पहले ग्रामीण युवाओं को हायर एजूकेशन का सपना दिखाया, अब उनकी जेब ढीली करेगी गहलोत सरकार

जयपुर 

सोसाइटी के जरिए संचालित होंगे नए महाविद्यालय

जयपुर राजस्थान में सत्र 2020-21 में खोले गए 37 नवीन महाविद्यालयों को गहलोत सरकार सोसायटी के जरिए चलाने की तैयारी कर रही है। यानी गहलोत सरकार ने ग्रामीण युवाओं को हायर एजूकेशन को जो सपना दिखाया था वह अब उनकी जेब ढीली करने वाला है। सरकार इन नव गठित सरकारी महाविद्यालयों को मेडिकल कॉलेजेज की तर्ज पर सोसाइटी द्वारा संचालित करने जा रही है। इससे ग्रामीण क्षेत्र में हायर एजूकेशन का महंगा होना तय है। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (रूक्टा राष्ट्रीय) ने सरकार की इस मंशा का कड़ा विरोध किया है। रूक्टा राष्ट्रीय ने इसे लेकर राजस्थान के Higher Education Minister Bhanwar Singh Bhati को एक पत्र लिखा है और मांग की है कि इन कॉलेजेज को सोसायटी के जरिए संचालित करने के प्रस्ताव को वापस लिया जाए।

फीस वहन नहीं कर पाएंगे ग्रामीण युवा: डॉ.सुशील कुमार बिस्सु
रूक्टा राष्ट्रीय के महामंत्री डॉ.सुशील कुमार बिस्सु ने पत्र लिखकर मांग की है कि सत्र 2020-21 में खोले गए 37 नवीन महाविद्यालयों को मेडिकल कॉलेजेज की तर्ज पर सोसाइटी द्वारा संचालित नहीं किया जाना चाहिए। डॉ.बिस्सू ने तर्क देते हुए अपने पत्र में लिखा है कि मेडिकल कॉलेज की प्रति विद्यार्थी प्रतिवर्ष फीस लगभग 7.5 लाख रुपए होती है, जिससे  मेडिकल कॉलेज का संचालन सम्भव है। किन्तु अधिकांश नवीन 37 राजकीय महाविद्यालय ग्रामीण क्षेत्रों में खोले गए हैं, जिनमें प्रति विद्यार्थी प्रतिवर्ष फीस लगभग मात्र एक हजार रुपए होती है। जमीनी हालात ये हैं कि यह एक हजार रुपए भी अनेक विद्यार्थी वहन नहीं कर सकते हैं। ऐसे में फीस वृद्धि का तो प्रश्न ही नहीं उठता, फिर सोसाइटी द्वारा कैसे संचालित हो सकेंगे?

महाविद्यालयों में शिक्षकों के 3000 पद रिक्त
डॉ.बिस्सू ने बताया  कि  वर्तमान में सामान्य उच्च शिक्षा के लगभग 300 महाविद्यालय राज्य सरकार द्वारा शासित है, जिनमें  आधे से अधिक महाविद्यालयों में प्राचार्य के पद, सभी महाविद्यालयों में प्रोफेसर के पद, अधिकांश महाविद्यालयों में लाइब्रेरियन व पीटीआई के पद तथा सभी महाविद्यालयों में मिलाकर लगभग 3000 शिक्षकों के पद रिक्त हैं । इतनी बड़ी संख्या में शिक्षकों की कमी के कारण इन महाविद्यालयों में शिक्षण कार्य सुचारू रूप से नहीं हो पाता है। महाविद्यालय में शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया इतनी धीमी है कि जब तक राज्य लोक सेवा आयोग की एक विज्ञप्ति से जितने शिक्षकों की नियुक्ति होती है, उससे ज्यादा पद रिक्त हो जाते हैं। ऐसे में यदि इन 37 राजकीय महाविद्यालयों में शिक्षकों व प्राचार्य पद पर नियुक्ति सोसाइटी बना कर की जाती है तो पता नहीं कितने वर्षों में यह प्रक्रिया पूर्ण होगी। गत सत्र में किसी तरह की कोई वित्तीय स्वीकृति जारी नहीं होने से लगभग सम्पूर्ण सत्रपर्यन्त ये महाविद्यालय प्राचार्य एवं शिक्षकविहीन रहे हैं, जिससे यहां प्रवेशित विद्यार्थी अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।

सरकार का फैसला उच्च शिक्षा को पतन की ओर ले जाने वाला: डॉ. दीपक शर्मा
रूक्टा राष्ट्रीय के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दीपक शर्मा ने कहा है कि नवीन 37 राजकीय महाविद्यालयों का संचालन सोसाइटी के अधीन करने से ना तो इन महाविद्यालयों के संचालन की समुचित वित्तीय व्यवस्था संभव होगी, ना ही ये महाविद्यालय UGC मापदंड को पूरा कर पाएंगे। यदि राज्य सरकार 2020-2021 में खोले गए नए 37 राजकीय महाविद्यालयों का संचालन सोसाइटी के अधीन करने का निर्णय लेती है, तो यह राज्य में उच्च शिक्षा को पतन की ओर ले जाने वाला निर्णय होगा, जिसका संगठन विरोध करता है एवं इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग करता है | उन्होंनें आशा व्यक्त की है कि इस संबंध में सकारात्मक कार्रवाई की जाकर राज्य की उच्च शिक्षा एवं उसके हितधारकों के पक्ष में निर्णय किया जाएगा।





 

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