नई दिल्ली
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा NASA की एक डरा देने वाली रिपोर्ट आई है। रिपोर्ट के अनुसार करीब 80 साल बाद यानी 2100 तक आते-आते भारत के 12 तटीय शहर समुद्र में 3 फीट समा जाएंगे। ऐसा धरती का तापमान बढ़ने से होगा। NASA की रिपोर्ट के अनुसार धरती का तापमान बढ़ने से ग्लेशियर तेजी से पिघल रहे हैं जो आने वाले वर्षों में तबाही मचाने वाले हैं और इस तबाही की चपेट में भारत भी आने वाला है। नासा की रिपोर्ट के अनुसार करीब 80 साल बाद यानी 2100 तक आते-आते भारत में यही स्थति आने वाली है।
डूब जाएंगे भारत के ये शहर
नासा के अनुसार लगातार बढ़ती गर्मी से ध्रुवों पर जमा बर्फ के पिघलने से समुद्री जलस्तर बढ़ता जाएगा। इससे भारत के ओखा, मोरमुगाओ, कांडला, भावनगर, मुंबई, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम, तूतीकोरन, कोच्चि, पारादीप और पश्चिम बंगाल का किडरोपोर तटीय इलाका छोटा हो जाएगा। ऐसे में भविष्य में तटीय इलाकों में रह रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाना होगा।
आपको बता दें कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने एक सी लेवल प्रोजेक्शन टूल बनाया है, जिससे समय रहते समुद्री तटों पर आने वाली आपदा से लोगों के जान-माल की हिफाजत की जा सके। इस ऑनलाइन टूल के जरिए कोई भी भविष्य में आने वाली आपदा यानी बढ़ते समुद्री जल स्तर का हाल जान सकेगा। ये टूल दुनिया के उन सभी देशों के समुद्री जलस्तर को माप सकता है, जिनके पास तट हैं।
As communities across the world prepare for the impacts of sea level rise, a new visualization tool provided by @NASAClimate & @IPCC_CH gives users the ability to see what sea levels will look like anywhere for decades to come. Discover more: https://t.co/VAST2xSOyE pic.twitter.com/nePqLntrqv
— NASA (@NASA) August 9, 2021
आईपीसीसी की भयावह रिपोर्ट
नासा ने इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कई शहरों के समुद्र में डूब जाने की चेतावनी दी है। आईपीसीसी की ये छठी एसेसमेंट रिपोर्ट 9 अगस्त को जारी की गई, जो जलवायु प्रणाली और जलवायु परिवर्तन की स्थितियों को बेहतर तरीके से परिभाषित करती है। बता दें, आईपीसीसी 1988 से वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन का आकलन कर रही है। आईपीसीसी हर 5 से 7 साल में दुनियाभर में पर्यावरण की स्थिति की रिपोर्ट देता है। इस बार की रिपोर्ट बहुत भयावह है।
समुद्री इलाकों में मचेगी तबाही
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2100 तक दुनिया का तापमान काफी बढ़ जाएगा। भविष्य में लोगों को प्रचंड गर्मी का सामना करना पड़ेगा। कार्बन उत्सर्जन और प्रदूषण नहीं रोका गया तो तापमान में औसत 4.4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। अगले दो दशक में तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस बढ़ जाएगा। जब इस तेजी से पारा चढ़ेगा तो ग्लेशियर भी पिघलेंगे. जिसका पानी मैदानी और समुद्री इलाकों में तबाही लेकर आएगा।
घट जाएगा कई देशों का क्षेत्रफल
नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा कि सी लेवल प्रोजेक्शन टूल दुनियाभर के नेताओं, वैज्ञानिकों को यह बताने के लिए काफी है कि अगली सदी तक हमारे कई देश जमीनी क्षेत्रफल में कम हो जाएंगे। क्योंकि समुद्री जलस्तर इतनी तेज बढ़ेगा कि उसे संभालना मुश्किल होगा, नहीं तो उदाहरण सबके सामने हैं. कई द्वीप डूब चुके हैं, कई अन्य द्वीपों को समुद्र अपनी लहरों में निगल जाएगा।
भारत सहित एशिया महाद्वीप पर भी इसके गहरे प्रभाव देखने को मिल सकते है। हिमालयी क्षेत्र में ग्लेशियर लेक्स के बार-बार फटने से निचले तटीय क्षेत्रों में बाढ़ के अलावा अन्य कई बुरे प्रभावों का सामना करना पड़ेगा। देश में अगले कुछ दशकों में सालाना औसत बारिश में इजाफा होगा. खासकर दक्षिणी प्रदेशों में हर साल घनघोर बारिश हो सकती है। रिपोर्ट बताती है कि ‘पहले जो बदलाव हमें 100 साल में देखने को मिल रहे थे वो अब 10 से 20 सालों के बीच देखने को मिल रहे हैं।
तापमान में तेजी से हुई वृद्धि
वैज्ञानिकों का कहना है कि मानव जाति ने जिस तरह से जलवायु के तापमान में वृद्धि की है, उससे पृथ्वी पर तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं। पिछले 2000 वर्षों में जो परिवर्तन हुए हैं वे असाधारण हैं। 1750 के बाद से ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में तेजी से वृद्धि हुई है। वर्ष 2019 में वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड का स्तर अब तक का सबसे अधिक दर्ज किया गया है। जबकि अन्य ग्रीनहाउस गैसें – मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड 2019 में इतनी बढ़ गई हैं कि पिछले 8 मिलियन वर्षों में नहीं रही हैं। 1970 के दशक से पृथ्वी के गर्म होने की दर में तेजी से वृद्धि हुई है। पिछले 2000 वर्षों में तापमान उतना नहीं बढ़ा, जितना पिछले 50 वर्षों में बढ़ा है।
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