जयपुर
राजस्थान (Rajasthan) के 61,944 विद्यालय सोमवार को इतिहास के पन्नों में दर्ज हो गए, जब लाखों विद्यार्थी, शिक्षक, अभिभावक और सामाजिक प्रतिनिधि एकजुट होकर ‘हमारा विद्यालय – हमारा स्वाभिमान’ कार्यक्रम का हिस्सा बने। अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) के तत्वावधान और राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के सहयोग से हुए इस अभियान ने पूरे देश को शिक्षा और संस्कृति की नई दिशा दिखाई।

आंकड़े खुद बोलते हैं—
सरकारी विद्यालयों के 72,14,612 में से 61,54,640 विद्यार्थी
निजी विद्यालयों के 82,64,790 में से 59,47,544 विद्यार्थी
सरकारी शिक्षक/शिक्षिकाएँ: 3,98,988 में से 3,78,240
निजी विद्यालयों के 2,10,000 शिक्षक
SMC/SDMC कार्यकारिणी के 84,159 सदस्य
49,444 आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और 1,05,600 अभिभावक
कुल मिलाकर इस ऐतिहासिक अभियान से 1,29,69,629 प्रतिभागी जुड़े।

राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) के महामंत्री महेंद्र कुमार लखारा ने बताया कि यह कार्यक्रम विद्यार्थियों और शिक्षकों में आत्मगौरव, नैतिकता और राष्ट्रनिर्माण की भावना जगाने वाला है। वहीं अध्यक्ष रमेश चंद पुष्करणा ने कहा कि यह पहल राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) की भावना को साकार करती है, जिसमें शिक्षा के साथ चरित्र निर्माण को भी उतना ही महत्व दिया गया है।


कार्यक्रम की सफलता पर अतिरिक्त महामंत्री बसन्त जिंदल ने सभी कार्यकर्ताओं, अधिकारियों, शिक्षकों, विद्यार्थियों, अभिभावकों और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।
यह आयोजन केवल संकल्प नहीं, बल्कि ‘विद्यालय को तीर्थ’ मानने की भारतीय परंपरा को पुनर्जीवित करने वाला ऐतिहासिक कदम साबित हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि 1 सितम्बर 2025 को हुआ यह संकल्प भारत को विकसित भारत 2047 की परिकल्पना की ओर ले जाने वाला मील का पत्थर बनेगा।
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