इस अवसर पर रुक्टा (राष्ट्रीय) के अध्यक्ष डॉ.दीपक कुमार शर्मा ने शिक्षक, आचार्य व गुरु शब्दों की व्याख्या करते हुए कहा कि जो विद्यार्थियों के मस्तिष्क तक पहुंचे वह शिक्षक, जो मन तक पहुंचे वह आचार्य एवं जो आत्मा को स्पर्श करे वह गुरु होता है। उन्होंने वेदों, उपनिषदों को उल्लेखित करते हुए गुरु की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि समाज को शिक्षक से बहुत अपेक्षाएं हैं। उन्होंने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे स्वयं का परिमार्जन कर एक उदाहरण प्रस्तुत कर विद्यार्थियों से तारतम्य स्थापित कर उनका मार्गदर्शन करें। उन्होंने कहा कि शिक्षा और जीवन का उद्देश्य एक ही होता है। उन्होंने कहा कि मनुष्य के अंदर के ज्ञान और शक्ति का प्रस्फुटन ही शिक्षा है।