दादी गुलजार ने छोटी सी उम्र में ही खुद को परमात्मा के हवाले कर दिया था। दादी गुलजार ने अपने नाम को पूरा सार्थक किया है, वे जहां भी जाती थीं वहां गुल खिलते थे। अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस, सेमिनार में लाखों लोगों को जीवन में सुख और शांति लाने का तरीका बताने वाली दादी संस्था में कई विभाग को हेड करती थीं। दादी हृदयमोहिनी 46 हजार बहनों की मार्गदर्शक और अभिभावक भी थीं। कहा जाता है कि महिला के रूप में दादी ने संस्था को ऊंचाईयों के शिखर पर ले जाने में बड़ा योगदान दिया। दादी हृदयमोहिनी का जन्म कराची में हुआ, लेकिन इसके बावजूद भी उन्होंने पूरे विश्व को अपना घर समझा और खुद को परमात्मा के संदेश को फैलाने का एक जरिया बनाया। सिर्फ भारत ही नहीं उन्होंने विदेशों में भी परमात्मा के ज्ञान का परिचय दिया है।