच आखिर प्राइवेट सेक्टर किन सरकारी बैंकों में दिलचस्पी दिखा रहे हैं, यह जानना भी दिलचस्प होगा। किन दो बैंकों का निजीकरण होगा यह तो अगले सप्ताह पता लग ही जाएगा। फिलहाल, प्राइवेट सेक्टर उन बैंकों में ज्यादा रुचि दिखा रहे हैं, जिनके पास दूसरे बिज़नेस भी हैं। प्राइवेट सेक्टर के निवेशकों के पास इन बिज़नेस को बढ़ाने का मौका मिल सकेगा। हालांकि, ग्राहकों पर कोई खास असर नहीं होगा।

बैंकों के निजीकरण का इसलिए हो रहा है विरोध
बैंक यूनियनों का मानना है कि सरकार का बैंकों के हालात को सुधारने के लिए बैंकों का निजीकरण करने का निर्णय ठीक नहीं है
सरकार आत्मनिर्भर भारत की बात करती है लेकिन बैंकों के निजीकरण से सरकार के इस सपने को पूरा होने में निजी बैंकों का उतना योगदान नहीं होगा, जितना सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का होगा बैंकों के राष्ट्रीकरण में भी प्रमुख कारण निजी बैंकों का देश की प्रगति में योगदान न करना थाराष्ट्रीयकरण से पहले 700 से अधिक बैंक डूबे थे समय-समय पर बड़े-बड़े निजी बैंकों की हालत खराब होने की स्तिथि में सरकार द्वारा ही इन बैंकों को बचाया जा सका बैंकों के निजीकरण (Banks Privatisation) करने से निजी बैंक अपने घराने के उद्योगों के लिए पब्लिक के पैसे का इस्तेमाल करेंगे रोजगार के साधनों में भी कमी आएगी और आरक्षण की सुविधा भी बंद हो जाएगी ग्राहकों को भी ज्यादा सर्विस चार्ज और लोन पर ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ेगा इसलिए बेहतर होगा सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के इन बैंकों को निजी हाथों में सौंपने की जगह इनको सुदृढ़ करे और बैंकों के हालात सुधारने के लिए सभी स्टेक होल्डर से बात करके कोई दूसरा रास्ता खोजे