उदयपुर
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुधवार को महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के संगठक डूंगरपुर के नवीन कृषि महाविद्यालय का वर्चुअल कार्यक्रम के द्वारा उद्घाटन किया। आपको बता दें कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की बजट घोषणा के अनुरूप एमपीयूएटी के महाविद्यालय के रूप में डूंगरपुर में नवीन कृषि महाविद्यालय की स्थापना की गई है।
इस मौके पर राजयपाल कलराज मिश्र ने कृषि के आधुनिकतम ज्ञान के साथ-साथ पारम्परिक कृषि ज्ञान को विद्यार्थियों एवं युवाओं तक पहुंचाने की आवश्यकता जताई। इसके साथ ही कृषि में युवाओं के रूझान को बढ़ाने तथा नवाचारों, जैविक खेती, खाद्य प्रसंस्करण, कौशल विकास द्वारा कृषि में किसानों की आय बढ़ाने पर जोर दिया।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि आदिवासी अंचल में कृषि महाविद्यालय का शुभारंभ हो रहा है। जिससे क्षेत्र के छात्रों को कृषि विषय के अध्ययन से लाभ होगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में कृषि के विकास हेतु निरन्तर प्रयत्नशील है। राज्य में 5 कृषि विश्वविद्याय एवं विगत वर्ष में 13 नए कृषि महाविद्यालयों की स्थापना इस बात का प्रमाण है।
अगले साल से अलग से कृषि बजट:गहलोत
गहलोत ने कहा कि देश की आजादी के बाद प्रथम पंचवर्षीय योजना से ही कृषि के विकास, राष्ट्रीय कृषि शोध संस्थानों की स्थापना, बांध एवं नहरों की व्यवस्था, हरित क्रांति तथा अनेक अन्य कार्यों से कृषि एंव किसानों के विकास का ध्यान रखा गया है। उन्होंने कहा कि अगले वर्ष से किसानों के लिए अलग से कृषि बजट भी लाया जाएगा। गहलोत ने राज्य की कृषि प्रसंस्करण एवं कृषि निर्यात नीति कार्यक्रम से अधिकाधिक किसानों एवं कृषि विद्यार्थियों को लाभान्वित करने की बात कही। गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार ने कृषि विकास के लिए शीघ्र ही 600 विद्यालयों में कृषि संकाय प्रारम्भ करने का निर्णय भी लिया है।
इस अवसर पर माननीय कृषि मंत्री लालचंद कटारिया ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था कृषि पर आधारित है तथा राज्य सरकार प्रदेश में कृषि विकास के लिए निरन्तर प्रयासरत है। कृषि नवाचारों के लिए कृषि महाविद्यालयों की भूमिका महत्वपूर्ण है। इस महाविद्यालय की स्थापना से डूंगरपूर एवं वागड़ प्रदेश के कृषि विकास एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति महिला सशक्तीकरण एवं कृषि शिक्षा में महत्वपूर्ण योगदान मिलेगा।
कार्यक्रम में कृषि राज्य मंत्री भजनलाल जाटव ने कहा दक्षिणी राजस्थान के साथ-साथ पिछड़े हुए जनजाति बाहुल्य इलाकों के लिए यह कृषि महाविद्यालय एक वरदान साबित होगा। इसके माध्यम से जनजाति बाहुल्य क्षेत्रों से आए विद्यार्थी कृषि के आधुनिकतम ज्ञान से नवीन रोजगार प्राप्त कर सकेंगे एवं क्षेत्र के कृषि विकास में योगदान दे सकेंगे।
डूंगरपुर के विधायक गणेश घोघरा ने नवीन कृषि महाविद्यालय की स्थापना के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया और कहा कि इससे वागड़ में कृषि विकास संभव हो पाएगा।
एमपीयूएटी के कुलपति डॉ. नरेंद्र सिंह राठौड़ ने डूंगरपूर में नवीन कृषि महाविद्यालय खोलने की अनुमति प्रदान करने के लिए मुख्यमंत्री, राज्यपाल, स्थानीय विधायक एवं राज्य सरकार का आभार व्यक्त किया। विगत वर्षों में एमपीयूएटी की प्रगति से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि कहा कि इसी अकादमिक सत्र से प्रथम वर्ष में 70 सीटों पर संयुक्त प्रवेश परीक्षा के माध्यम से नए विद्यार्थियों को प्रवेश भी दिया जा रहा है। एम.पी.यू.ए.टी. के इस तीसरे संघटक कृषि महाविद्यालय से जनजाति बाहुल्य दक्षिणी राजस्थान में कृषि के विकास में बड़ी सहायता मिलेगी। डॉ. राठौड़ ने बताया कि विगत कोरोनाकाल में एमपीयूएटी ने 400 से अधिक ई-मैनूअल एवं ई-कम्पेडियम तैयार किए हैं। विश्वविद्यालय के सभी पुस्ताकालयों को डिजिटल किया गया है। वर्क फ्रॉम होम के दौरान प्रति सेमेस्टर 11 से 12 हजार ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन, 200 से अधिक वेबीनार 26 एमओयू, नवीन कॉर्स का संचालन, सोलर पॉवर से प्रतिदिन 4000 यूनिट बिजली उत्पादन, वॉटर हार्वेस्टिंग, उत्कृष्ट शोध प्रकाशन द्वारा 56 एच इन्डेक्स, 24 करोड़ प्रतिवर्ष की रेवेन्यू व अन्य आईटी आधारित नवाचारों के सतत् प्रयास द्वारा एमपीयूएटी की आईसीएआर रेंकिग 51 से 26 तथा सीटीएई की एनआईएफ रेंकिग प्रथम 250 इंजिनियरिंग कॉलेजों में हुई है जो कि हमारे लिए गर्व की बात है।
विश्वविद्यालय की कुलसचिव श्रीमती श्वेता फगेड़िया ने भी विचार रखे। कृषि महाविद्यालय की स्थापना समिति के संयोजक अधिकारी डॉ.दिलीप सिंह, अधिष्ठाता, राजस्थान कृषि महाविद्यालय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। संचालन कुलपति के विशेषाधिकारी डॉ. विरेन्द्र नेपालिया ने किया। इस अवसर पर ऑफ लाइन कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के उच्चाधिकारी, केवीके प्रभारी, स्थानीय अधिकारीगण, मीडिया पर्सन, अभिभावक एवं विद्यार्थी उपस्थित थे। कार्यक्रम का यूट्यूब पर सजीव प्रसारण भी किया गया।
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