भरतपुर
कच्चा परकोटा नियमन संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल ने बुधवार को जयपुर पहुंच कर पूर्व मंत्री और डीग-कुम्हेर के विधायक विश्वेन्द्र सिंह को ज्ञापन देकर मांग की कि कच्चे परकोटे पर रहने वाले 2000 लोगों को नियम कानून एवं मापदंडों में शिथिलता दिलाते हुए रियायती दरों पर प्रशासन शहरों के संग अभियान 2021 में पट्टे दिलाए जाएं।
विधायक विश्वेंद्र सिंह ने प्रतिनिधि मंडल को आश्वासन दिया है कि राजस्थान सरकार की मंशा पट्टा देने की है। इस संदर्भ में सरकार से वार्ता कर कच्चे परकोटे के निवासियों को पट्टे दिलाने की कार्रवाई की जाएगी।
प्रतिनिधिमंडल में संघर्ष समिति के संयोजक जगराम धाकड़, उप संयोजक श्रीराम चंदेला, पूर्व नेता प्रतिपक्ष इंद्रजीत भारद्वाज, राजवीर सिंह चौधरी, ओम प्रकाश मिश्रा, जगदीश प्रसाद शर्मा ठेकेदार, राजकुमार राजू, मानसिंह, प्रहलाद गुप्ता, समंदर सिंह, नसीर खान, संजीव शर्मा आदि शामिल थे।
विश्वेन्द्र सिंह को बताई परकोटे की वस्तुस्थिति
पूर्व नेता प्रतिपक्ष इंद्रजीत भारद्वाज ने डीग कुम्हेर के विधायक विश्वेंद्र सिंह को कच्चे परकोटे की वस्तु स्थिति से अवगत कराया। ज्ञापन में बताया गया कि रियासतकालीन मिट्टी के परकोटे पर लगभग 40-50 वर्षों से कच्चे-पक्के मकान बनाकर गरीब-मजदूर व अल्प आय वर्ग के लोग निवास करते आ रहे हैं। लेकिन राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर आयोजित प्रशासन शहरों के संग अभियानों में पट्टे देने के दिशा-निर्देशों में शिथिलता जारी नहीं किए जाने के कारण लोगों को पट्टे नहीं मिल पा रहे हैं।
ज्ञापन के अनुसार परकोटे की भूमि पर काबिज लोगों को नियम कानूनों एवं मापदण्डों में शिथिलता मिलने पर ही पट्टा दिया जाना संभव है। इसलिए मौके पर उपलब्ध आम रास्तों / सड़क की चौड़ाई का निर्धारण करते हुए गाइडलाइन में शिथिलता प्रदान की जाए। इसके अतिरिक्त कच्चे परकोटे की आबादी की भूमि पर लम्बे समय से काबिज लोगों की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए न्यूनतम नियमन शुल्क का निर्धारण किया जाए।
नगर निगम पर गुमराह करने का आरोप
ज्ञापन में भरतपुर नगर निगम पर गुमराह करने का आरोप लगते हुए बताया गया कि शहर का कच्चा डण्डा कभी भी जलभराव क्षेत्र में नहीं रहा है। रियासत काल से ही कच्चा डण्डा गैर मुमकिन आबादी की भूमि पर भूमि की सतह से बहुत ऊंचाई पर निर्मित रहा था। कच्चा डण्डा आऊटर मडवॉल एवं कच्ची खाई आऊटर मोट के नाम से जानी जाती है जिनकी भूमियों की किस्म अलग-अलग है।
वैसे भी शहर के जलभराव / जलबहाव कच्ची खाई / सीएफसीडी से वर्ष 2018 में अतिक्रमणों को चिन्हित कर जघीना गेट से कुम्हेर गेट होते अनाह गेट तक जिला प्रशासन द्वारा हटाया जाकर 20 फीट चौडी कच्ची सड़क का निर्माण कच्ची खाई एवं कच्चे डण्डे के मध्य नगर निगम, भरतपुर द्वारा कराया जा चुका है। इसके अतिरिक्त कच्ची खाई सीएफसीडी के सम्बन्ध में विचाराधीन रिट याचिका को दृष्टिगत रखते राज्य सरकार द्वारा 275 करोड़ की योजना से पक्का नाला, सड़क बनाने हेतु प्रशासनिक एवं वित्तीय स्वीकृति जारी की जा चुकी है जिसकी निविदा भी निगम, भरतपुर द्वारा जारी की जा चुकी है।
शहर भरतपुर के कच्चे परकोटे (कच्चा डण्डा) को लेकर किसी भी न्यायालय में कोई भी रिट याचिका विचाराधीन / लम्बित नहीं है। नगर निगम, भरतपुर द्वारा संदर्भित पत्रानुसार 25.08.2021 को बिंदु संख्या 01 की जो सूचना प्रेषित की गई है, वह मिथ्या व गुमराह करने वाली है जिसका कच्चे डण्डे से कोई सरोकार नहीं है।
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