गुलाम नबी आजाद का हल्ला बोल, अब बांधे PM मोदी की तारीफ के पुल, कहा- कामयाबी के बावजूद अपनी जड़ें नहीं भूले मोदी, उनसे सीखना चाहिए

योगेन्द्र गुप्ता  

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कांग्रेस में दंगल पहुंचा चरम पर, आजाद विरोधी नेता भी मैदान में कूदे और दी नसीहत- आने वाले चुनावों में पार्टी को मजबूत कर वफादारी दिखाएं


कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद गुलाम नबी आजाद ने अपने आलाकमान पर क्या सवाल खड़े किए कि पार्टी में दंगल चरम पर पहुंच  गया है। 28 फरवरी को श्रीनगर में गुज्जर समुदाय के एक कार्यक्रम में गुलाम नबी आजाद ने एक बार फिर हल्ला बोला। लेकिन दूसरे तरीके से। अपने आलाकमान को निशाने पर लेने के बाद उन्होंने अब गुज्जर समुदाय के इस  कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ़ के पुल बांध दिए। आजाद ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जमीन से जुड़े नेता हैं और लोगों को उनसे सीखना चाहिए कि कामयाबी की बुलंदियों पर जाने के बाद भी कैसे अपनी जड़ों को याद रखा जाता है। जब आजाद अपनी यह बात कह रहे थे उसी दौरान कांग्रेस पार्टी में  उनके विरोधी नेता भी आजाद पर जमकर हल्ला बोल रहे थे और नसीहत दे रहे थे कि आजाद  आने वाले चुनावों में पार्टी को मजबूत कर वफादारी दिखाएं।

उल्लेखनीय है कि एक दिन पहले ही कांग्रेस हाईकमान की कार्य प्रणाली को लेकर गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल, आनन्द शर्मा, मनीष तिवारी सरीखे नेताओं ने जम्मू में इकट्ठा होकर अपनी ताकत भी दिखाई थी। इन नेताओं ने गुलाम नबी आजाद के साथ पार्टी के सलूक को लेकर भी नाराजगी जताई थी। गुलाम नबी आजाद पार्टी के उन 23 नेताओं में प्रमुख चेहरा हैं जो पार्टी नेतृत्व को लेकर मोर्चा खोल चुके हैं। पार्टी से नाराज इन सीनियर नेताओं को G-23 के नाम से भी जाना जाता है। इन्होंने ही कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, जिसमें पार्टी को चलाने के तौर-तरीकों पर सवाल उठाए गए थे।

मोदी ने असलियत नहीं छुपाई 
एक दिन पहले ही जी-23 के नेताओं ने कांग्रेस आलाकमान को यह स्वीकार करने की नसीहत दी थी कि पार्टी कमजोर हुई है और इसे मजबूत करने के लिए काम करने की जरूरत है। 28 फरवरी को पार्टी का यह असंतोष दुसरे रूप में सामने आया जिसमें गुलाम नबी आजाद आगे आए। एक कार्यक्रम में  मोदी की तारीफ़ करते हुए आजाद ने कहा, ‘कई नेताओं में बहुत सी अच्छी बातें होती हैं। मेरे PM मोदी के साथ राजनीतिक मतभेद हैं, लेकिन वास्तव में वे एक जमीनी व्यक्ति हैं। मैं खुद गांव का हूं और मुझे भी इस बात पर बहुत फख्र है। मोदी भी कहते हैं कि बर्तन मांजता था, चाय बेचता था। निजी तौर पर हम उनके खिलाफ हैं, लेकिन जो इंसान अपनी असलियत नहीं छिपाते, वे हमेशा जड़ों से जुड़े होते हैं। यदि आपने अपनी असलियत छिपाई तो आप मशीनी दुनिया में जी रहे होते हैं।’

राज्य सभा में आजाद की तारीफ करते-करते मोदी हो गए थे भावुक
दरअसल तारीफों का यह सिलसिला राज्यसभा में ही शुरू हो गया था। गुलाम नबी आजाद की राज्यसभा से विदाई के समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनकी जमकर तारीफ की थी। तब गुजरात के लोगों पर कश्मीर में हुए एक आतंकी घटना का जिक्र कर PM आजाद की तारीफ करते-करते भावुक भी हो गए थे और उन्होंने उस समय आजाद को सैल्यूट भी किया था। बाद में आजाद भी भावुक हो गए थे।

