जयपुर। वरिष्ठ जिला जज दिनेश कुमार गुप्ता के बार-बार तबादले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने राजस्थान हाईकोर्ट (Rajasthan HighCourt) को दो सप्ताह में सहानुभूतिपूर्ण निर्णय का संकेत दिया।
बार-बार तबादलों से परेशान वरिष्ठ जिला एवं सत्र न्यायाधीश दिनेश कुमार गुप्ता ने आखिरकार सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया—और देश की शीर्ष अदालत ने इस मामले में राजस्थान हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश को साफ संदेश दे दिया: मानवीय पहलू और सेवा रिकॉर्ड को नजरअंदाज न किया जाए, दो सप्ताह में निर्णय बेहतर होगा।
क्या कहा सुप्रीम कोर्ट ने
मुख्य न्यायाधीश सूर्यकांत, न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची और न्यायमूर्ति विपुल एम. पंचोली की पीठ ने याचिका का निस्तारण करते हुए निर्देश दिया कि—
- मामले पर सहानुभूतिपूर्वक विचार किया जाए
- प्रशासनिक मामलों से जुड़ी हाईकोर्ट जजों की कमेटी से परामर्श लिया जाए
- दो सप्ताह में निर्णय करना उचित होगा
पीठ ने यह भी स्पष्ट किया कि याचिकाकर्ता को पूर्व में राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के सदस्य सचिव और जयपुर विकास प्राधिकरण में लॉ डायरेक्टर जैसे पदों पर नियुक्त किया जाना किसी भी रूप में दंडात्मक नहीं माना जा सकता।
तबादले को क्यों दी चुनौती
दिनेश कुमार गुप्ता का हाल ही में ब्यावर से जालौर जिला एवं सत्र न्यायाधीश के पद पर तबादला किया गया। याचिका में उन्होंने तर्क दिया कि—
- 10 माह बाद सेवानिवृत्ति प्रस्तावित है
- बार-बार तबादलों से व्यक्तिगत व प्रशासनिक समस्याएं पैदा हो रही हैं
- स्वास्थ्य कारणों से जयपुर में उपचार आवश्यक है
- जयपुर अथवा आसपास पदस्थापना का आग्रह किया गया
उन्होंने बताया कि 3 दिसंबर को हाईकोर्ट प्रशासन को अभ्यावेदन दिया गया, लेकिन उस पर कोई निर्णय नहीं होने के बाद सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा।
सेवा रिकॉर्ड जो चर्चा में रहा
याचिका में गुप्ता के अब तक के निर्भीक और प्रभावशाली न्यायिक फैसलों का उल्लेख किया गया, जिनमें शामिल हैं—
- बॉम्बे आतंकी हमले के बाद केंद्रीय मंत्री को नोटिस भेजने के लिए राष्ट्रपति से अनुमति मांगना
- वाणिज्यिक न्यायालय के जज रहते दो वरिष्ठ IAS अधिकारियों को अवमानना में जेल भेजने का आदेश
- सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट मामले में सांगानेर के कारखानों के खिलाफ सख्त आदेश
- बजरी चोरी और बीमा कंपनियों की मनमानी पर कड़ा रुख
- शराब घोटाले में मुख्य सचिव को जांच के आदेश
- JDA में निदेशक (विधि) रहते नियम विरुद्ध आवासीय योजनाओं और अन्य अवैध कार्रवाइयों को उजागर करना
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