बवाल से बचने को दबाव में आए गहलोत, अब सचिन को खाली नहीं करना पड़ेगा बंगला, विश्वेन्द्र और रमेश मीना को भी मिली राहत

योगेन्द्र गुप्ता 

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने धुर विरोधी और कुछ समय पहले मंत्रिमंडल से बर्खास्त किए गए पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट पर मेहरबानी करना शुरू कर दिया है। यह मेहरबानी सचिन पायलट के सरकारी बंगले को लेकर की गई है। अब सचिन पायलट को अपना यह सरकारी बंगला खाली नहीं करना पड़ेगा। सरकार ने इसके लिए बैक डोर से रास्ता निकाला है।

क्या दबाव में आ गए गहलोत?
सचिन को मौजूदा सरकारी बंगला उस समय आवंटित किया गया था जब उनको उप मुख्यमंत्री बनाया गया था। पर बाद में उन्हें बगावत के चलते सरकार से बर्खास्त कर दिया गया था। तभी से सचिन विरोधी धड़ा यह सरकारी बंगला खाली कराने की मुहिम भी चलाए हुए था।

बताया जाता है कि पिछले कुछ दिनों के राजनीतिक घटनाक्रम ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दबाव में ला दिया और सचिन पायलट और उनके गुट के प्रति नरमी दिखाने को मजबूर कर दिया। वरना गहलोत सार्वजनिक मंचों पर कई बार सचिन के लिए खरी-खरी ही नहीं सुना सके बल्कि सचिन के लिए गहलोत ने चुन -चुन कर ऐसे – ऐसे शब्दों का इस्तेमाल किया कि उससे लगा वह सचिन को माफ़ कतई नहीं करेंगे। गहलोत ने इससे पहले अपने राजनीतिक जीवन में कभी भी इतने हलके अंदाज में बात नहीं कही थी।

पर अब मुख्यमंत्री गहलोत दबाव में क्यों आए और क्यों सचिन पायलट पर मेहरबानी कर दी, इसकी कुछ वजह सामने आई हैं। पहली ये कि पिछले कुछ माह से राजस्थान में कांग्रेस सरकार के कामकाज के तौर – तरीकों को लेकर जनता में सरकार के बढ़ती नाराजगी। सरकार का खुपिया तंत्र समय – समय पर इस बारे में सरकार को बताता भी रहा है। इस नाराज़गी की झलक पिछले दिनों सम्पन्न पंचायत और नगरीय निकाय चुनावों में भी देखने को मिली। इन चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन कोई बहुत ज़्यादा उत्साहजनक और आशानुकूल नहीं कहा जा सकता।

वहीं सचिन पायलट और उनके धड़े ने भी कुछ सप्ताह के विराम के बाद अपनी ताक़त दिखाना शुरू कर दिया। यह धड़ा दौसा और भरतपुर जिले में दो बड़े किसान सम्मेलन करके अपने इरादे जाहिर कर चुका है। वैसे भी सरकार से बर्खास्तगी के बाद सचिन पायलट के पास खोने को कुछ है नहीं। पर लुढ़काने को तो बहुत कुछ है। राजनीति के बड़े चतुर खिलाड़ी अशोक गहलोत शायद इस स्थिति को भांप गए और सचिन धड़े के प्रति नरमी दिखाना शुरू कर दिया। उप मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद भी अब सरकारी बंगला खाली नहीं करवाने और बैक डोर से रास्ता निकालने का निर्णय भी दबाव में आने की ओर इशारा कर रहा है। गहलोत ने सचिन के साथ – साथ सचिन के धड़े के ही पूर्व मंत्री विश्वेंद्र सिंह और रमेश मीणा को भी अब अब अपने सरकारी बंगले नहीं खाली करने पड़ेंगे।





 

ऐसे निकाला रास्ता
दरअसल  ये बंगले केवल मंत्रियों के लिए ही आवंटित हैं। पर अब सचिन धड़े की मंत्री पद से बर्खास्तगी के बाद उनका इन सरकारी बंगलों में रहने का दावा कमजोर पड़ गया था। गहलोत गुट के लोग भी किसी भी सूरत में बंगला खाली करवाना चाहते थे। पर अब बदली राजनीतिक परिस्थितियों में बंगला आवंटित करने का वही फार्मूला निकाला जो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए गहलोत सरकार ने ही निकाला था।जिस तरह से पहले विधानसभा अध्यक्ष के विशेष अधिकार के तहत वसुंधरा राजे का बंगला उनके निवास के रूप में बरकरार रखा गया था। ठीक उसी तरह अब सचिन पायलट समेत तीनों पूर्व मंत्रियों को ये बंगले नियमित करके उन्हें बरकरार रखे जाने का निर्णय किया गया  है।





 

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