उदयपुर
राजस्थान के पेंशनर्स अब ‘शांति के प्रतीक’ नहीं, बल्कि अपने हक की लड़ाई में डटे हुए योद्धा बन चुके हैं। गुरुवार को उदयपुर की सड़कों पर ऐसा ही नज़ारा देखने को मिला जब MPUAT, मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय (MLSU) और कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर की उदयपुर ब्रांच के करीब 500 पेंशनर्स और कर्मचारी एकजुट होकर पेंशन की स्थायी व्यवस्था की मांग को लेकर रैली में उतर आए। यह रैली जोधपुर स्थित जेएनवी विश्वविद्यालय के आंदोलन के समर्थन में निकाली गई, जहां 85 दिनों से पेंशनर्स आंदोलनरत हैं।
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रैली राजस्थान कृषि महाविद्यालय द्वार से प्रारंभ होकर एयरपोर्ट रोड, सूरजपोल, बापू बाजार, दिल्ली गेट होते हुए जिलाधीश कार्यालय पहुंची। प्रदर्शनकारी शांति, अनुशासन और नारों के साथ रैली में मार्च करते हुए पहुंचे और अंत में जिलाधीश को ज्ञापन सौंपा।
नेताओं ने क्या कहा?
डॉ. एस.के. भटनागर (अध्यक्ष, MPUAT पेंशनर्स वेलफेयर सोसायटी) ने कहा –
“जीवन की संध्या में भी हमें अपने अधिकारों के लिए आंदोलन करना पड़ रहा है। पेंशन कोई कृपा नहीं, हमारा अधिकार है।”रजनीकांत शर्मा (अध्यक्ष, MPUAT शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघ) ने कर्मचारियों से अपील की कि वे एकजुट रहें और इस संघर्ष को निर्णायक दिशा तक ले जाएं।
गोविन्द जोशी (अध्यक्ष, MLSU सहायक कर्मचारी संघ) और कर्ण सिंह शक्तावत (पूर्व अध्यक्ष कर्मचारी संघ) ने कहा कि सरकार को चाहिए कि कॉलेज शिक्षा निदेशालय, नगर विकास न्यास की तर्ज पर विश्वविद्यालयों को भी राजकीय कोष से पेंशन भुगतान की व्यवस्था दे।
प्रवीणसिंह सारंगदेवोत (अध्यक्ष, MLSU शैक्षणेत्तर कर्मचारी संघ) ने बताया कि MLSU द्वारा सरकार को दी गई भूमि के अधिग्रहण के बाद भी विश्वविद्यालय को उसका कोई लाभ नहीं मिला।
डॉ. डी.एस. चुण्डावत (अध्यक्ष, MLSU पेंशनर्स वेलफेयर सोसायटी) ने जोधपुर आंदोलन को नैतिक समर्थन देते हुए कहा कि पेंशनर्स की यह एकता अब सरकार को गंभीरता से निर्णय लेने पर विवश करेगी।
पेंशन संकट की हकीकत
JNVU जोधपुर में 8 माह से पेंशन नहीं।
SKRAU बीकानेर में 22 माह की पेंशन बकाया।
सातवें वेतनमान का एरियर और फिक्सेशन लंबित।
DA की किस्तें (12%, 42%, 46%, 40%) अब तक नहीं मिलीं।
कोटा तकनीकी विश्वविद्यालय में CPF जमा होने के बावजूद पेंशन भुगतान शुरू नहीं हुआ।
प्रदर्शन के अंत में तीनों विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने ज्ञापन सौंपकर राज्य सरकार से आग्रह किया कि पेंशनर्स की इन मांगों को सहानुभूतिपूर्वक मानकर राजकीय कोष से स्थायी पेंशन भुगतान की घोषणा की जाए।
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