भरतपुर के घूसखोर डॉक्टर का मामला सरकार के लिए बना गले की हड्डी, ट्रेप करने चली ACB को अब कौन ‘ट्रेप’ करे?

नई हवा ब्यूरो | जयपुर 


कटारिया ने पूछा छोड़ा क्यों? ACB अफसरों की आई  दो सफाई और दोनों ही संदेह के घेरे में आई


भरतपुर के आरबीएम अस्पताल में 7 अगस्त को घूस लेते हुए पकड़े गए डॉक्टर अनिल गुप्ता का मामला राजस्थान की गहलोत सरकार के लिए गली की हड्डी बन गया है। इस प्रकरण में ACB के अलग-अलग तरह के बयानों ने उसी को कटघरे में खड़ा कर दिया है। सवाल उठ रहे हैं कि घूसखोरों को ट्रेप करने वाली ‘ACB’ को अब कौन ‘ट्रेप’ करे। फ़िलहाल इस मामले में निचले स्तर के ACB अफसरों को 10 अगस्त मंगलवार को डीजी बीएलसोनी ने तलब किया।

डीजी बीएल सोनी ने भरतपुर ACB के अधिकारियों के साथ बैठक की और डॉक्टर ट्रेप मामले के सभी दस्तावेज देखे। इस बीच  नेता प्रतिपक्ष ने सीएम अशोक गहलोत को पत्र लिखकर मामले की फिर से और ठीक से जांच कराने की मांग की है। और सवाल उठाया है कि जब डॉक्टर को ट्रेप कर लिया गया तो उसे छोड़ा क्यूँ ?

आपको बता दें कि जिस दिन डॉक्टर को पकड़ा गया, उसे उसी दिन ही रात को छोड़ दिया गया था। बताया यह गया था कि डीजी बीएल सोनी के आदेश पर छोड़ा गया। यह बात सामने आने के बाद डीजी ने कहा था कि महामारी के दौर में अभी मरीजों को देखना महत्वपूर्ण होने के कारण डॉक्टर को छोड़ा गया।

दिलचस्प ये है कि अब जयपुर ACB मुख्यालय की तरफ से जारी किए प्रेस नोट में बताया गया कि  डॉक्टर को ट्रेप करने के बाद पूछताछ में सामने आया कि  डॉक्टर को हार्ट से सम्बंधित बीमारियां हैं और उसे पहले भी हार्ट अटैक आ  चुका है। जिसका इलाज चल रहा है। ब्लड प्रेशर भी काफी बढ़ा हुआ था। लिहाजा उसे  गिरफ्तार नहीं किया गया। अब इस मामले की जांच एडिशनल लेबल के अधिकारी करेंगे। और जांच कर डॉक्टर की गिरफ़्तारी का निर्णय लिया जाएगा।

कटारिया ने यूं घेरा गहलोत सरकार को 
नेता प्रतिपक्ष गुलाब चंद कटारिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को चिट्ठी लिखते हुए कहा है कि डॉक्टर को ट्रेप कर छोड़ने के मामले में मेरी बात डीजी बीएल सोनी से हुई थी। उन्होंने कहा था कि कोरोना काल में डॉक्टर्स की सेवाओं की जरुरत होती है। इसलिए ऐसे प्रकरणों में पहले भी डॉक्टर्स को छोड़ा गया है। उसी प्रक्रिया के चलते डॉक्टर अनिल गुप्ता को छोड़ा गया है।

कटारिया ने लिखा कि सोनी से बात के बाद मैंने राजस्थान के जिलों की कोरोना रिपोर्ट देखी तो पता लगा की 7 अगस्त को भरतपुर जिले में कोरोना के मामले जीरो हैं। इसके अलावा धौलपुर, करौली, सवाईमाधोपुर में भी कोरोना का एक भी मामला नहीं है। उसके बाद भी कोरोनाकाल का बहाना लगाकर डॉक्टर अनिल गुप्ता को छोड़ दिया गया। जब रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत गैर जमानती अपराध है। जिसमें पुलिस अपने स्तर से जमानत नहीं ले सकती। इसलिए इस मामले की जांच दोबारा करवाई जानी चाहिए।

गहलोत सरकार का चेहरा हुआ बेनकाब-अरुण चतुर्वेदी
पूर्व मंत्री और भाजपा नेता डा. अरुण चतुर्वेदी ने कहा कि इस घटना ने मुख्यमंत्री के चेहरे को बेनकाब किया है। राजस्थान की सरकार ACB को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रही है। और जब अपने लोग फंसते हैं तो उन्हें छोड़ दिया जाता है। मुख्यमंत्री को जबाब देना चाहिए कि  ऐसे कौनसे लोग हैं जिसके कारण ACB अपने कामों को अंजाम नहीं दे सकी।

एसीबी के अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की जाए
इस बीच इस मामले में अब  एसीबी के अधिकारियों के विरुद्ध एफआईआर दर्ज करने की मांग उठ रही है। जयपुर के एडवोकेट गोवर्धन सिंह ने ACB के डीजी बीएल सोनी और  एडीजी दिनेश एम एन को पत्र लिख कर भरतपुर जिले में एसीबी द्वारा रंगे हाथों गिरफ्तार किए गए डॉ. अनिल गुप्ता को छोड़ने वाले एसीबी के अधिकारियों के विरुद्ध संज्ञेय अपराध की एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि बारह घंटे बाद उक्त डॉक्टर को बड़ी  सिफारिश के कारण छोड़ दिया गया। पत्र में बताया गया कि यह लोगों में आम चर्चा है कि उक्त डॉक्टर राजस्थान के मंत्री सुभाष गर्ग  के खास हैं।  इसलिए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एसीबी पर दबाव  बनाकर उक्त गिरफ्तार डॉक्टर को छुड़वाया है।

पत्र में कहा गया कि भरतपुर एसीबी के कर्मचारियों ने दंड प्रक्रिया संहिता के प्रधानों के विपरीत जाकर भ्रष्टाचारी डॉक्टर को छोड़ा है क्योंकि कानून के मुताबिक उक्त अजमानतीय अपराध में ऐसे भ्रष्टाचारी को केवल न्यायालय द्वारा ही छोड़ा जा सकता है। इसलिए अनुसंधान को विनियमित करने वाली विधि का स्पष्ट उल्लंघन हुआ है जो धारा 156(बी) आईपीसी के तहत संज्ञेय अपराध है।


 

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