भरतपुर
भरतपुर जिला व्यापार महासंघ द्वारा जिले के समस्त ट्रेड यूनियनों के अध्यक्ष, मंत्री एवं व्यापार संघ के समस्त पदाधिकारियों की जिला अध्यक्ष संजीव गुप्ता की अध्यक्षता में हुई एक आवश्यक मीटिंग में राजस्थान सरकार द्वारा लगाए गए ‘जन अनुशासन पखवाड़ा’ लॉकडाउन को लेकर चिंता व्यक्त करते हुए इस लॉक डाउन का पुरजोर विरोध किया गया। महासंघ के नेताओं में लॉक डाउन के निर्णय के खिलाफ बहुत ज्यादा आक्रोश था। महासंघ के नेताओं का कहना था कि एक मध्यमवर्गीय व्यापारी की आर्थिक रूप से पहले ही कमर टूटी हुई है और उस पर सरकार का यह लॉकडाउन का फरमान कष्ट देने वाला है।
20 अप्रेल को प्रदर्शन
बैठक में तय किया गया कि सभी व्यापारी 20 अप्रेल को अपनी – अपनी दुकानों के आगे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ खड़े होकर लॉकडाउन का शांतिपूर्ण विरोध करेंगे। अगर फिर भी सरकार नहीं जागी और व्यापारियों के हित में उचित निर्णय नहीं किया तो फिर सभी ट्रेडों की दुकानों को बंद किया जाएगा। भरतपुर जिला व्यापार महासंघ ने पूर्ण रूप से लॉकडाउन का विरोध किया और मांग की कि पूर्ण लॉक डाउन की जगह ट्रेड वाइज, थोड़े – थोड़े समय के लिए सभी ट्रेडों को खोला जाए, जैसे कि सुबह 6:00 से 8:00 दूध, 8 बजे से 10 तक किराना, 10 से 12 कपड़े जूते, 12:00 से 3:00 ज्वेलरी ऑटोमोबाइल। जिससे कि सभी ट्रेडों के व्यापारियों को राहत मिल सके आमजन को भी सभी सामान उपलब्ध हो सके। महासंघ ने कहा कि यह एक शादी विवाह का सीजन है। सभी तरीके के ट्रेड की दुकानें खुलने से आमजन को भी सभी सामान मिल जाएगा और सभी दुकानदारों को भी इससे राहत मिल जाएगी। कोरोना की गंभीरता को सभी व्यापारी समझते हैं इसके लिए बाजारों में कड़ाई से करोना गाइडलाइन की पालना कराई जाए। इसमें व्यापारी पहले भी सहयोग देता आया है और आगे भी पूर्ण सहयोग देता रहेगा। आज इसी क्रम को बढ़ाते हुए एडीएम सिटी को भरतपुर जिला व्यापार महासंघ द्वारा अपनी मांगों का एक ज्ञापन मुख्यमंत्री के नाम दिया गया। ज्ञापन में व्यापारियों ने सभी ट्रेड की दुकानें खोलने के साथ-साथ मध्यमवर्गीय व्यापारी को राहत पैकेज देने की मांग की।
हम जेल जाने को तैयार
मीटिंग में वक्ताओं ने लॉकडाउन के विरोध में अलग-अलग सुझाव दिए। शहर अध्यक्ष भगवानदास बंसल ने पूरे बाजार को एक साथ खोलने का सुझाव दिया और कहा कि वैसे भी लॉकडाउन के अंतर्गत दुकान खोलने पर 72 घंटे के लिए व्यापारी की दुकान सील कर दी जाती है। अब तो एक तरह से 288 घंटे के लिए ही सील कर दी गई है। भूखे मरने से बेहतर है कि अपनी-अपनी दुकानें खोलें। उन्होंने कहा कि हम जेल जाने को तैयार हैं। वहां कम से कम भूखे मरने की नौबत तो नहीं आएगी।
जिला प्रवक्ता विपुल शर्मा ने सुझाव दिया कि, अगर प्रशासन व्यापारियों की दुकानें बंद कराना ही चाहता है, तो सिर्फ कुछ ट्रेडों की दुकानों को ही बंद क्यों किया जाए। सभी ट्रेडों की दुकानों को बंद कर दिया जाए, चाहे वह दूध की हो या सब्जी की हो या किराना, पेट्रोल पंप। उन्होंने कहा कि प्रशासन हमारी दुकानें बंद तो करा सकता है लेकिन जबरदस्ती हमसे खुलवा नहीं सकता। जिला महामंत्री नरेन्द्र गोयल ने कहा कि सरकार द्वारा लगाए गए जन अनुशासन का पखवाड़ा का असल नाम कुशासन पखवाड़ा होना चाहिए। इसमें सरकार का कुशासन साफ तौर पर नजर आता है। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने व्यापारियों, गरीब मजदूर वर्गों का ध्यान ना रखते हुए सिर्फ वाहवाही लूटने के चक्कर में ऐसा कदम उठाया गया है। मीटिंग में जन नेता गिरधारी तिवारी ने कहा कि इस लॉकडाउन के विरोध में हो रही लड़ाई में वह पूर्ण रूप से व्यापारियों के साथ खड़े हैं।
सभी ट्रेडों की दुकानों को बंद करो, वरना जबरन खोलेंगे बाजार
व्यापार महासंघ के जिलाध्यक्ष संजीव गुप्ता ने सभी की बातें सुनी व निर्णय किया कि सर्वप्रथम जिला प्रशासन से मिलकर व्यापारियों की पीड़ा से अवगत कराया जाए। 20 अप्रेल को सभी व्यापारी अपनी-अपनी दुकानों के आगे सोशल डिस्टेंसिंग के साथ खड़े होकर लॉकडाउन का शांतिपूर्ण विरोध करेंगे और व्यापारियों के हित में उचित निर्णय नहीं लिया गया तो फिर सभी ट्रेडों की दुकानों को बंद किया जाएगा, जिसमें दूध, किराना, पेट्रोल, सब्जी आदि शामिल हैं। उसके बाद भी अगर सरकारों की नींद नहीं टूटती है, तो फिर जबरदस्ती अपनी दुकान की शटर उठाने के बारे में भी विचार किया जाएगा। मीटिंग में जयप्रकाश बजाज, मोहनलाल मित्तल, हरिशंकर सर्राफ, बंटू भाई, अनिल पन्ना हलवाई, मोहन हलवाई, सुमित अरोड़ा, गोपी सिंह, बबुआ, राजीव शर्मा, प्रवीण, वीरेंद्र अरोड़ा आदि काफी संख्या में व्यापारी मौजूद थे।
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