विकसित भारत 2047 की दिशा में बौद्धिक मंथन | कोटा विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय सेमिनार, भारतीय ज्ञान परंपरा पर आधारित दो पुस्तकों का लोकार्पण

कोटा विश्वविद्यालय में विकसित भारत 2047 पर राष्ट्रीय सेमिनार आयोजित। भारतीय ज्ञान परंपरा और सुशासन पर आधारित दो पुस्तकों का भव्य लोकार्पण।

कोटा 

कोटा विश्वविद्यालय, कोटा के स्वामी विवेकानन्द शोधपीठ एवं धुमन्तु जाति उत्थान न्यास, जयपुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार का उद्घाटन सत्र गरिमामय वातावरण में संपन्न हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कोटा विश्वविद्यालय के कुलगुरू प्रो. भगवती प्रसाद सारस्वत ने की, जबकि लाड़पुरा विधायक श्रीमती कल्पना देवी मुख्य अतिथि रहीं।

सेमिनार के मुख्य वक्ता धुमन्तु कार्यक्रम के अखिल भारतीय प्रमुख दुर्गादास रहे, जिन्होंने विकसित भारत 2047 के लक्ष्य में सामाजिक समरसता और ज्ञान परंपरा की भूमिका पर विस्तार से विचार रखे।

इस अवसर पर कोटा विश्वविद्यालय के वाणिज्य एवं प्रबंधन विभाग की विभागाध्यक्ष प्रो. मीनू माहेश्वरी तथा राजकीय कला कन्या महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य प्रो. अशोक गुप्ता द्वारा लिखित दो पुस्तकों —
“Rebuilding India with Ancient Wisdom: Achieving Mission Viksit Bharat 2047 through Indian Knowledge System”
एवं “Innovating Governance and Economy: A Multidisciplinary Roadmap to Viksit Bharat 2047” का विधिवत विमोचन किया गया। पुस्तकों का लोकार्पण कुलगुरू प्रो. भगवती प्रसाद सारस्वत, श्रीमान् दुर्गादास जी, विधायक कल्पना देवी एवं श्रीमान् राजेंद्र नायर के कर-कमलों से हुआ।

प्रो. मीनू माहेश्वरी ने बताया कि “Innovating Governance and Economy” पुस्तक की भूमिका कुलगुरू प्रो. भगवती प्रसाद सारस्वत एवं दिल्ली विश्वविद्यालय, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के प्रोफेसर अनिल कुमार द्वारा लिखी गई है। इस पुस्तक में डिजिटल इनोवेशन इन बिजनेस एंड इकोनॉमी, एडवांस गवर्नेंस, इकोनॉमी एंड सोशल साइंसेज, ग्रामीण भारत में क्यूआर कोड आधारित भुगतान प्रणाली, आर्थिक विकास, इनोवेशन और तकनीकी परिवर्तन जैसे समसामयिक विषयों को समाहित किया गया है।

वहीं प्रो. अशोक गुप्ता ने बताया कि “Rebuilding India with Ancient Wisdom” पुस्तक की भूमिका एम.एस. यूनिवर्सिटी ऑफ बड़ौदा के पूर्व कुलपति एवं ओरो यूनिवर्सिटी सूरत के प्रोवेस्ट वाइस चांसलर प्रो. परिमल एच. व्यास तथा जीवाजी यूनिवर्सिटी ग्वालियर के पूर्व प्रोफेसर डॉ. उमेश होलानी द्वारा लिखी गई है। इस पुस्तक में मिशन विकसित भारत 2047 के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु भारतीय ज्ञान परंपरा के माध्यम से राष्ट्र पुनर्निमाण पर आधारित शोधपत्र एवं आलेख शामिल हैं।

पुस्तक में धर्म और विकास का अंतर्संबंध, मनुस्मृति आधारित सीएसआर दृष्टिकोण, अर्थशास्त्र व भगवद्गीता से निर्णय प्रक्रिया, प्राचीन परंपराओं और आधुनिक पारिस्थितिकी का समन्वय, 18 पुराणों से प्रबंधन के पाठ जैसे विषयों को स्थान दिया गया है, जिससे नई पीढ़ी को प्राचीन भारतीय ज्ञान पर गर्व के साथ आधुनिक समस्याओं के समाधान की दिशा मिल सके।

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