नई दिल्ली
बैंक संगठनों के तमाम विरोध के बीच केंद्र सरकार ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण (Bank Privatisation) की प्रक्रिया को लेकर अपने कदम बढ़ाने शुरू कर दिए हैं। RBI ने इसके संकेत दे दिए हैं। सूत्रों के अनुसार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को RBI, सरकार के साथ चर्चा कर रहा है और इस संदर्भ में प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।
इस बीच भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने एक कार्यक्रम में भी साफ कहा कि ‘हम सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के निजीकरण को लेकर सरकार के साथ चर्चा कर रहे हैं और इस संदर्भ में प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा रहा है।’ उन्होंने कहा कि इस संबंध में RBI और वित्त मंत्रालय के बीच बजट से पहले चर्चा हुई थी और बाद में भी चर्चा हुई। उनहोंने कहा कि आरबीआई कीमत और वित्तीय स्थिरता बनाए रखते हुए अर्थव्यवस्था में पुनरुद्धार के लिए अपने सभी नीतिगत उपायों के उपयोग को लेकर प्रतिबद्ध है।
क्या है सरकार की तैयारी
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक फरवरी को 2021-22 का बजट पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी के निजीकरण का प्रस्ताव किया था। उन्होंने यह भी कहा कि देश में कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामले चिंता की बात है लेकिन इससे निपटने के लिए इस बार हमारे पास अतिरिक्त उपाय हैं। सरकार का वित्त वर्ष 2021-22 में दो सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन का प्लान है।
प्राइवेटाइजेशन की लिस्ट में बैंक ऑफ महाराष्ट्र, इंडियन ओवरसीज बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक के नाम की चर्चा है। हालांकि, अभी तक इसको लेकर कोई भी फैसला नहीं हुआ। 4 बैंकों में से 2 का निजीकरण वित्त वर्ष 2021-22 में होगा।
सरकार बैंकिंग सेक्टर में निजीकरण के पहले चरण के तहत मिड साइज और छोटे बैंकों में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रही है।आने वाले सालों में सरकार देश के बड़े बैंकों पर भी दांव लगा सकती है। सरकार देश में सिर्फ 5 बैंक रखना चाहती है। बाकी बैंकों का या तो मर्जर होगा या फिर उनका निजीकरण कर दिया जाएगा। लेकिन सरकार उन्हीं बैंकों का आपस में मर्जर कराएगी जिनका एक्सपोजर पूरे देश में होगा
बैंक कर्मचारी कर रहे हैं विरोध
सरकारी बैंकों के प्राइवेटाइजेशन को लेकर बैंक यूनियन इसका विरोध कर रही हैं। इसको लेकर मार्च महीने की 15 और 16 तारीख को बैंकों के करीब 10 लाख कर्मचारियों ने हड़ताल की थी। यूनाइडेट फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स (UFBU) के तहत 9 यूनियन ने सरकारी बैंकों के निजीकरण (Privatisation of PSBs) का विरोध किया। बैंक यूनियनों के अनुमान के मुताबिक, बैंक ऑफ इंडिया में करीब 50,000 कर्मचारी हैं और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में 33,000 कर्मचारी हैं, जबकि इंडियन ओवरसीज बैंक में 26,000 कर्मचारी हैं और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में लगभग 13,000 कर्मचारी हैं।