इन विकारों का करें शमन…

मात्र दशानन के दहन से कुछ न होगा
दमन दस विकारों का हमें करना होगा

पर्वाधिराज पर्व ‘पर्यूषण’

पर्वाधिराज पर्व पर्यूषण है अलौकिक
आठ दिवस नियमित होती सामायिक
धर्म-ध्यान, पूजा-अर्चना, तप-तपस्या द्वारा
सुप्त आत्मा को कर के जाग्रत

कान्हा तुम्हे फिर आना होगा…

कान्हा तुम्हे फिर आना होगा
पाप का समूल विनाश करना होगा

अरमान…

ना कोई चाहत ना कोई आस
करती हूं बस एक यही प्रयास
ना कोई मुझसे हो निराश

भव सागर सहज तर जाएं…

चार दिनों का है ये जीवन
खुशियों से हो जाए रोशन

मनोभावों की अभिव्यक्ति है कविता

क्रोध, करूणा, दया, प्रेम, भक्ति, हास्य
सभी मनोभावों की अभिव्यक्ति है कविता ।
कार्य प्रवृत्ति हेतु प्रेरित कर

चांद गवाह

कार्तिक मास की चतुर्थी पर
करवा चौथ मनाती सुहागन हर

वायु सम युवा…

आज के युवा, शीघ्र शीर्ष पर चढ़ जाते, किन्तु वक़्त के थपेड़े

सकल जगत का हरने को तम…

सकल जगत का हरने को तम…

पिता देवदूत का साया सा होते…

पिता देवदूत का साया से होते…