राजस्थान सरकार के इस फैसले से सकते में आए प्रदेश के लाखों कर्मचारी और पेंशनर्स | जानें क्या हुआ फैसला

जयपुर 

राजस्थान सरकार के एक बड़े फैसले ने प्रदेश के लाखों कर्मचारियों, पेंशनर्स और आम मरीजों की चिंता बढ़ा दी है। जिस स्वास्थ्य बीमा योजना (RGHS) पर वे इलाज का सहारा समझते थे, उसमें अब अचानक से ऐसा बदलाव हुआ है जिसने लोगों को सकते में डाल दिया।

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सरकार ने अपनी स्वास्थ्य बीमा योजना से आयुर्वेद, होम्योपैथी, यूनानी और योग जैसी आयुष चिकित्सा पद्धतियों को कवरेज से बाहर कर दिया है। यानी इनसे इलाज कराने वालों को अब पूरा खर्च अपनी जेब से उठाना होगा।

प्रदेश में 10 हज़ार से ज्यादा आयुष चिकित्सक काम कर रहे हैं और 50 से अधिक अस्पतालों में आयुष सेवाएँ उपलब्ध हैं। बीमा का कवच हटने से इन सेवाओं का उपयोग घटने का अंदेशा है। सबसे ज्यादा असर ग्रामीण और बुजुर्ग मरीजों पर पड़ेगा, जो सस्ती और सुरक्षित आयुष चिकित्सा पर निर्भर हैं।

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विशेषज्ञों का कहना है कि यह कदम आम मरीजों के लिए बड़ा झटका है। आयुर्वेद और होम्योपैथी जैसी पद्धतियाँ लंबे समय से लोगों का भरोसा जीत चुकी हैं और अब बीमा का सहारा न मिलने से इलाज का आर्थिक बोझ बढ़ जाएगा।

राजस्थान आयुर्वेद चिकित्सा अधिकारी संघ ने इस फैसले पर आपत्ति जताई है। संघ अध्यक्ष डॉ. मस्तराम महंत ने कहा कि सरकार को आयुष उपचारों को प्रोत्साहित करना चाहिए था, न कि बीमा से बाहर करना।
प्रधान चिकित्सा अधिकारी डॉ. छोटे लाल चेतीवाल ने भी चेतावनी दी कि इस कदम से आम लोगों की जेब पर अतिरिक्त बोझ पड़ेगा।

RGHS अधिकारियों का कहना है कि आयुष पैकेज और दरों में खामियां पाई गई हैं। इसी कारण सरकार ने एक कमेटी बनाई है जो 20 बीमारियों और 100 प्रक्रियाओं की समीक्षा कर रही है। अधिकारी शाइन खान ने बताया कि आयुर्वेद में सुधार की ज़रूरत है, जबकि यूनानी और होम्योपैथी में फिलहाल बड़ी शिकायतें नहीं मिलीं। कमेटी की रिपोर्ट के बाद आयुष को फिर से बीमा कवरेज में शामिल करने पर विचार किया जा सकता है।

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