AI पर ‘मीनू मैडम’ की मास्टर क्लास | शिलांग में उठे रिसर्च के नए सवाल, मिली नई दिशा

नेहू(Nehu) शिलांग (Shillong) में आयोजित 15 दिवसीय यूजीसी रिफ्रेशर कोर्स में कोटा विश्वविद्यालय की प्रो. मीनू माहेश्वरी ने अकाउंटिंग और फाइनेंस रिसर्च में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के बढ़ते उपयोग पर प्रभावी व्याख्यान दिया। जानें AI कैसे बदल रहा है रिसर्च का चेहरा।

कोटा 

नोर्थ ईस्टर्न विश्वविद्यालय (नेहू), शिलांग द्वारा आयोजित यू.जी.सी. मालवीय मिशन टीचर्स ट्रेनिंग सेंटर के 15 दिवसीय रिफ्रेशर कोर्स में कोटा विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. मीनू माहेश्वरी मुख्य वक्ता रहीं।

सेशन में प्रो. माहेश्वरी ने “Impact of Artificial Intelligence in Accounting & Finance Research” विषय पर प्रभावी व्याख्यान दिया। उन्होंने साफ कहा कि पारम्परिक शोध पद्धतियाँ अब तेजी से अप्रासंगिक हो रही हैं, क्योंकि आधुनिक बिज़नेस में डेटा की मात्रा विस्फोटक रूप से बढ़ चुकी है और AI इसका सबसे शक्तिशाली समाधान बनकर उभरा है।

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AI का सफर और आज का शोध

उन्होंने 1950 में एलन ट्यूरिंग द्वारा मशीन इंटेलिजेंस की शुरुआत से लेकर डार्माउथ कॉन्फ्रेंस, फिर 1980–90 के दशकों में बिग डेटा व फ्रॉड डिटेक्शन में AI के उपयोग तक पूरे विकासक्रम को सरल भाषा में समझाया।

हर बिज़नेस फंक्शन में AI की मौजूदगी

उन्होंने बताया कि आज अकाउंटिंग, फाइनेंस, मार्केटिंग, ऑपरेशन, सप्लाई चेन, HR और बिज़नेस स्ट्रैटेजी—सब जगह AI रिसर्च का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
रियल टाइम एनालिसिस, अनस्ट्रक्चर्ड डेटा, विशाल डेटासेट्स और व्यवहार आधारित शोध अब मशीन लर्निंग, डीप लर्निंग व NLP से ही संभव हैं।

फ्रॉड डिटेक्शन से लेकर ऑडिट तक में क्रांति

AI अब:

  • फ्रॉड डिटेक्शन
  • फॉरेंसिक अकाउंटिंग मॉडल
  • कंटीन्यूअस ऑडिटिंग
  • वार्षिक रिपोर्ट्स के सेंटिमेंट एनालिसिस
  • रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन
  • स्टॉक मार्केट ट्रेंड प्रेडिक्शन

जैसे क्षेत्रों में गेम चेंजर की भूमिका निभा रहा है।

शोध का नया चेहरा

उन्होंने कहा कि पहले रिसर्च केवल वार्षिक खातों पर आधारित होती थी, लेकिन आज सोशल मीडिया न्यूज़, ESG रिपोर्ट्स और रियल टाइम मार्केट इनपुट भी रिसर्च के परिणामों को प्रभावित कर रहे हैं। ऐसे में AI रिसर्चरों के लिए अनिवार्य कौशल बन गया है।

AI की नैतिकता और मानकों पर जोर

उन्होंने प्रतिभागियों को सलाह दी कि AI का उपयोग शोध सहयोग के रूप में करें, ना कि बुद्धि के स्थान पर। साथ ही AI के बढ़ते प्रयोग के चलते नियम और स्टैंडर्ड विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया।

इस रिफ्रेशर कोर्स में कॉमर्स, मैनेजमेंट और इकोनॉमिक्स के लगभग 100 प्रतिभागी देशभर से शामिल हुए। अंत में प्रो. माहेश्वरी ने प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर दिया।

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