भरतपुर
भरतपुर जिला व्यापार महासंघ का एक प्रतिनिधि मंडल जिलाध्यक्ष संजीव गुप्ता के नेतृत्व में जिला कलेक्टर से मिला। प्रतिनिधि मंडल ने 1 जून से बाजारों के खुलवाने के बारे में जिला कलेक्टर से चर्चा की और सभी ट्रेड के व्यापार की दुकानों को 1 जून से पूर्ण समयावधि खोलने की मांग को रखते हुए एक ज्ञापन भी सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में भगवानदास दास, विपुल शर्मा, प्रवीन कुमार जैन, अशोक शर्मा, सुधीर गुप्ता शामिल थे।
ज्ञापन में कहा गया कि छोटे – छोटे मध्यम वर्ग के व्यापारियों की, आर्थिक स्थिति दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। प्रदेश में जब 70% व्यापार खुला हुआ है। सिर्फ 30% व्यापारियों की दुकानों को ही बंद रखा जा रहा है। शराब, चश्मे, फल, सब्जी, अनाज, मंडी, डेयरी, किराना, तेल मिल, कारखाने, कृषि संबंधित सभी व्यापार, सभी दफ्तर, ऑन लाइन व्यापार, नरेगा योजना इत्यादि सभी चालू हैं। बंद हैं तो सिर्फ मध्यम वर्गीय कुछ ट्रेडर्स की दुकान। ज्ञापन में मांग की गई कि इन मध्यम व्यापारियों को भी व्यापार करने की अनुमति दी जाए। क्योंकि इस व्यापारी के ऊपर बैंक लोन की किस्तें, दुकान/ मकान के किराए, बंद दुकानों के बिजली के बिल, कर्मचारियों की तनख्वाह, माल खरीद की देनदारियों, रूपी अनेक तलवारें लटक रही हैं। बिना किसी राहत व मदद के मध्यम वर्गीय व्यापारी को लॉक डाउन की बेड़ियों में जकड़ दिया गया है जिससे उसकी आर्थिक स्थिति नाजुक हो चली है।
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ज्ञापन में कहा गया कि भरतपुर जिले में सरकार व स्थानीय प्रशासन के सराहनीय प्रयासों से कोरोना की दूसरी लहर के विनाश को लगभग ख़त्म कर दिया गया है। जिले में संक्रमण की दर भी 3% से भी नीचे आ गई है। अस्पतालों में भी लगभग 70 % बेड खाली पड़े हैं। स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में हैं। करोना संक्रमण फैलने की दर 5% से कम है। पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में भी सरकार द्वारा, सभी ट्रेड के व्यापारियों को पूर्ण समयावधि के साथ दुकानें खोलने की अनुमति दे दी गई है। इसलिए भरतपुर में भी अनुमति प्रदान की जाए। ज्ञापन में बताया गया कि जिले की सीमाएं उत्तर प्रदेश से लगती हैं। जिसके कारण लोकल आवागमन के साधनों द्वारा भी, वहां से लोग बिना रोकटोक के आसानी से सामान ला सकते हैं। इससे जिले के व्यापारियों को आर्थिक नुकसान तो होगा ही, साथ ही राजस्थान सरकार को टैक्स का नुकसान भी होगा।