देशभर से नाथद्वारा में जुटे हिंदी प्रेमी, बोले; हिंदी को रोजगार और नौकरी की भाषा बनाई जाए

नाथद्वारा (उदयपुर)

‘हिंदी लाओ देश बचाओ’ कार्यक्रम के तहत श्रीनाथद्वारा उदयपुर में देशभर के हिन्दी प्रेमी जुटे। बुधवार को द्वितीय दिवस प्रातः कालीन सत्र के मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार रामेश्वर शर्मा रामू भैया ने अपने उद्बोधन में कहा कि भारत अपनी राष्ट्रभाषा के बिना शब्द हीन ही नहीं, भाव हीन भी होता जा रहा है। हमारे देश में आज भाषाई विकलांगता है और इसे दूर करना बहुत आवश्यक है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहीं आगरा से पधारीं साहित्यकार डॉ.मृणाल शर्मा ने कहा कोई भी भाषा जब तक रोटी और रोजगार की भाषा नहीं बनती, तब तक वह मजबूत नहीं बनेगी। हमें हिंदी को नौकरी और रोजगार की भाषा बनाना बहुत आवश्यक है, जिससे हिंदी का विकास हो और इसे विश्व में स्थापित किया जा सके।

कार्यक्रम में इस अवसर पर डॉ.एस पार्थसारथी, चेन्नई ने ‘हिंदी के विकास में तमिल साहित्यकारों की भूमिका’, संतोष कुमार तिवारी, नैनीताल ने ‘उत्तराखंड के साहित्यकार और राष्ट्रभाषा हिंदी’ , नरेंद्र निर्मल भरतपुर ने ‘राजस्थान के प्रशासनिक कार्यों में हिंदी उपेक्षित क्यों’  विषय पर आलेख वाचन किया। ‘ हिंदी भाषा अमर रहेगी’  विषय पर काव्यकारों ने एक से एक शानदार कविता एवं गीतों की प्रस्तुति दीं।

हिंदी काव्य भूषण की मानद उपाधि से इनका हुआ सम्मान
इस अवसर पर डॉ. सुभाष चंद्र गुप्ता, प्रयागराज,  रविंद्र नाथ तिवारी, लखनऊ,  परमानंद शर्मा, आगरा, राजबाला, राज हिसार, श्रीमती तारा प्रजापति प्रीत, जोधपुर, श्रीमती निशी राज जैन, आगरा को हिंदी काव्य भूषण की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। इसी सत्र में मंचासीन अतिथियों द्वारा सत्यनारायण व्यास मधुप की नवोदित कृति अभिव्यक्ति एवं प्रमोद रामावत प्रमोद की नवीन कृति ‘सहने की भी हद होती है’ का विमोचन किया गया।

कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि  व्यंग्यकार सुरेंद्र सार्थक डीग, प्रबुद्ध साहित्यकार डॉ. राधेश्याम शुक्ल हिसार एवं डा. वेद प्रकाश दिल्ली ने अपने उद्बोधन में हिंदी की दशा दिशा पर विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन श्याम प्रकाश देवपुरा, हरि ओम हरि एवं विट्ठल पारीक ने किया।

मध्यान्ह सत्र में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं कार्यक्रम अधिकारी प्रसार भारती दिल्ली डॉ. जैनेंद्र सिंह ने कहा कि विकास और ज्ञान इंसान की मातृभाषा में ही सरल और ग्राह्य हो सकता है। हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के लिए अपना फैलाव करना होगा और हिंदी भाषियों के लिए उदार और व्यापक सोच वाला भाषा का उद्देश्य, संवाद और संपर्क करना होगा।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कोठा वल्लभ पीठाधीश्वर  विनय बाबा ने की । उन्होंने कहा कि हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की इच्छा रखने वाले लोगों को खुली उदारता के तरीकों को अंगीकृत करना होगा। उन सभी बाधाओं को दूर करना होगा, जो हिंदी के राष्ट्रभाषा बनने में बाधक हों और जो षडयंत्रों के रूप में सामने लाई जा रही हैं।

कार्यक्रम में डॉ. पदमा वशिष्ठ करनाल ने  हरियाणा के साहित्यकारों का हिंदी  भाषा में योगदान, डॉ.दयानंद गौतम कुल्लू ने ‘हिंदी प्रदेश हिमाचल प्रदेश में हिंदी दशा और दिशा’, हरी लाल मिलन कानपुर ने ‘वैश्विक परिवेश में हिंदी की स्थिति’ विषय पर अपने शोध पूर्ण आलेखों का वाचन किया।

इसी क्रम में ‘अंग्रेजी के किले रहेंगे जब हिंदी को लाएंगे’ पंक्ति पर आयोजन में सम्मिलित हुए कवियों ने हिंदी हुंकृति के द्वारा हिंदी जागरण हेतु रचनाओं की प्रस्तुति दी।

इस अवसर पर मंचासीन विशिष्ट अतिथि पंडित मदन मोहन शर्मा उपाध्यक्ष साहित्य मंडल, अशोक अशोक आगरा, पूर्व सचिव, राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी विट्ठल पारीक,  दिनेश सनाढ्य ‘मैं हिंदी भाषा की उत्थान’ पर अपने उद्गार प्रकट किए।

इनका भी हुआ सम्मान
साहित्य कला विज्ञान प्रौद्योगिकी एवं संस्कृति के क्षेत्र में जाति नाम विभूतियों के सम्मान में डॉ.शकुंतला पंवार, उदयपुर को लोक कला भूषण, डॉक्टर गंगा प्रसाद शर्मा गुणशेखर, सूरत को शिक्षा साहित्य मनीषी, डॉ. ऋषि कुमार सिंघल, जयपुर को विज्ञान काव्य निधि रत्न और जैनेंद्र सिंह , दिल्ली को उद्घोषक प्रवर की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया ।

सम्मान की श्रृंखला में  राजेंद्र नाथ मेहरोत्रा, ग्वालियर, दिनेश प्रभात भोपाल, रजनीश त्रिवेदी देहरादून, शांतिलाल सिरोया उदयपुर, नरेश शर्मा फतहनगर, उदयपुर, श्रीमती प्रतिभा जिंदल, आगरा को संपादक रत्न की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।

मंचासीन अतिथियों द्वारा डॉ.सुधा पांडे गंगरार , चित्तौड़गढ़, डॉ.वेद प्रकाश दिल्ली, डॉ. लीला दीवान, जोधपुर, डॉ. बाबूलाल मीणा, भरतपुर, श्याम शंकर शर्मा, जयपुर, रजनी रमन शर्मा, इंदौर को हिंदी भाषा शिरोमणि एवं दीनानाथ दुबे, कोटा, राजेंद्र कुमार राज, जयपुर, आदर्श नंदन गुप्ता, आगरा, विनोद कुमार चूड़ामणि, मथुरा,  दिनेश चौधरी, राजसमंद,  शत्रुघ्न शर्मा, गौतम ,अहमदाबाद को पत्रकार प्रवर की मानद उपाधि से अलंकृत किया गया।

इस अवसर पर संस्थान की मुख पत्रिका त्रैमासिकी हरसिंगार के ‘हिंदी लाओ देश बचाओ’ अंक का लोकार्पण मंचासीन अतिथियों द्वारा किया गया। सत्र का संचालन श्याम प्रकाश देवपुरा एवं हरि ओम हरी द्वारा  किया गया।

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