जयपुर
कागजों में हेराफेरी कर करीब 7 करोड़ रुपए के जीएसटी घोटाले के मामले में राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच ने भरतपुर के सीए अभिषेक सिंघल की जमानत याचिका को ख़ारिज कर दिया है। सीए अभिषेक सिंघल पिछले करीब तीन माह से सेंट्रल जेल जयपुर में बंद है। आपको बता दें इस GST घोटाले को CGST ने पकड़ा था। इसमें सीए अभिषेक सिंघल सहित उसके भाई हेमंत सिंघल और एक अन्य पंकज को आरोपी बनाया गया था। इसमें हेमंत सिंघल और पंकज को तो अलग-अलग समय पर गिरफ्तार कर लिया गया था, लेकिन अभिषेक सिंघल भागा-भागा फिर रहा था। आखिर उसको भी बाद में गिरफ्तार कर लिया गया और तभी से वह सेंट्रल जेल जयपुर में बंद है। इसके बाद अभिषेक सिंघल ने जमानत के लिए याचिका लगाई जो हाईकोर्ट की जयपुर बेंच ने खारिज कर दी है।
अदालत को जारी करना पड़ा था गिरफ्तारी वारंट
शास्त्रीपुरम सेक्टर -3 भरतपुर निवासी सीए अभिषेक सिंघल जब पकड़ में नहीं आ पा रहा था तो आर्थिक मामलों की विशेष अदालत को इसके लिए गिरफ्तारी वारंट जारी करना पड़ा था और अभिषेक को गिरफ्तार कर 12 नवंबर तक अदालत में पेश करने के लिए भरतपुर एसपी को निर्देश दिए थे। हाईकोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिली तो उसे अधीनस्थ न्यायालय में सरेंडर करना पड़ा और जयपुर स्थित आर्थिक अपराध मामलों की विशेष अदालत के आदेश पर सीए अभिषेक सिंघल को जयपुर केन्द्रीय कारागार भेज दिया गया।
अभिषेक के वकील ने ये दी थी दलील
इससे पहले जमानत अर्जी पर सुनवाई के दौरान अभिषेक के वकील ने दलील दी थी कि किसी भी फर्म के कामकाज के लिए उसका मालिक ही जिम्मेदार होता है। टैक्स चोरी की आरोपी फर्मों में उसने ना तो कोई फर्जी बिल जारी किया है। ना ही किसी दस्तावेज पर उसके हस्ताक्षर हैं। वह केवल चार्टर्ड अकाउंटेंट है। विशेष लोक अभियोजक आर.एन. यादव ने कहा कि कोर्ट से 10 बार सम्मन जारी होने पर भी अभिषेक कोर्ट में पेश नहीं हुआ है। इस पर हाईकोर्ट ने वारंट स्थगित करते हुए उसे एक महीने में कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।
ऐसे की गई सात करोड़ के टैक्स की चोरी
सीजीएसटी कमिश्नरेट ने चार फर्जी फर्मों से सात करोड़ रुपए से ज्यादा की टैक्स चोरी के आरोप में सिंघल के खिलाफ केस दर्ज किया था। जांच में पता चला कि मास्टर माइंड पंकज गर्ग ने सीए अभिषेक और उसके अकाउंटेंट भाई हेमंत की मदद से इस घपले को अंजाम दिया था। जांच में पता चला कि सीए ने 38 फर्जी फर्में बना रखी थी। इनमें दो ट्रक ड्राइवर और एक मोबाइल मैकेनिक से दस्तावेज लेकर फर्जी फर्में बनाई थी। वही इन ड्राइवरों के बैंक खाते में ट्रांजेक्शन करता था।
एक फर्जी फर्म के साथ रजिस्टर कराया गया ईमेल एड्रेस और मोबाइल नंबर सीए का ही है। छापे में सीए के ऑफिस से फर्जी बिजली बिल और किराएनामे भी बरामद हुए थे। चार फर्जी फर्मों में किसी भी वस्तु के लेने-देने का कोई व्यापार नहीं होता। इसके बावजूद 125 करोड़ रुपए के फर्जी बिल जारी कर इनपुट टैक्स क्रेडिट पास किया जाता रहा। इन फर्जी बिलों के आधार पर 7 करोड़ रुपए से ज्यादा की टैक्स चोरी की गई।



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