जयपुर
राजस्थान कांग्रेस में चल रहे घमासान में पूर्व कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष नारायण सिंह भी कूद पड़े हैं। आपको बता दें कि राजस्थान में लम्बे समय से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के बीच जबरदस्त सत्ता संघर्ष चल रहा है। अब इसमें पूर्व PCC चीफ नारायण सिंह का भी साथ सचिन पायलट को मिल गया है। चौधरी नारायण सिंह ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाने में कांग्रेस के कार्यकर्ताओं-नेताओं ने खूब मेहनत की है। इसलिए कांग्रेस के कार्यकर्ताओं नेताओं को सत्ता में भागीदारी मिलनी चाहिए।
नारायण सिंह ने कहा-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने खूब मेहनत करते हुए अपना पसीना बहाया है, तब प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है। इसलिए आवश्यकता इस बात की है कि प्रदेश स्तर और जिला स्तर पर कांग्रेसजनों,कार्यकर्ताओं को सत्ता में भागीदारी दी जाए जिससे उनका मनोबल बढे। ऐसा किया जाना कांग्रेस नेतृत्व की नैतिक जिम्मेदारी है। कांग्रेस आलाकमान को पुराने और निष्ठावान कांग्रेसजनों जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में पार्टी का झण्डा बुलंद रखा उनकी सुनवाई करनी चाहिए।
गहलोत खेमे में हलचल
नारायण सिंह के ताजा बयान से गहलोत खेमे में हलचल तेज हो गई है। नारायण सिंह के बेटे वीरेंद्र सिंह दांतारामगढ़ से कांग्रेस विधायक हैं और इन दिनों उनका झुकाव सचिन पायलट की तरफ माना जा रहा है। सचिन पायलट खेमे के विधायक 10 महीने पहले हुई सुलह में तय हुए मुद्दों का समाधान करने की मांग कर रहे हैं। नारायण सिंह ने अब उसी तर्ज पर सुनवाई की पैरवी कर दी है।
नारायण सिंह ने कहा कि कांग्रेस आलाकमान को पुराने और निष्ठावान कांग्रेसियों का जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी पार्टी का झंडा बुलंद रखा है उनकी सुनवाई करनी चाहिए। आज देश में जो हालात बने हैं तथा केंद्र सरकार का जो किसान विरोधी रवैया है उसका विपरीत प्रभाव किसानों पर पड़ा है। इसलिए प्रदेश के किसानों की हर संभव मदद करने का काम भी प्रदेश सरकार को करना चाहिए।
नारायण सिंह पहले भी कर चुके हैं गहलोत की खिलाफत
बता दें कि नारायण सिंह दांतारामगढ़ सीट से पांच बार कांग्रेस के विधायक रहे हैं। साथ ही वो राजस्थान सरकार में पूर्व मंत्री भी रहे हैं। जब वे 2003 में पीसीसी चीफ थे तब भी पूरे कार्यकाल में मुख़्यमंत्री अशोक गहलोत से अनबन रही थी। हालांकि बाद में दोनों के बीच सुलह हो गई थी। वर्तमान में उनके बेटे वीरेन्द्र सिंह दांतारामगढ़ सीट से कांग्रेस के विधायक हैं। नारायण सिंह की प्रदेश कांग्रेस में कद्दावर नेता के रूप में पहचान है। अब पिता पुत्र का झुकाव पायलट की तरफ बताया जा रहा है। इसका असर भी पार्टी की खींचतान में पड़ेगा। मौजूदा कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा के गृह जिले से ही नारायण सिंह जैसे वरिष्ठ नेता पायलट के पक्ष में खड़े हुए तो गहलोत खेमे के लिए यह चुनौती होगी। दीपेंद्र सिंह शेखावत पहले से ही पायलट खेमे में है।
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