भरतपुर
राजस्थान जन सांस्कृतिक परिषद् और मधुशाला प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में रणजीत नगर स्थित स्वास्थ्य मंदिर सभागार में कवि सम्मेलन और मधुशाला प्रकाशन के पांचवें स्थापना दिवस का भव्य आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी प्रमोद तिवारी ने की। प्रांतीय अध्यक्ष वेद प्रकाश वेद मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद रहे, जबकि पूर्व प्राचार्य प्रो. डॉ. मिथिलेश अग्रवाल और प्रो. डॉ. अशोक कुमार गुप्ता विशिष्ट अतिथि रहे। संचालन श्याम सिंह जघीना ‘मधुर’ ने किया।
मंच पर सी.एस. कृष्णा (संचालक, मधुशाला प्रकाशन) ने प्रांतीय सचिव राजेंद्र अनुरागी, जिला सचिव लोकेश सिंघल, वरिष्ठ उपाध्यक्ष श्याम सिंह जघीना ‘मधुर’ और डॉ. डी.डी. गोयल का माला, साफा और श्रीफल से सम्मान किया।

पुस्तक विमोचन और वैदिक विवेचना
इस मौके पर डॉ. डी.डी. गोयल की नवीन कृति “दक्षिणायणी से दक्षिणामूर्ति प्रिया” का विमोचन हुआ। उन्होंने रामायण और शिव विवाह के प्रसंगों से जुड़ी सांस्कृतिक विवेचना कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
कवि सम्मेलन में रसों की बहार
कवि सम्मेलन में वीर रस, श्रृंगार, भक्ति, हास्य और देशभक्ति के रंग खूब बिखरे। कुछ प्रमुख पंक्तियाँ और कवियों की प्रस्तुतियाँ:
अविनाश चीमा: “कान्हा तेरी अधर बांसुरी राधा-राधा गाती है”
डा. कृष्ण कन्हैया: “सैनिकों ने शौर्य से सजाया अपनी आन को”
डॉ. शैलेश तिवारी: “मैं निर्भर ना रहूं किसी पर”
डॉ. सुरेश चतुर्वेदी: “नक्शे पर से नाम हटा दो पापी पाकिस्तान का”
मनमोहन अभिलाषी: “भारत मां तुम मां से बढ़ कर”
वेद प्रकाश वेद: “सृष्टि का है सार नारी, घर की बहार नारी”
श्याम सिंह जघीना ‘मधुर’: “ज़ख्म दर ज़ख्म मुझ से हिसाब लेता है कोई”
दिलीप गुप्ता ‘आंगनवाड़ी’: “मेरे मन मंदिर में अइयो”

इसके अलावा राजीव चौधरी, लोकेश सिंघल, ओमप्रकाश कुंतल, मंगतूराम शर्मा, राधाकिशन सैनी, हरिओम हरि, राजेंद्र अनुरागी, नरेंद्र निर्मल, अनिता सिंह सुरभि, गोविंद डागुर, गोविंद बृजवासी, लोकेंद्र सुमन सहित अनेक कवियों ने अपनी स्वरचित रचनाओं से कार्यक्रम को ऊर्जावान बना दिया।
अध्यक्षीय उद्बोधन में साहित्य संरक्षण की पुकार
प्रमोद तिवारी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में कहा, “आज के भौतिक युग में साहित्य और काव्य गोष्ठियों को जीवित रखना सांस्कृतिक जिम्मेदारी है।”
जिला सचिव लोकेश सिंघल ने आगामी माह में “लोहागढ़ साहित्य सुमन” पुस्तक के विमोचन की घोषणा करते हुए सभी साहित्य प्रेमियों का आभार व्यक्त किया।
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