जोधपुर
राजस्थान के लाखों बीएड डिग्रीधारी बेरोजगारों के लिए राहत वाली खबर है। अब बीएड डिग्रीधारी रविवार को होने वाली रीट लेवल वन परीक्षा में शामिल हो सकेंगे। राजस्थान उच्च न्यायालय जोधपुर की खंडपीठ ने इस मामले में तीन दिन तक लगातार सुनवाई करते हुए अंतरिम आदेश पारित करते हुए बीएड डिग्रीधारी को रीट लेवल वन की परीक्षा में बैठने की अनुमति दी है।
जस्टिस संगीत लोढ़ा व जस्टिस विनीत माथुर की खंडपीठ ने इस मामले की सुनवाई की और याचिकाकर्ता बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों, प्रदेश सरकार, बीएसटीसी धारकों व एनसीटीई का व्यापक पक्ष जानने के बाद शुक्रवार को इस मामले में अहम अंतरिम आदेश पारित किए और कहा कि बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को रविवार को होने वाली रीट की लेवल वन के लिए परीक्षा में बैठने से नहीं रोका जाए। उनकी पात्रता मामले में हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी, वहीं उनका परिणाम जारी करने पर भी अंतरिम रोक रहेगी। इनका परिणाम न्यायालय की अनुमति से ही जारी होगा।
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता एमएस सिंघवी ने मामले में राज्य सरकार का और एनसीटीई की ओर से अधिवक्ता विवेक श्रीमाली ने पक्ष रखा। बीएसटीसी अभ्यर्थियों की ओर से अधिवक्ता विज्ञान शाह, मनोज भंडारी व हनुमान सिंह ने पक्ष रखते हुए बीएड डिग्रीधारियों को रीट लेवल वन की परीक्षा में अपात्र घोषित करने के लिए पक्ष रखा।
सरकार ने लगा दिया था अड़ंगा
बीएड डिग्री धारी याचिकाकर्ताओं के वकील सुशील बिश्नोई ने बताया कि एनसीटीई ने अपने विशेष सर्कुलर की मार्फत बीएड उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को भी प्रारम्भिक शिक्षा में कक्षा एक से पांच तक बीएसटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों के समान ही अध्यापक बनने के योग्य करार दिया है। लेकिन राजस्थान सरकार ने उक्त सर्कुलर के विपरीत केवल बीएसटीसी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को ही रीट परीक्षा लेवल एक में बैठने की अनुमति दी थी जिसके खिलाफ उक्त मामला हाईकोर्ट में लंबित है।
कुछ माह पूर्व के हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश की पालना में राजस्थान सरकार ने बीएड डिग्रीधारकों को रीट परीक्षा में लेवल वन हेतु फॉर्म भरने की अनुमति तो दे दी थी, लेकिन उनके परीक्षा में बैठने पर संशय बना हुआ था। लेकिन अब राजस्थान हाईकोर्ट ने इस बाबत अंतरिम आदेश पारित करते हुए बीएड डिग्रीधारी अभ्यर्थियों को रविवार को होने जा रही परीक्षा में दोनों लेवल की परीक्षा में बैठने की अनुमति दे दी है, हालांकि लेवल वन हेतु उनकी पात्रता मामले में हाईकोर्ट के अंतिम निर्णय के अधीन रहेगी, वहीं उनका परिणाम जारी करने पर भी अंतरिम रोक रहेगी। इनका परिणाम न्यायालय की अनुमति से ही जारी होगा।
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