योगेन्द्र गुप्ता |
कॉलेज शिक्षकों की तबादला सूची से बवाल खड़ा हो गया है। बवाल इसलिए भी बड़ा हो गया है कि इसमें कांग्रेस सरकार ने अपने ही विधायकों की सिफारिश खारिज कर दी। जबकि कांग्रेस सरकार अपने विधायकों की सिफारिश पर इन कॉलेज शिक्षकों के तबादले कर चुकी थी। पर सरकार ने चार दिन बाद ही इसे निरस्त कर संशोधित सूची जारी कर दी।
मामला राजस्थान का है। इस राज्य में 31दिसम्बर को कांग्रेस सरकार ने अपने विधायकों की सिफारिश पर करीब 130 कॉलेज शिक्षकों के तबादले किए थे। इनमें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की विचारधारा से जुड़े शिक्षक भी बड़ी संख्या में शामिल थे। राज्य की उच्च शिक्षा में ऐसा पहली बार हुआ जब एक दूसरे विभाग के राज्य मंत्री ने दखल देकर सीएमओ ऑफिस में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर न केवल इस सूची को निरस्त करवा दिया। बल्कि सूची दुबारा बनी और चार जनवरी की आधी रात को संशोधित सूची भी जारी करवा दी और स्थानांतरित स्थानों को फिर बदल दिया। इसमें से आरएसएस की विचारधारा से जुड़े कॉलेज शिक्षकों को चुन-चुन कर वर्तमान पदस्थापन से भी 200-300 किमी दूर फेंक दिया। मजेदार बात ये है कि ये शिक्षक अपने गृह निवास से पहले ही 400 से 700 किमी दूर पदस्थापित थे।
आधार न तर्क
सरकार ने कॉलेज शिक्षा में जो तबादले किए उनके पीछे न कोई आधार नजर आ रहा और न कोई तर्क। पूरी सूची खंगाली तो पता चला कि सरकार ने कई शिक्षकों को ऐसी जगह पोस्टिंग दे दी जहां उस विषय से जुड़ा हुआ शिक्षक पहले से ही नियुक्त था। दिलचस्प बात ये है कि कांग्रेस सरकार ने वाहवही लूटने के लिए राजस्थान में 97 कॉलेज अपने इसी शासन में खोले थे। इन्हीं कॉलेजों को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए कांग्रेस विधायकों ने ही अपने क्षेत्रों के कॉलेजों में इन शिक्षकों को नियुक्त करने की अनुशंसा की थी। उसी अनुरूप उच्च शिक्षा मंत्री से हरी झंडी मिलने पर 31 दिसम्बर को सूची जारी कर दी गई। पर इसी सरकार के दूसरे विभाग के एक राज्य मंत्री ने इसमें दखल देकर इसे निरस्त करवा दूसरी सूची जारी करवा दी। और इस तरह कांग्रेस सरकार ने अपने ही विधायकों की अनुशंसाओं को दरकिनार कर दिया। नतीजतन नए खोले गए कॉलेजों में से कई कॉलेज शिक्षक पाने से वंचित रह गए। दूसरी तरफ स्थिति ये है कि राजधानी जयपुर में कॉलेज आयुक्तालय में अतिरिक्त शिक्षकों की आवश्यकता नहीं थी। वहां अपने चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए दस के स्थान पर 60 शिक्षक प्रतिनियुक्ति पर लगा दिए गए। यानी सरकार की मंशा कॉलेजों की व्यवस्था सुधारने की नहीं थी। बल्कि उसका मकसद उसे अपने विचारों से इतर लोगों को प्रताड़ित करना ज्यादा नजर आ रहा है।
संशोधित सूची में पहले से भी दूर स्थानांतरित शिक्षकों के उदाहरण
लक्ष्मी नारायण नागौरी सरदार शहर से बाड़मेर के स्थान पर बिछीवाड़ा (निवासी जैसलमेर)। गीता राम शर्मा बांसवाड़ा से झालावाड़ के स्थान पर डूंगरपुर (निवासी कोटा)। कमल कुमार मिश्रा तारानगर से शाहपुरा के स्थान पर हनुमानगढ़ (निवासी जयपुर)। चंद्रेश पारीक कुशलगढ़ से भीम के स्थान पर डूंगरपुर (निवासी ब्यावर)।
