भरतपुर
रामेश्वरी देवी कन्या महाविद्यालय, भरतपुर के आईक्यूएसी द्वारा संभाग स्तरीय आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ (डीएलक्यूएसी) की ओर से एक दिवसीय ऑनलाइन कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला का विषय “NAAC मान्यता प्राप्त करना : संस्थागत विशिष्टता की पहचान” रहा।
कार्यशाला में भरतपुर संभाग के वे सभी महाविद्यालय शामिल हुए, जो अब तक राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (NAAC) से प्रत्यायित नहीं हैं।

महाविद्यालय की प्राचार्य एवं कार्यशाला की संरक्षक डॉ. मधु शर्मा ने कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए कहा कि सभी उच्च शिक्षण संस्थानों को NAAC से मूल्यांकन और मान्यता प्राप्त करना अनिवार्य है, ताकि शैक्षिक गुणवत्ता सुनिश्चित हो सके। उन्होंने उन महाविद्यालयों से विशेष रूप से NAAC प्रत्यायन के लिए तत्पर होने का आह्वान किया, जिनका अब तक एक बार भी प्रत्यायन नहीं हुआ है या जिनकी प्रत्यायन अवधि समाप्त हो चुकी है।
कार्यशाला की आयोजन सचिव प्रो. (डॉ.) अंजु पाठक ने संभाग के सभी महाविद्यालयों के NAAC संयोजकों और वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि प्रत्येक महाविद्यालय को शीघ्र ही आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) का गठन कर इसकी प्रक्रियाओं को सक्रिय करना चाहिए। उन्होंने आश्वासन दिया कि उनका महाविद्यालय इस कार्य में हर सम्भव सहयोग देगा।
राज्य स्तरीय आंतरिक गुणवत्ता प्रकोष्ठ (एसएलक्यूएसी) से प्रो. अंजु सुथार, संयुक्त निदेशक (PM-USHA) एवं सदस्य सचिव (एसएलक्यूएसी) ने अपने वक्तव्य में कहा कि गैर-NAAC प्रत्यायित महाविद्यालयों को हर हाल में प्रत्यायित कराना आवश्यक है। वहीं, प्रो. प्रज्ञा टांक, असिस्टेंट डायरेक्टर एवं APD (PM-USHA) ने संस्थानों में आईक्यूएसी गठन तथा संस्थागत विशिष्टताओं की पहचान कर नैक प्रत्यायन की तैयारी पर बल दिया।
कार्यशाला के प्रथम सत्र में मुख्य वक्ता प्रो. फिरोज अख्तर, राजकीय महाविद्यालय, बयाना ने NAAC मूल्यांकन की विस्तृत प्रक्रिया पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि संस्थागत विकास में समाज के गणमान्य भामाशाहों, प्रबुद्ध नागरिकों तथा बुद्धिजीवियों को भी सहभागिता निभानी चाहिए।
द्वितीय सत्र में, डॉ. लखपत सिंह मीना, सह आचार्य, सवाई माधोपुर ने “संस्थागत विशिष्टता” पर केस स्टडी प्रस्तुत करते हुए अपने महाविद्यालय में संचालित आई-स्टार्ट, कौशल विकास, अंग्रेज़ी भाषा बोध आदि कार्यक्रमों की जानकारी साझा की।
तृतीय सत्र में डॉ. लालाशंकर गयावाल ने संस्थागत विशिष्टताओं पर चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी संस्था की विशिष्टता उसके प्राध्यापकों, विद्यार्थियों और उससे जुड़े अन्य सदस्यों में निहित होती है। उनके द्वारा किए गए क्रियाकलाप, समितियाँ, व्यक्तित्व विकास, रोजगारपरक कार्यक्रम तथा विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु समर्पित प्रयास ही संस्था को विशेष बनाते हैं। उन्होंने कहा कि विद्यार्थियों के हित में आयोजित प्रत्येक कार्यक्रम ही महाविद्यालय की वास्तविक विशिष्टता है।

कार्यक्रम के अंत में आईक्यूएसी समिति की ओर से डॉ. नटवर सिंह ने आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर भरतपुर संभाग के विभिन्न महाविद्यालयों के प्राचार्य, आईक्यूएसी प्रभारी एवं सदस्यगण उपस्थित रहे।
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