व्यापारियों के मन की बात…


‘लॉक डाउन’ को लेकर सम्पूर्ण व्यापारी वर्ग व्यथित है। हताश है। निराश है। यूं तो उसकी इस पीड़ा को भरतपुर जिला व्यापार महासंघ ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भेजा है, पर यह पीड़ा है सम्पूर्ण भारतवर्ष के व्यापारियों की। सभी सरकारों को व्यापारियों के प्रतिनिधि मंडल को बुलाकर उनकी बात जरूर सुननी चाहिए और इस समस्या का हल निकालना चाहिए। व्यापारियों ने अपने मन की बात ‘नई हवा’ के साथ भी शेयर की है। आज यहां प्रस्तुत है उसके मन की बात उन्हीं के शब्दों में:


प्रधानमंत्री के मन की बात तो हमेशा से ही सुनी जा रही है कभी-कभी व्यापारियों के मन की बात भी सुन लेनी चाहिए क्योंकि व्यापारी भी इस देश का नागरिक होने के साथ-साथ देश की अर्थव्यवस्था की एक मजबूत कड़ी है राजस्थान में 70% व्यापार खुला हुआ है, तो सिर्फ 30% व्यापारियों के पेट पर ही लात क्यों  मारी जा रही है? क्या इन 30% व्यापारियों की रोजी रोटी बंद करके ही कोरोना को रोका जाएगा आप सभी बाज़ारों के हाल तो देख ही रहे हैं कहीं भी भीड़ तो कम नजर आ नहीं रही है लोग तो फ्री होकर बिना किसी भय के घूम रहे हैं ग्राहकों के साथ-साथ सभी दुकानदार भी बाजार में घूम रहे हैं तो फिर कहां हम ‘लॉक डाउन’ के नाम पर कोरोना की चेन को तोड़ते नज़र नहीं आ रहे हैं और अगर कोरोना चेन तोड़ते नज़र नहीं आ रहे हैं तो ये लॉक डाउन के दिखावे का नाटक क्यों?

सरकार को इस पर गंभीरता से विचार करना चाहिए…
एक तरफ तो 
कारखाने चालू.
शराब की दुकान चालू..
ऑफिस चालू
कोर्ट कचहरी चालू….
70% व्यापार चालू…..
रेल चालू……
बस चालू…….
बॉर्डर से आवागमन पर कोई रोक नहीं……..

तो फिर कुछ ट्रेडर्स की दुकानें खोलने पर ही रोक क्यूं?

दुकानदार को धमाका रहे …
शादी विवाह का सीजन होने के कारण बंद से  ट्रेडर्स के व्यापारियों के सामने एक नई समस्या और खड़ी हो गई है
व्यापारियों के पास निवेदन / धमकी, भरे फोन आने लगे हैं जैसे- टेलर के पास कपड़े सिलने को पड़े हैं या महिलाओं के लहंगे तैयार होने को पड़े हैं, सुनार के पास ज्वेलरी तैयार होने को पड़ी है इसी प्रकार बहुत सारी चीजों का और भी व्यापार है जिनके घर में विवाह समारोह है, और वे बुकिंग एडवांस दे चुके हैं, विवाह की तारीख नजदीक आ रही है और आवश्यकता का जरूरी सामान उनको तैयार होकर नहीं मिल पा रहा है इसलिए वह दुकानदार को निवेदन /धमकी, भरे फोन करते हैं कि मुझे कैसे भी सामान दे दुकानदार की मजबूरी यह है कि अगर वह दुकान खोलता है तो उसके साथ प्रशासन द्वारा कार्रवाई की जाती है, ना दे तो उसका नुकसान तो होता ही है, साथ ही ग्राहक से भी आगे के लिए सम्बंध खराब होते हैं इस ऑनलाइन शॉपिंग के समय में बाजारों में ग्राहक को बांधे रखना मुश्किल हो रहा है इस लॉक डाउन की वजह से आम जनता व व्यापारी दोनों ही परेशान हो रहे हैंऔर शायद यही वजह है कि सभी ट्रेड के दुकानदार को चोरी छिपे अपनी दुकान खोलनी पड़ रही है और इसमें, उसका आम जनता भी साथ दे रही है और इस लुका छिपी के खेल में कोरोना गाइड लाइनों की अवहेलना हो रही है व्यापारियों का इन सभी समस्याओं को लेकर एक सुझाव / मांग है कि, सभी ट्रेड की दुकानों को एक निश्चित समय सीमा में बांध कर खुलवाया जाए जैसे दूध, हलवाई, डेयरी प्रोडक्ट, सब्जी, बेकरी, कचोरी इत्यादि सुबह 11 बजे तक उसके बाद किसी अन्य ट्रेड की दुकानें जैसे कपड़ा, जूता, कॉस्मेटिक, जनरल स्टोर, ज्वेलरी, मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स इत्यादि 3 बजे तक उसके बाद पुस्तक, इलेक्ट्रिकल इत्यादि इस तरह से सभी ट्रेड के व्यापारियों की दुकानें खुलवाने से व्यापारियों को भी राहत मिलेगी और आम जनता को भी समान के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा साथ ही कोरोना गाइड लाइनों के पालना करना व करवाना आसानी से मुमकिन होगा

मुख्यमंत्री जी, प्लीज! हमें दरकिनार न करिए…
भरतपुर जिला व्यापार महासंघ ने  मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि, कोरोन संक्रमण के खिलाफ इस लड़ाई में व्यापारियों के साथ-साथ जनता जनार्दन को हो रही परेशानियों पर भी ध्यान दें
उन्हें दरकिनार कर नीतियां नहीं बनाएं व्यापारी भी एक फ्रंट लाइन वर्कर है, वह भी अपनी व अपने परिवार की सुरक्षा को ताक पर रखकर आम जन को जरूरी सामान मुहैया कराने के लिए तत्परता से लगा रहता है व्यापारी ने कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में तन-मन-धन से सरकार का हमेशा साथ दिया है और आगे भी देता रहेगा