वैर
भरतपुर के पूर्व सांसद पंडित रामकिशन और किसान नेता इन्दल सिंह का समीपवर्ती ग्राम मोरदा में ग्रामीणों द्वारा भव्य स्वागत किया गया। इस दौरान आयोजित नुक्कड़ बैठक में किसानों और ग्रामीणों ने गिरते भूजल स्तर पर चिंता जाहिर की और क्षेत्र के बांधों को ईआरसीपी (पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना) की नई डीपीआर में शामिल करने की मांग रखी।
पूर्व सांसद पंडित रामकिशन ने कहा कि अब तक उन्होंने जो भी मुद्दे उठाए, वे पूरे हुए हैं, हालांकि जनता से अपेक्षित सहयोग नहीं मिला। उन्होंने कहा कि पहले पानी की योजना को लेकर लोग आश्वस्त नहीं थे, लेकिन अब यह मंजूर हो चुकी है और देर-सवेर बाणगंगा नदी में पानी पहुंचेगा, हालांकि यह बारिश पर निर्भर करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि अन्य नेता इस मुद्दे पर पहले से सक्रिय होते, तो यह कार्य काफी पहले पूरा हो सकता था। उन्होंने भरोसा दिलाया कि पानी की लड़ाई तब तक जारी रहेगी, जब तक भरतपुर को पूरा पानी नहीं मिल जाता। आगे वे रोजगार और पर्यावरण के मुद्दे को भी उठाने की बात कही।
ईआरसीपी में क्षेत्र के बांधों को जोड़ने की मांग
किसान नेता इन्दल सिंह ने बैठक में भरतपुर जिले के छूटे हुए बांधों को ईआरसीपी की नई डीपीआर में शामिल करने की जोरदार मांग उठाई। उन्होंने राज्य सरकार से इस योजना के बजट को बढ़ाने और इसे प्रथम चरण में ही जिले को सिंचाई और पेयजल देने की जरूरत बताई, क्योंकि भरतपुर में पानी का संकट बेहद गंभीर है। उन्होंने विशेष रूप से वैर के लालपुर और सीता बांध को भी जोड़ने की आवश्यकता बताई।
इन्दल सिंह ने कहा कि रामजल योजना (ईआरसीपी) की नई डीपीआर बनाई जा रही है, ऐसे में सत्तारूढ़ दल के नेताओं और कार्यकर्ताओं को मिलकर प्रयास करना चाहिए कि इसमें अपने-अपने क्षेत्र की नहरों और कैनालों को शामिल कराया जाए। उन्होंने भरतपुर में रोजगार की कमी का मुद्दा उठाते हुए सरकार से प्रदूषण रहित उद्योग-धंधे स्थापित कर नौजवानों को रोजगार देने और पलायन रोकने की अपील की।
बैठक में कई किसान नेता और ग्रामीण रहे मौजूद
बैठक की अध्यक्षता किसान नेता श्याम सिंह मोरदा ने की। इस दौरान कई प्रमुख किसान नेताओं और ग्रामीणों ने अपने विचार रखे, जिनमें घनश्याम गाजीपुर, अनिल शर्मा (भरतपुर), तपन शर्मा, श्याम सिंह मोरदा, भदेव सिंह मोरदा, महाराज सिंह और तेज सिंह प्रमुख रूप से शामिल थे।
ग्रामीणों ने एकमत होकर सरकार से मांग की कि भरतपुर जिले को पानी और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएं, ताकि किसानों और युवाओं को राहत मिल सके।
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