जयपुर
राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan High Court) में पंचायत और शहरी निकाय चुनाव को लेकर बड़ी कानूनी पलटी देखी गई। चुनाव जल्द कराने के आदेश पर जहां एकलपीठ ने सरकार को सख्त निर्देश जारी किए थे, वहीं अब खंडपीठ ने इस पर रोक लगा दी है। जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संजीत पुरोहित की खंडपीठ ने सोमवार को राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए यह अहम फैसला सुनाया।
खंडपीठ ने न सिर्फ पंचायत और निकाय चुनाव जल्द कराने के एकलपीठ के आदेश पर रोक लगाई, बल्कि पूर्व सरपंचों को प्रशासक बहाल करने के निर्देशों को भी ठंडे बस्ते में डाल दिया। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता कपिल प्रकाश माथुर और राजेंद्र प्रसाद ने दलीलें पेश कीं।
दरअसल, हाईकोर्ट की एकलपीठ ने 18 अगस्त को अपने आदेश में कहा था कि जिन पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो चुका है, वहां जल्द चुनाव कराए जाएं और जिन पंचायतों में चुनाव लंबित हैं, वहां पूर्व सरपंचों को प्रशासक के रूप में बहाल किया जाए। इस फैसले को सरकार ने खंडपीठ में चुनौती दी थी।
सरकार ने अपनी अपील में तर्क दिया कि कोविड काल में पंचायत चुनाव तीन चरणों में हुए थे, जिसके चलते पंचायतों का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा हो रहा है। सरकार चाहती है कि सभी पंचायतों और निकायों के चुनाव एक साथ कराए जाएं ताकि प्रशासनिक व्यवस्था सुचारु रहे। इसके लिए अस्थाई तौर पर पूर्व सरपंचों को प्रशासक नियुक्त किया गया था। सरकार का यह भी कहना है कि शिकायतों के चलते कई सरपंचों को हटाया गया था और उन्हें दोबारा बहाल करने का कोई कानूनी आधार नहीं है।
इस पूरे मामले में खंडपीठ ने फिलहाल एकलपीठ के आदेश पर रोक लगा दी है। अब पंचायत और निकाय चुनाव पर अंतिम फैसला खंडपीठ के विस्तृत आदेश के बाद ही सामने आएगा।
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