‘जो आत्मा को स्पर्श करे वही गुरु’

सांभर लेक (जयपुर)


राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) का ‘गुरु वंदन कार्यक्रम’


राजस्थान विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) की ओर से  राजकीय शाकम्भर स्नातकोत्तर महाविद्यालय, सांभर लेक (जयपुर) में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर ‘गुरु वंदन कार्यक्रम’ का आयोजन किया गया।  कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती एवं महर्षि वेदव्यास जी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन व माल्यार्पण द्वारा किया गया।

इस अवसर पर रुक्टा (राष्ट्रीय) के अध्यक्ष डॉ.दीपक कुमार शर्मा ने शिक्षक, आचार्य व गुरु शब्दों की व्याख्या करते हुए कहा कि जो विद्यार्थियों के मस्तिष्क तक पहुंचे वह शिक्षक, जो मन तक पहुंचे वह आचार्य एवं जो आत्मा को स्पर्श करे वह गुरु होता है। उन्होंने वेदों, उपनिषदों को उल्लेखित करते हुए गुरु की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि समाज को शिक्षक से बहुत अपेक्षाएं हैं। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे स्वयं का परिमार्जन कर एक उदाहरण प्रस्तुत कर विद्यार्थियों से तारतम्य स्थापित कर उनका मार्गदर्शन करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा और जीवन का उद्देश्य एक ही होता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के अंदर के ज्ञान और शक्ति का प्रस्फुटन ही शिक्षा है।

शिक्षक को अपने अंदर गुरुत्व को धारण करने की आवश्यकता: डॉ.किरण शुक्ला
इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ.किरण शुक्ला ने गुरु शब्द को परिभाषित करते हुए कहा कि गुरु वह है जो हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है। उन्होंने गुरु शिष्य परंपरा का उल्लेख करते हुए इसको पुनर्स्थापित करने और शिक्षक को अपने अंदर गुरुत्व को धारण करने की आवश्यकता बताई।

शिष्य को सत्य पथ पर चलने की रह दिखाते हैं गुरु: डॉ. ज्ञानप्रकाश दायमा
विज्ञान संकाय के अधिष्ठाता डॉ.ज्ञान प्रकाश दायमा ने अपने उद्बोधन का आरंभ गुरु वंदना से किया। शिक्षक व गुरु में अंतर बताते हुए उन्होंने कहा कि गुरु हमें आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाते हैं। उन्होंने बताया कि गुरु, शिष्य को सत्य पथ पर चलने और उसकी अंतर्निहित शक्तियों को उद्घाटित करने की प्रेरणा देते हैं।

अपना गौरव को पुनः प्राप्त करना होगा: डॉ.मक्खन लाल नायक
कार्यक्रम का संचालन करते हुए डॉ.मक्खन लाल नायक ने कहा कि प्राचीन भारतीय गुरु शिष्य परंपरा विश्व के अनेक देशों में फैली हुई थी। हमारी शिक्षा व्यवस्था का अनुकरण अनेक देशों द्वारा किया गया। हमें उसी गौरव को पुनः प्राप्त करना होगा।

डॉ. रामस्वरूप साहू ने अपने गुरुओं का स्मरण करते हुए शिक्षक की भूमिका के महत्व का वर्णन किया । अंत में रुक्टा (राष्ट्रीय) जयपुर विभाग द्वितीय के सह सचिव डॉ.ओम प्रकाश शर्मा द्वारा संगठन की स्थापना, उद्देश्य, शैक्षिक महासंघ से सम्बद्धता आदि स्पष्ट करते हुए  सभी को धन्यवाद दिया। कल्याण मंत्र के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।



 

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