जयपुर
कमरों में बोर्ड लटका था, शिक्षक भी मौजूद थे… लेकिन कुर्सियों पर बच्चे नहीं थे। यही तस्वीर अब राजस्थान के 312 सरकारी स्कूलों की है — और इसी कारण सरकार ने इन्हें मर्ज करने का फ़ैसला लिया है।
प्रदेश में कम विद्यार्थियों वाले सरकारी स्कूलों पर अब गाज गिरने वाली है। शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बुधवार को प्रेस वार्ता में बताया कि राज्य सरकार अगले साल 312 स्कूलों का विलय करने जा रही है। इनमें 25 से कम विद्यार्थियों वाले 155 उच्च माध्यमिक विद्यालय और 5 या उससे कम नामांकन वाले 157 प्राथमिक विद्यालय शामिल हैं।
इन स्कूलों में पिछले दो वर्षों से नामांकन बढ़ाने के प्रयास किए गए, लेकिन संख्या में कोई खास सुधार नहीं हुआ। मंत्री दिलावर ने कहा कि ऐसे स्कूल ज्यादातर उन इलाकों में हैं, जहां पहले से कई सरकारी स्कूल संचालित हैं। इस वजह से ज्यादातर बच्चे पास के दूसरे स्कूलों में जाना पसंद करते हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि इन स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में ही मर्ज किया जाएगा, ताकि विद्यार्थियों को लंबी दूरी तय न करनी पड़े। इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा लोकेशन सर्वे चल रहा है, जो आने वाले महीनों में पूरा हो जाएगा।
Staffing Ratio पर भी बड़ा कदम
राजस्थान के 18,157 उच्च माध्यमिक विद्यालयों में अब स्टाफिंग पैटर्न लागू होगा।
जहाँ शिक्षक कम हैं, वहाँ नियुक्तियां की जाएंगी।
जहाँ जरूरत से ज्यादा शिक्षक हैं, उन्हें दूसरे स्कूलों में स्थानांतरित किया जाएगा।
इसके अलावा, हर स्कूल में एक बेसिक कंप्यूटर प्रशिक्षक की नियुक्ति का भी प्रावधान किया गया है, जो कंप्यूटर साइंस की कक्षाएँ चलाने के साथ-साथ स्कूल के डिजिटल व ऑनलाइन कार्य भी संभालेगा।
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