न्याय – कर्म की धार धरो…

श्रीकृष्ण जन्माष्टमी 

डॉ. शिखा अग्रवाल


कृष्ण, तुम्ही हर युग की शक्ति,
नीति, धर्म संस्थापक हो,
अधर्म, अनीति-हंता हो तुम,
जीवन पथ निर्धारक हो।

रण में विचलित हुए पार्थ जो,
देख भीष्म औ’ कौरव को,
धर्म और कर्तव्य मार्ग का,
शाश्वत ज्ञान दिया उनको।

प्रेम भाव से राधा संग तुम,
भक्ति संग मीरा के हो,
पांचाली के शील के रक्षक,
सच है कि तुम सबके हो।

दीन सुदामा को सब दीन्हा,
दिया मित्रता का उपहार।
दुर्योधन को दे दी सेना,
दिया पार्थ को गीता ज्ञान।

तन नश्वर पर, रूह को साधें,
वही अनश्वर, अजर – अमर।
विचलित ना हो कठिनाई से,
न्याय – कर्म की धार धरें।

बाल रूप से विराट रूप तक,
सब कुछ तुमने दिखा दिया।
सहज रहे जीवन में हर दिन,
स्मित हास से सिखा दिया।

अन्याय से लड़ कर जीना,
हे माधव, ये बता दिया।
जीवन की हर कठिनाई का,
समाधान तुमने ही दिया।

(लेखिका राजकीय महाविद्यालय, सुजानगढ़ में सह आचार्य हैं)

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