नई हवा ब्यूरो | जयपुर
पंजाब से निपटने के बाद कांग्रेस आलाकमान अब राजस्थान कांग्रेस के सियासी घमासान को शांत करने के लिए माथापच्ची करने में लगा है। इसी माथापच्ची के बीच पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के समर्थकों ने 25 जुलाई रविवार को प्रदेश कांग्रेस कार्यालय के बाहर मीटिंग के दौरान जमकर हंगामा किया। प्रदर्शन करने वाले अशोक गहलोत सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे थे। गहलोत सरकार और संगठन में फेरबदल की तैयारियों के सिलसिले में ही यह मीटिंग बुलाई गई थी।
बाहर हंगामा, अंदर मीटिंग
जिस समय सचिन समर्थक प्रदर्शन कर रहे थे उस समय कांग्रेस संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और राजस्थान प्रभारी अजय माकन विधायकों और पदाधिकारियों की बैठक ले रहे थे। बैठक में सचिन पायलट भी स्वयं मौजूद थे। उन्होंने किसी को भेज कर अपने समर्थकों को शांत कराया। फ़िलहाल कांग्रेस आलाकमान ने पार्टी के अंदर चल रहे इस घमासान को शांत करने के लिए 28-29 को कांग्रेस विधायकों को जयपुर में ही रहने की हिदायत दी है। सचिन पायलट समर्थक विधायक लंबे समय से सत्ता संगठन में भागीदारी की मांग कर रहे हैें। पिछले साल पायलट खेमे की बगावत और उसके बाद हुई सुलह के वक्त तय हुए मुद्दे अब भी अनसुलझे हैं।
अब विधायकों और पदाधिकारियों से वन-टू-वन चर्चा
आपको बता दें कि राजस्थान कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और डिप्टी सीएम पद से हटाए गए सचिन पायलट के गुटों के बीच जमकर खींचतान चल रही है। इसी को शांत करने के लिए रविवार को प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय में विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों की बैठक हुई। पर इसमें दोनों ही धड़ों के बीच तलवारें खिंची नजर आईं। और मीटिंग के बाहर सचिन समर्थक अशोक गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटाकर सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने की मांग कर रहे थे।
आलाकमान को इसी दरार को पाटने में पसीने छूट रहे हैं। दोनों गुटों में समझौता करने के लिए फार्मूले बन और बिगड़ रहे हैं। इसलिए रविवार की मीटिंग में तय किया गया कि पार्टी के बड़े नेता अब विधायकों और पदाधिकारियों से वन-टू-वन चर्चा करेंगे। प्रदेश प्रभारी अजय माकन 28 और 29 जुलाई को सभी विधायकों से चर्चा करेंगे। इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार होगा और पार्टी हाईकमान राजस्थान में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच बैलेंस बनाएगा।
सभी फैसले हाईकमान पर छोड़े
पार्टी में और विवाद बढ़ने से रोकने के लिए आज मीटिंग में सत्ता और संगठन में फेरबदल के सभी सभी फैसले हाईकमान पर छोड़ने का निर्णय किया गया। इसके तहत कांग्रेस के सभी विधायकों को 28 और 29 जुलाई को जयपुर में रहने के निर्देश दिए गए हैं। अजय माकन सभी विधायकों से इन दो दिनों में सत्ता और संगठन के कामकाज को लेकर फीडबैक लेंगे। विधायकों की राय को वे हाईकमान के सामने रखेंगे और इसके बाद मंत्रिमंडल विस्तार होगा।
माकन ने कहा- पार्टी में कोई विरोधाभास नहीं
बैठक के बाद प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने कहा- आपस में विरोधाभास नहीं है, सब लोग एक मत हैं। 28 और 29 तारीख को 2 दिन के लिए राजस्थान में फिर से आ रहा हूं। कांग्रेस विधायकों से एक-एक करके बात करूंगा। हम चाहते हैं कि जल्द से जल्द विधायकों की राय का AICC को भी पता होना चाहिए कि किसे जिलाध्यक्ष और ब्लॉक अध्यक्ष बना रहे हैं।
मंत्रिमंडल विस्तार की तारीख के बारे में पूछे गए सवाल पर माकन ने कहा- कोई भी ऐसी चीज को तारीख के साथ नहीं बांधना चाहते। कहीं पर भी कोई भी विरोध नहीं है। निर्णय हो चुका है। माकन ने कहा कि हम मंत्रिमंडल विस्तार, बोर्ड कॉरपोरेशन में नियुक्तियों, जिला और ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्षों की नियुक्तियों सहित सबकी चर्चा कर रहे हैं। केवल एक बात कहना चाहता हूं कि सब ने एक स्वर में यह कहा है कि जो कांग्रेस आलाकमान तय करेगा, वह हमें मंजूर होगा। संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा- मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों की प्रक्रिया चल रही है, जल्द फैसला होगा।
संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल और प्रभारी महासचिव अजय माकन प्रदेश कांग्रेस कार्यालय में बैठक करने के बाद ही दिल्ली रवाना हो गए। मुख्यमंत्री से देर रात मंत्रणा के बाद विधायकों और पार्टी पदाधिकारियों से साझा बैठक की।
पायलट कोटे पर विवाद
कांग्रेस में मंत्रिमण्डल विस्तार को लेकर सबसे बड़ी बाधा सचिन पायलट के कोटे को लेकर है। पायलट कम से कम 6 मंत्री बनाना चाहते हैं । इसमें तीन कैबिनेट और तीन राज्यमंत्री बनाने की बात है। इसके साथ ही वे संसदीय सचिवों की नियुक्ति में भी अपने कुछ विधायकों को एडजस्ट कराना चाहते है। सीएम गहलोत इस बारे में पूरी तरह सहमत नहीं है। वे पायलट के दो या तीन मंत्रियों को शामिल करने के इच्छुक है। वहीं पायलट गुट का कहना है कि जब सरकार बनी थी तो पायलट समर्थित सात विधायकों को मंत्री बनाया गया था। इसमें से चार तो गहलोत खेमे में चले गए थे। पायलट ने ये भी तर्क दिया कि उनके कोटे से बनाए गए मंत्रियों को भले ही सीएम हटा दें और नए मंत्री बना लें। गहलोत इस पर राजी नहीं है क्यों कि सरकार बचाने के समय इन मंत्रियों ने गहलोत का साथ दिया था।
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