पेपर से पहले मौत | भरतपुर मेडिकल कॉलेज में तीसरे वर्ष के छात्र ने की आत्महत्या

भरतपुर 

भरतपुर (Bharatpur) के श्री जगन्नाथ पहाड़िया मेडिकल कॉलेज (Shri Jagannath Pahariya Medical College) में शुक्रवार सुबह एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई। एमबीबीएस तृतीय वर्ष (2022 बैच) के छात्र अविरल सैनी (23) ने अपनी जीवनलीला समाप्त कर ली। परीक्षा देने के लिए जहां बाकी छात्र तैयारी कर रहे थे, वहीं अविरल अपने कमरे में मृत पाया गया। घटना के बाद कॉलेज परिसर में शोक और स्तब्धता का माहौल है।

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अविरल सैनी अलवर निवासी ख्यालीराम सैनी का पुत्र था और कॉलेज के सामने स्थित एक पीजी हॉस्टल में रहता था। शुक्रवार को उसका तीसरे वर्ष का अंतिम पेपर था।

साथी छात्रों के अनुसार, परीक्षा से पहले अविरल ने कहा था— “मुझे 8:55 पर जगा देना।” इसके बाद वह अपने कमरे में चला गया। जब निर्धारित समय पर साथी उसे जगाने पहुंचे तो दरवाजा अंदर से बंद मिला। आवाज देने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई। खिड़की से झांककर देखा गया तो अविरल फंदे से लटका हुआ था।

छात्रों ने दरवाजा तोड़ा और उसे नीचे उतारकर आरबीएम अस्पताल ले गए, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। हॉस्टल वार्डन राधेश्याम ने बताया कि अविरल का स्वभाव शांत था और वह पढ़ाई में भी ठीक था। उसके किसी से विवाद, तनाव या अवसाद जैसी स्थिति की जानकारी अब तक सामने नहीं आई।

पुलिस ने मौके पर पहुंचकर जांच शुरू कर दी है। शव को मोर्चरी में रखवाया गया है और परिजनों के भरतपुर पहुंचने के बाद पोस्टमार्टम किया जाएगा।

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क्या परीक्षा का दबाव बना वजह?

मेडिकल शिक्षा को देश में सबसे कठिन पाठ्यक्रमों में माना जाता है। MBBS छात्र लगातार लंबे घंटों की पढ़ाई, प्रैक्टिकल, क्लीनिकल वर्क और एग्जामिनेशन स्ट्रेस से गुजरते हैं। ऐसे में मानसिक दबाव बढ़ना सामान्य है, लेकिन कई बार यह दबाव अकेलेपन और चुपचाप तनाव झेलने की स्थिति में खतरनाक हो सकता है।

भरतपुर मेडिकल कॉलेज के छात्रों ने भी कई बार बताया है कि—

  • सिलेबस बहुत भारी होता है,

  • परीक्षाओं का पैटर्न लगातार तनाव पैदा करता है,

  • और कई छात्र अपने परिवार से दूर रहने के कारण भावनात्मक सहारा नहीं पाते।

हालांकि, पुलिस जांच पूरी होने तक यह साफ़ नहीं है कि अविरल सैनी ने आत्महत्या परीक्षा के दबाव, किसी व्यक्तिगत कारण, या मानसिक तनाव के चलते की।
लेकिन यह घटना फिर से यह सवाल खड़ा करती है कि—

क्या मेडिकल संस्थानों में छात्रों की मानसिक स्वास्थ्य पर जरूरी ध्यान दिया जा रहा है?

विशेषज्ञ और मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि मेडिकल कॉलेजों में Counselling Cell, Stress Support Group और Peer Support System को सक्रिय और सुलभ बनाना ज़रूरी है, ताकि छात्र अकेले न पड़ें।

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