नई दिल्ली
लोकसभा का स्पीकर बनते ही ओम बिरला ने ऐसी बात कह दी कि कांग्रेस अवाक् रह गई। ओम बिरला ने कांग्रेस को चुभने वाली बात कह दी; यहां तक तो ठीक थी; लेकिन बिरला ने इस बात को लेकर सदन में निंदा प्रस्ताव तक पारित करा दिया और दो मिनट का मौन भी रखवा दिया। फिर क्या था; सदन में जोरदार हंगामा खड़ा हो गया और इसी हंगामे के बीच निंदा प्रस्ताव पारित हो गया। स्पीकर ने जो बात सदन में काही उससे विपक्ष भी बंट गया। कांग्रेस अलघ-थलग पड़ गई।
आज लोकसभा (Lok Sabha) में अलग ही नजारा था। ओम बिरला के फिर से लोकसभा स्पीकर बनने पर विपक्ष ने जहां स्वागत किया, साथ ही निष्कासन के मामलों को लेकर ताने भी कसे। लेकिन जब ओम बिरला ने स्पीकर बनने के बाद अपनी पहली स्पीच दी तो पासा ही पलट गया। उनकी यह स्पीच सुनकर कांग्रेस हक्का-बक्का रह गई। दरअसल आज लोकसभा स्पीकर बनते ही अपनी पहली ही स्पीच में ओम बिरला ने1975 में इंंदिरा गांधी द्वारा लगाई गई इमरजेंसी (Emergency) का सदन में जिक्र कर दिया। उन्होंने इमरजेंसी को लोकतंत्र के इतिहास का काला अध्याय बताया। यही नहीं उन्होंने कांग्रेस को उसके लिए घेरा और सदन में दो मिनट का मौन भी रखवा दिया।
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा, “यह सदन 1975 में आपातकाल लगाने के फैसले की कड़ी निंदा करता है। इसके साथ ही हम उन सभी लोगों के दृढ़ संकल्प की सराहना करते हैं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया, संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया।” ओम बिरला ने कहा कि 25 जून 1975 को भारत के इतिहास में हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा। इस दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाया और बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान पर हमला किया। भारत पूरी दुनिया में लोकतंत्र की जननी के रूप में जाना जाता है। भारत में हमेशा से लोकतांत्रिक मूल्यों और वाद-विवाद का समर्थन किया गया है। उन्होंने आगे कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों की हमेशा रक्षा की गई है, उन्हें हमेशा प्रोत्साहित किया गया है। ऐसे भारत पर इंदिरा गांधी द्वारा तानाशाही थोपी गई। भारत के लोकतांत्रिक मूल्यों को कुचला गया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटा गया।
‘देश को जेलखाना बना दिया’
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि इमरजेंसी के दौरान भारत के नागरिकों के अधिकार नष्ट कर दिए गए, पूरी आजादी छीन ली गई। ये दौर था जब विपक्ष के नेताओं को जेल में बंद कर दिया गया। पूरे देश को जेलखाना बना दिया गया। तब की तानाशाह सरकार ने मीडिया पर अनेक पाबंदिया लगाई थी। न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर अंकुश लगा दिया गया था। इमरजेंसी का वह समय हमारे देश के इतिहास में अन्यायकाल का एक काला खंड था। इमरजेंसी लगाने के बाद कांग्रेस सरकार ने कुछ ऐसे फैसले किए, जिन्होंने हमारे संविधान की भावनाओं को कुचलने का काम किया।
ओम बिरला ने कहा कि आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम में बदलवा करके कांग्रेस पार्टी ने सुनिश्चित किया कि हमारी अदालतें गिरफ्तार लोगों को न्याय नहींं दे पाएं। मीडिया को सच लिखने से रोकने के लिए अधिनियम लाए गए। इस काले खंड में संंविधान में 38वां, 39वां, 40वां, 41वां और 42वां संविधान संशोधन किया गया। इसका उद्देश्य था कि सारी शक्तियां एक व्यक्ति के पास आ जाएं।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने लोकतंत्र सिद्धांत पर आघात किया। इमरजेंसी के दौरान लोगों को कांग्रेस सरकार द्वारा जबरन थोपी गई अनिवार्य नसबंदी का प्रहार झेलना पड़ा। ये सदन उन सभी लोगों के प्रति संवेदना जताना चाहता है।इमरजेंसी का काला खंड हमें याद दिलाता है कि कैसे उस वक्त हम सभी पर हमला किया गया। ऐसे समय में जब इमरजेंसी के 50वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये 18वीं लोकसभा अपनी प्रतिबद्धता को दोहराती है। हम भारत में कानून का शासन और शक्तियों का विकेंद्रीकरण अक्षुण रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
ओम बिरला की इस स्पीच के बाद सदन में हंगामा खड़ा हो गया। विपक्ष के नेताओं ने नारेबाजी शुरू कर दी। विपक्षी दलों के इसी हंगामे के बीच लोकसभा ने सदन में निंदा प्रस्ताव पारित किया। सदन की कार्यवाही के समापन के बाद केंद्रीय मंत्रियों और एनडीए सांसदों ने संसद भवन की सीढ़ियों पर विरोध प्रदर्शन कर देश में आपातकाल लगाने के लिए कांग्रेस के खिलाफ जमकर नारेबाजी की और माफी मांगने की भी मांग की। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू और प्रल्हाद जोशी ने आपातकाल लगाने के लिए कांग्रेस से माफी मांगने की मांग की। साथ ही भारतीय लोकतंत्र के प्रति मोदी सरकार की प्रतिबद्धता का भी जिक्र करते हुए दावा किया कि उनकी सरकार संविधान की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।
इससे पहले, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सदन में आपातकाल लगाए जाने के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि ये सदन 1975 में देश में आपातकाल लगाने के निर्णय की कड़े शब्दों में निंदा करता है। इसके साथ ही हम, उन सभी लोगों की संकल्पशक्ति की सराहना करते हैं, जिन्होंने इमरजेंसी का पुरजोर विरोध किया, अभूतपूर्व संघर्ष किया और भारत के लोकतंत्र की रक्षा का दायित्व निभाया। भारत के इतिहास में 25 जून 1975 के उस दिन को हमेशा एक काले अध्याय के रूप में जाना जाएगा।
… और विपक्ष बंट गया
इमरजेंसी पर संसद में विपक्ष बंटा दिखाई दिया। इमरजेंसी को लेकर स्पीकर के प्रस्ताव का विरोध सिर्फ कांग्रेस सांसदों ने किया। सूत्रों के मुताबिक, इंडिया गठबंधन के सहयोगी दल समाजवादी पार्टी और टीएमसी ने कांग्रेस का इस मुद्दे पर साथ नहीं दिया।
सपा और तृणमूल कांग्रेस ने लोकसभा में आपातकाल के खिलाफ प्रस्ताव का समर्थन किया।कांग्रेस पार्टी ने स्पीकर के प्रस्ताव का विरोध किया। जबकि, टीएमसी और सपा सांसदों ने इस पर कांग्रेस का साथ नहीं दिया। इतना ही नहीं इमरजेंसी के दौरान मारे गए लोगों को समाजवादी पार्टी और टीएमसी के सांसदों ने श्रद्धांजलि भी दी।
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