नई दिल्ली
खेल से जुड़ी हुई एक बड़ी खबर आ रही है। केंद्र की मोदी सरकार ने राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम अब बदल दिया है। सरकार ने इसे हॉकी के ‘जादूगर’ कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के नाम पर रखने का फैसला किया है। इस घोषणा के साथ ही देश का सम्पूर्ण खेल जगत झूम उठा है। खेल विशेषज्ञ मानते हैं ध्यानचंद इसके असल हकदार हैं और उनके नाम पर मिलने वाले सम्मान से खिलाड़ी अपने आपको गौरवान्वित महसूस करेंगे।
मोदी ने कहा- ध्यानचंद भारत के पहले खिलाड़ी थे, जो देश के लिए सम्मान और गर्व लाए। देश में खेल का सर्वोच्च पुरस्कार उनके नाम पर रखा जाना ही उचित है। अब राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद खेल रत्न अवॉर्ड होगा। पीएम मोदी ने ट्वीट में लिखा, ‘देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।’
I have been getting many requests from citizens across India to name the Khel Ratna Award after Major Dhyan Chand. I thank them for their views.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
Respecting their sentiment, the Khel Ratna Award will hereby be called the Major Dhyan Chand Khel Ratna Award!
Jai Hind! pic.twitter.com/zbStlMNHdq
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि टोक्यो ओलंपिक में भारतीय पुरुष और महिला हॉकी टीमों के प्रदर्शन ने पूरे देश को रोमांचित किया है। उन्होंने कहा कि अब हॉकी में लोगों की दिलचस्पी फिर से बढ़ी है जो आने वाले समय के लिए सकारात्मक संकेत है। खेल रत्न सम्मान के तहत 25 लाख रुपए नकद पुरस्कार दिया जाता है।
देश को गर्वित कर देने वाले पलों के बीच अनेक देशवासियों का ये आग्रह भी सामने आया है कि खेल रत्न पुरस्कार का नाम मेजर ध्यानचंद जी को समर्पित किया जाए। लोगों की भावनाओं को देखते हुए, इसका नाम अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार किया जा रहा है।
— Narendra Modi (@narendramodi) August 6, 2021
जय हिंद!
ध्यानचंद का हॉकी में अविश्वसनीय योगदान
हॉकी के ‘जादूगर’ कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद का हॉकी में अविश्वसनीय योगदान रहा है। उन्होंने अपने आखिरी ओलंपिक (बर्लिन 1936) में कुल 13 गोल दागे थे। इस तरह एम्स्टर्डम, लॉस एंजेलिस और बर्लिन ओलंपिक को मिलाकर ध्यानचंद ने कुल 39 गोल किए, जिससे उनके बेहतरीन प्रदर्शन का पता चलता है। उनके जन्मदिन (29 अगस्त) को भारत के राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी दिन हर साल खेल में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए सर्वोच्च खेल सम्मान खेल रत्न के अलावा अर्जुन और द्रोणाचार्य पुरस्कार दिए जाते हैं। इस अवॉर्ड की शुरुआत 1991-92 में की गई थी।
ध्यानचंद की उपलब्धियों का सफर भारतीय खेल इतिहास को गौरवान्वित करता है। लगातार तीन ओलंपिक (1928 एम्सटर्डम, 1932 लॉस एंजेलिस और 1936 बर्लिन) में भारत को हॉकी का स्वर्ण पदक दिलाने वाले ध्यानचंद के जीवट का हर कोई कायल रहा। ध्यानचंद की उपलब्धियों को अब जाकर सम्मान मिला है।
इसलिए कहा जाता है हॉकी का जादूगर
मेजर ध्यानचंद का जन्म 29 अगस्त 1905 को प्रयागराज में हुआ था। भारत में यह दिन राष्ट्रीय खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है। ध्यानचंद ने सिर्फ 16 साल की उम्र में भारतीय सेना जॉइन कर ली थी। वे ड्यूटी के बाद चांद की रोशनी में हॉकी की प्रैक्टिस करते थे, इसलिए उन्हें ध्यानचंद कहा जाने लगा। उनके खेल की बदौलत ही भारत ने 1928, 1932 और 1936 के ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीता था। 1928 में एम्सटर्डम ओलिंपिक में उन्होंने सबसे ज्यादा 14 गोल किए। तब एक स्थानीय अखबार ने लिखा, ‘यह हॉकी नहीं, जादू था और ध्यानचंद हॉकी के जादूगर हैं।’ तभी से उन्हें हॉकी का जादूगर कहा जाने लगा।
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