सोहराब शर्मा शिव से सैपऊं के स्थान पर बाप (निवासी धौलपुर)। संजय गर्ग बाड़मेर से अलवर के स्थान पर जैसलमेर (निवासी अलवर)। दीपक कुमार शर्मा जालौर से सांभर के स्थान पर भीनमाल (निवासी जयपुर)। राज कुमार चतुर्वेदी पहाड़ी से रेलमगरा के स्थान पर धौलपुर (निवासी भीलवाड़ा)। शंभू दयाल मीणा शिव से राजगढ़ के स्थान पर तारानगर (निवासी राजगढ़)। नारायण लाल गुप्ता डूंगरपुर से भीम के स्थान पर कुशलगढ़ (निवासी अजमेर)। सुशील कुमार बिस्सु कुशलगढ़ से भीम के स्थान पर डूंगरपुर (निवासी अजमेर)। धीरज पारीक ब्यावर से गंगापुर सिटी के स्थान पर रतनगढ़ (निवासी ब्यावर)। संजय पुरोहित भोपालगढ़ से सिरोही के स्थान पर फलोदी (निवासी सिरोही)।
सतीश आचार्य सरवाड़ से मंडफिया के स्थान पर पीपलखूंट (निवासी उदयपुर)। दिलीप कुमार गोयल नगर से पीपलू के स्थान पर बामनवास (निवासी जयपुर)। मंदरुप देवड़ा ब्यावर से खानपुर (निवासी ब्यावर)। कैलाश दान रत्नू जैसलमेर कन्या से धोरीमन्ना। प्रमोद वैष्णव बांसवाड़ा से डूंगरपुर। धनंजय कुमार सिंह अलवर से बानसूर।
सरकारी खजाने को करोड़ों का चूना
कॉलेज शिक्षा में हुए इन तबादलों से राजस्थान सरकार को अब इन शिक्षकों को करीब एक दर्जन पीएल सहित टीए-डीए आदि मद में भुगतान करना होगा। इससे सरकारी खजाने को करीब एक करोड़ का चूना लगने वाला है। इस सरकार के शासन में अब तक करीब सात सौ कॉलेज शिक्षकों के तबादले पहले ही हो चुके हैं। जिनसे करीब सात करोड़ का चूना खजाने को अब तक लग जा चुका है।
तबादलों का ठेका देने लगा आरोप
इस बीच इन तबादलों को लेकर कॉलेज शिक्षा में आक्रोश बढ़ रहा है। राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ ( राष्ट्रीय) के प्रदेश अध्यक्ष डॉ.दिग्विजय सिंह ने कहा कि यह
महाविद्यालय शिक्षा में एक गुट को ट्रांसफर की ठेकेदारी देने तथा रुक्टा (राष्ट्रीय) से जुड़े शिक्षकों की आवाज को कुचलने का प्रयास है।
उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यजनक है कि एकतरफ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बार-बार बदले की भावना से कार्य नहीं करने की बात सार्वजनिक रूप से कहते हैं। वहीं इतर विचार रखने वालों को चुन-चुन कर प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे उनकी कथनी और करनी में अंतर स्पष्ट हुआ है।
रुक्टा (राष्ट्रीय) के महामंत्री डॉ.नारायण लाल गुप्ता ने बताया कि राज्य की उच्च शिक्षा में यह ऐतिहासिक गिरावट का उदाहरण है। देर रात जारी सूची के माध्यम से शासन द्वारा प्रायोजित भय और आतंक का निर्माण किया गया है कि कांग्रेस से इतर विचार स्वीकार नहीं किया जाएगा। उन्होंने आरोप लगाया कि राज्य की उच्च शिक्षा का पूरी तरह कांग्रेसीकरण कर दिया गया है। संगठन महामंत्री ने कहा कि उच्च शिक्षा विभाग की मूल समस्याओं पर सरकार का ध्यान नहीं है। 90% महाविद्यालयों में प्राचार्य नहीं है। 95% महाविद्यालयों में शारीरिक शिक्षक और पुस्तकालय अध्यक्ष नहीं है। शिक्षकों की पदोन्नातियां लम्बे समय से लंबित चल रही हैं। विश्वविद्यालयों/महाविद्यालयों की स्वायत्तता का हरण करते हुए शक्तियां आयुक्तालय और सचिवालय स्तर पर केंद्रित की गई हैं, प्राचार्य और कुलपति अधिकार विहीन बनाए जा रहे हैं।
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