दौसा
दौसा (Dausa) के मुर्शिद नगर में शुक्रवार सुबह माहौल सूफ़ी रंग में डूब गया। चादर, जुलूस, कव्वाली, दुआ—सब कुछ एक रूहानी लय में बहता दिखा। हज़रत ख़्वाजा सूफ़ी हकीमुद्दीन शाह के 42वें उर्स का आगाज़ चादरपोशी के साथ हुआ।
उर्स शुक्रवार को चादरपोशी के साथ शुरू हुआ। सुबह शेखान मोहल्ला स्थित महफ़िलखाना से चादर शरीफ़ का जुलूस रवाना हुआ, जो नागौरी पुलिया से होकर गुप्तेश्वर सर्किल पहुँचा। यहाँ कव्वाली की महफ़िल सजी। इसके बाद जुलूस दरगाह पहुँचा।
दरगाह पर मजार-ए-पाक पर मखमली चादर चढ़ाकर देश-प्रदेश में अमन, खुशहाली और आपसी मोहब्बत की दुआ की गई। जायरीन के लिए लंगर का इंतज़ाम किया गया, जहां एक साथ बैठकर लोगों ने भोजन किया।रात में मीलाद शरीफ़ और नात-ख़्वानी की महफ़िल हुई।
सज्जादानशीन सूफ़ी इक़बाल शाह मुजफ्फ़री ने कहा कि उर्स मोहब्बत और भाईचारे का संदेश देता है और जायरीन के आने का सिलसिला जारी है।
इस दौरान सूफ़ी शब्बन मियाँ, सूफ़ी रहीस मियाँ, सूफ़ी जलालुद्दीन, सूफ़ी नवाज़ुद्दीन, सूफ़ी रफ़ीक अहमद, सूफ़ी डॉ. अब्दुल लतीफ़ उर्फ़ अन्ना मियाँ, सूफ़ी अज्जी बाबा, सूफ़ी एहसान, सूफ़ी शाकिर वकील, सूफ़ी शाहीन बाबा और सूफ़ी सलाउद्दीन सहित कई मुरीद और अनुयायी मौजूद रहे। दरगाह परिसर में दुकानें और अस्थायी बाज़ार भी सज गए।
आने वाले कार्यक्रम
सूफ़ी डॉ. अब्दुल लतीफ़ शाह अन्ना मियाँ ने बताया कि उर्स के दूसरे दिन (8 नवंबर) को नमाज़-ए-इशा के बाद रात 8 बजे से
हल्का-ए-जिक्र व महफ़िले समाअ (कव्वाली) आयोजित होगी, जिसमें देश के मशहूर कव्वाल सूफ़ीयाना कलाम पेश करेंगे।
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