विधानसभा चुनावों में  दिखाएं वफादारी: सिंघवी 
कांग्रेस के G-23  (असंतुष्ट नेताओं का ग्रुप) की पीड़ा सार्वजनिक रूप से आने के बाद उन पर पलटवार किया कांग्रेस के दूसरे दिग्गज नेता और सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने। सिंघवी ने कहा कि बेहतर होता अगर ये नेता चार राज्यों (पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, असम) और पुडुचेरी में विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की मदद करते। सिंघवी ने कहा, ‘वे सभी पार्टी के सम्मानित नेता है। हम उनकी इज्जत करते हैं। उन्होंने कहा कि गुलाम नबी आजाद 7 बार कांग्रेस से सांसद रहे। सोनिया जी ने उन्हें मुख्यमंत्री बनाया। इंदिरा जी ने केबिनेट में जगह दी। सिंघवी ने कहा कि गुलाम नबी आजाद कांग्रेस के महासचिव रहे और देशभर के 20 राज्यों के प्रभारी रहे

सीनियर लीडर्स रच रहे हैं साजिश: रंजीत रंजन

अभिषेक मनु सिंघवी के बाद कांग्रेस की या और दिग्गज नेता और पूर्व लोकसभा सांसद रंजीत रंजन भी G-23 नेताओं के खिलाफ खुलकर सामने आ गईं। रंजीत रंजन ने तो यहां तक कह  दिया कि 5 राज्यों में होने वाले चुनाव से पहले वरिष्ठ नेताओं का यह व्यवहार पार्टी के खिलाफ साजिश है। उनका आरोप था कि वे ऐसा सिर्फ राज्यसभा सीट पाने के लिए कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग राज्यसभा सीट के लिए पार्टी की आलोचना कर रहे हैं, जबकि पार्टी ने इन G-23 नेताओं को बहुत कुछ दिया है।

पार्टी की हालत के लिए G-23 नेता जिम्मेदार, गांधी परिवार नहीं
रंजीत रंजन ने माना कि पार्टी की हालत सही नहीं है। पर इसके लिए G-23 नेता जिम्मेदार हैं।  उन्होंने कहा कि ये नेता जो कहते हैं कि कांग्रेस पार्टी पिछले 30 साल से लगातार पतन की ओर जा रही है, उनसे यह सवाल है कि क्या ये G-23 नेता इसके लिए जिम्मेदार नहीं हैं। क्या इन लोगों ने कांग्रेस पार्टी को कमजोर किया? उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी की कमजोरी के लिए गांधी परिवार पर आरोप लगाना गलत है। उन्होंने इन G-23 नेताओं को ही पार्टी की इस हालत का जिम्मेदार बताया, क्योंकि वे अपने युवा अवस्था से ही पार्टी के साथ थे और उन्होंने पार्टी को बचाने के लिए कुछ नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज जब हमारे युवा नेताओं को वरिष्ठ नेताओं के मार्गदर्शन की जरूरत है। उनके साथ काम करने की जरूरत है। ऐसे वक्त यह G-23 नेता पब्लिक प्लेटफॉर्म पर पार्टी के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में शांति सम्मेलन का आयोजन पार्टी के खिलाफ बोलने के लिए ही किया गया था। उन्होंने तो यहां तक कह  दिया कि 5 राज्यों में होने वाले चुनाव से पहले वरिष्ठ नेताओं का यह व्यवहार पार्टी के खिलाफ साजिश है। उनका आरोप था कि वे ऐसा सिर्फ राज्यसभा सीट पाने के लिए कर रहे हैं। न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कुछ लोग राज्यसभा सीट के लिए पार्टी की आलोचना कर रहे हैं, जबकि पार्टी ने इन G-23 नेताओं को बहुत कुछ दिया है।





 

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