नई दिल्ली
देश की एक सरकारी बैंक में 207 करोड़ की हेराफेरी करने का मामला सामने आया है। केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इसे लेकर अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ FIR दर्ज कर ली है। धन के कथित दुरुपयोग का यह मामला बैंक ऑफ बड़ौदा और दिल्ली की केजरीवाल सरकार के अधीन मलिन और झुग्गी बस्तियों के लिए काम करने वाले दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) से जुड़ा हुआ है। दिल्ली सरकार के अंतर्गत आने वाले इस बोर्ड के अध्यक्ष दिल्ली के मुख्यमंत्री स्वयं है। जिसमें बैंक और इस संस्था के अधिकारी इस घोटाले में शामिल बताए जाते हैं। CBI ने इस बैंक और आश्रय सुधार बोर्ड के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ यह मामला दर्ज किया है। अनेक जगहों पर छापेमारी भी की। इस छापेमारी के दौरान बैंक के एक मैनेजर के घर से मामले से जुड़े अहम दस्तावेज बरामद हुए हैं।
सरप्राइज चेक में सामने आया घपला
207 करोड़ की यह अनियमितता तब सामने आई जब 13 अप्रेल को CBI और डीयूएसआईबी के कार्यालय पर उसके विजिलेंस विभाग के साथ मिलकर सरप्राइज चेक किया था। जांच में पता चला कि 1 सितंबर, 2020 और 31 मार्च, 2021 के बीच, फॉर्म में DUSIB के धन का उपयोग करके लगभग 214 करोड़ का निवेश किया गया था। जांच के दौरान सीबीआई अधिकारियों और विजिलेंस अधिकारियोंं को ऐसे दस्तावेज बरामद हए थे, जिनसे यह पता चलता था कि दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड द्वारा साल 2020 और 2021 के दौरान डीयूएसआईबी ने एफडीआर में निवेश करने के उद्देश्य से सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया विकास कुटीर नई दिल्ली से बैंंक ऑफ बड़ौदा पहाड़गंज शाखा को पैसेेे ट्रांसफर किए थे।
बैंक के पास नहीं मिला DUSIB का खाता
सीबीआई ने बताया कि 112 एफडीआर, जो कि बीओबी, पहाड़गंज द्वारा जारी किए गए थे, केवल ए 4 (A4) आकार के कागजात पर प्रिंटआउट हैं और सुरक्षा कागजात वहां नहीं पाए गए। सीबीआई के अनुसार, डीयूएसआईबी ने यह भी खुलासा किया कि डीयूएसआईबी केवल सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया के साथ ही अपना खाता रखता है और उसका कोई भी खाता बैंक ऑफ बड़ौदा के पास नहीं है।आरोप है कि बैंक ऑफ बड़ौदा के अज्ञात अधिकारियों के साथ मिलकर डीयूएसआईबी के अज्ञात अधिकारियों ने मिलकर आपराधिक षड्यंत्र रचा और लगभग 207 करोड़ रुपये की रकम वास्तविक एफडीआर जारी करने की जगह उक्त धनराशि एक निजी फर्म के नाम पर एक खाते में भेज दिया गया।
एफडीआर के जाली होने का संदेह
डीयूएसआईबी को जो एफडीआर दी गई वह कुल 112 थी, लेकिन जांच के दौरान पाया गया कि उनमें से मात्र 3 एफडीआर जो करीब 6 करोड़ रुपए से ज्यादा थी, वही वास्तविक एफडीआर के कागज पर प्रिंट की गई थी। बाकी की 109 एफडीआर सामान्य कागज पर मुद्रित की गई थी। अमूमन यह देखा जाता है कि एफडीआर का कागज सामान्य कागजों से थोड़ा अलग होता है। लेकिन इन एफडीआर की तरफ से जानबूझकर अज्ञात अधिकारियों द्वारा लापरवाही जताई गई और उन्हें वास्तविक एफडीआर के तौर पर ले लिया गया। इन 109 एफडीआर के जाली होने का संदेह है।
जाली/ नकली एफडीआर से संबंधित दस्तावेज बरामद
सीबीआई ने इस मामले में डीयूएसआईबी बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यालय और बैंक मैनेजर के आवास की तलाशी ली। तलाशी के दौरान बैंक प्रबंधक परिसर से जाली/नकली एफडीआर से संबंधित दस्तावेज बरामद किए गए हैं। सीबीआई को शक है कि इस मामले में दोनों सरकारी विभागों के अनेक अधिकारियों की भूमिका हो सकती है। साथ ही इस मामले में प्राइवेट फर्म की भूमिका से भी इनकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल मामले की जांच जारी है।
नहीं मिली बुनियादी नागरिक सेवाएं
दिल्ली शहरी आश्रय सुधार बोर्ड (DUSIB) दिल्ली की एनसीटी सरकार के नियंत्रण में कार्य करता है। बोर्ड DUSIB अधिनियम, 2010 के दायरे में आता है, जो इसे कुछ क्षेत्रों को मलिन बस्तियों के रूप में अधिसूचित करने का अधिकार देता है, जहां समय बीतने के साथ, इमारतें जीर्ण हो गई हैं और बुनियादी नागरिक सेवाएं गायब हैं। स्लम और जेजे विभाग, जो पहले दिल्ली नगर निगम (MCD) का हिस्सा था, 1 जुलाई 2010 को इसके निर्माण के बाद इस बोर्ड को स्थानांतरित कर दिया गया था। डीयूएसआईबी मुख्य रूप से दिल्ली में झुग्गी झोंपड़ी (JJ) के झुग्गी और निवासियों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिए जिम्मेदार है। यह मुख्यमंत्री स्वायत्त निकाय के अध्यक्ष के रूप में कार्य करता है।
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