गोरखपुर
अब विदेशों में भी गुरु गोरक्षनाथ व नाथ संप्रदाय पर शोध होगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह शोध केंद्र दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय बनाएगा। इसके जरिए देश और विदेश के शोधार्थी नाथ पंथ के विस्तार, दर्शन और भौगोलिक परिस्थितिकीय और अन्य विषयों पर भी विद्यार्थी परास्नातक के साथ छह माह का डिप्लोमा कोर्स कर सकेंगे।
मिलेगी Ph.D. और पोस्ट डाक्टोरल फेलोशिप
इन शोध केंद्रों से पीएचडी और पोस्ट डॉक्टोरल करने वाले शोधार्थियों को फेलोशिप देने की योजना भी है। जिससे शोध के दौरान आर्थिक संकट का सामना न करना पड़े। विश्वविद्यालय ने अभी फिलहाल रूस-अमेरिका, स्पेन और नेपाल में गोरक्षनाथ शोध केंद्र स्थापित करने की योजना बनाई है।
आपको बता दें कि साल 2018 में गोरखपुर विश्वविद्यालय में गुरु गोरक्षनाथ शोधपीठ की स्थापना हो चुकी है। इसका भवन निर्माणाधीन है। अब रूस, अमेरिका, स्पेन और नेपाल में भी गोरक्षनाथ शोध केन्द्र स्थापित किया जाएगा। गोरखपुर विश्वविद्यालय में स्थापित शोधपीठ इसका प्रमुख केन्द्र होगी। अभी तक नाथ पंथ की जड़ों को गोरखपुर और आसपास के क्षेत्र से जुड़े होने के बारे में जानते रहे हैं लेकिन नाथ पंथ का विस्तार काफी अधिक है।
जबकि अलग-अलग जाति और धर्म के लोग देश और विदेश में रहते हैं। इसके साथ ही नाथ पंथ और बाबा गोरक्षनाथ की पीठ, मठ, मंदिर, धूना और गुफाएं भी देश के कई राज्यों सहित विदेशों में भी हैं। नेपाल में ही नाथ पंथ के मानने वाले काफी अधिक संख्या में हैं।
अब रूस, अमेरिका, स्पेन और नेपाल में भी गोरक्षनाथ शोध केन्द्र स्थापित होने के बाद इससे अधिक से अधिक संख्या में शोधार्थी नाथ पंथ के बारे में जान सकेंगे। इसके माध्यम से शोध करने वाले शोधार्थियों को केन्द्र सरकार की ओर से फेलोशिप भी दिया जाएगा।
इंटरनेशनल सेल को सौंपी गई जिम्मेदारी
कार्ययोजना तैयार करके केंद्र की स्थापना करने की जिम्मेदारी विश्वविद्यालय के इंटरनेशनल सेल को सौंपी गई है। इन शोध केंद्रों से पीएचडी और पोस्ट डाक्टोरल करने वाले शोधार्थियों को फेलोशिप देने की योजना भी विश्वविद्यालय ने बनाई है, जिससे शोधार्थियों को शोध के दौरान आर्थिक दिक्कत का सामना न करना पड़े। इन शोध केद्रों के माध्यम से नाथ पंथ के अंतरराष्ट्रीय प्रसार पर नए तथ्य लोगों के सामने लाने की विश्वविद्यालय प्रशासन की योजना है। इन केंद्रों से समय-समय पर ऑनलाइन और आफलाइन अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन भी किया जाएगा।
गोरखपुर विश्वविद्यालय ने नाथ पंथ पर एक दर्जन से अधिक डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट कोर्स शुरू करने का फैसला भी किया है। यह कोर्स योग, दर्शनशास्त्र, हिन्दी और भूगोल विभाग के दायरे में संचालित किए जाएंगे। कोर्स का प्रारूप बनाने की जिम्मेदारी संबंधित विभागों को सौंप दी गई है।
हर कोर्स के साथ छह माह के सर्टिफिकेट कोर्स कर सकेंगे। नई शिक्षा नीति के आधार ये सर्टिफिकेट कोर्स करना होगा। इसमें नाथ पंथ के दर्शन, नाथ सर्किट के टूरिज्म स्थल, हठ योग पर कोर्स संचालित होगा। आंतरिक स्रोत से ढाई करोड़ रुपए जुटाए हैं। सेंटर फेलोशिप से चलेगा। चार पीएचडी और चार पीडीएफ नाथ पंथ पर ही आधारित होगा। भारत और विदेश के छात्र भी गोरखपुर आकर छह माह का कोर्स कर सकते हैं। इसके अलावा नाथ संप्रदाय पर विश्वकोष तैयार किया गया है। कुलपति प्रो. राजेश सिंह ने नाथ पंथ पर अंग्रेजी में एक किताब भी लिखी है।
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