राजस्थान (Rajasthan) में नए एसीआर मूल्यांकन प्रारूप के खिलाफ अभियोजन अधिकारियों ने गहरा विरोध जताया। अधिकारियों का कहना है कि ‘कन्विक्शन आधारित एसीआर’ न्यायिक सिद्धांतों के खिलाफ है। एसोसिएशन एसीएस होम को ज्ञापन सौंपने और हाई कोर्ट में रिट दायर करने की तैयारी में है।
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जयपुर
अभियोजन विभाग में वार्षिक कार्य मूल्यांकन प्रतिवेदन (ACR) के नए प्रारूप को लेकर जबरदस्त असंतोष खुलकर सामने आ गया है। माननीय अभियोजन निदेशक द्वारा नए प्रारूप के आदेश जारी किए जाने के बाद आज प्रदेशभर के अभियोजन अधिकारियों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें जिलों के प्रतिनिधि प्रत्यक्ष और VC—दोनों माध्यमों से शामिल हुए।
बैठक में लगभग सभी अधिकारियों ने नए ACR ढांचे पर गंभीर आपत्ति जताई और कहा कि यह प्रारूप न केवल असंगत है, बल्कि अभियोजन कार्य की प्रकृति के विपरीत भी है।
अधिकारियों ने सामूहिक रूप से साफ कहा—“कन्विक्शन रेट के आधार पर ACR खराब करने का अधिकार किसी विभाग को नहीं है।”
अधिकारी प्रतिभागियों ने बताया कि “अभियोजन विभाग की नीली किताब” में स्पष्ट उल्लेख है कि किसी भी अधिकारी की ACR कन्विक्शन कम होने के आधार पर खराब नहीं की जा सकती। यह सिद्धांत उच्चतम न्यायालय के उस फैसले से भी मेल खाता है, जिसमें कहा गया है कि “A prosecutor is not a persecutor” — यानी अभियोजक का काम न्याय दिलाना है, किसी आरोपी को हर हाल में दोषी साबित करना नहीं।
अधिकारी यह भी सवाल उठा रहे हैं कि जब सभी विभागों में ACR प्रारूप समान है, तो सिर्फ अभियोजन विभाग में ही बदलाव क्यों किया गया? बैठक में यह राय बनी कि यह परिवर्तन न केवल असंगत है, बल्कि विभागीय कार्यप्रणाली को प्रभावित करने वाला भी है।
राजस्थान अभियोजन अधिकारी संघ की अध्यक्ष प्रतिभा पुरोहित ने बैठक के अंत में कहा—
“मैं आप सभी को विश्वास दिलाती हूँ कि अभियोजन हित में लगातार संघर्ष कर रही हूँ और करती रहूँगी। यह मुद्दा न केवल अधिकारों का है बल्कि विभागीय गरिमा का भी।”
बैठक में यह सर्वसम्मति बनी कि इस निर्णय के विरोध में 28 नवंबर 2025 को ACS होम श्री भास्कर सामंत को ज्ञापन सौंपा जाएगा, और यदि आवश्यक हुआ तो संघ रिट दायर कर न्यायालय का दरवाज़ा भी खटखटाएगा।
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