फिर बदल गया राजस्थान का भूगोल, 41 जिलों में सिमटा प्रदेश, तत्कालीन गहलोत सरकार के बनाए 9 जिले रद्द, 3 नए संभाग भी खत्म | भजनलाल केबिनेट का फैसला, जानें और क्या हुए अहम फैसले

जयपुर 

राजस्थान (Rajasthan) में राजनीतिक और प्रशासनिक भूगोल बदल दिया गया है। भजनलाल सरकार ने एक बड़ा और ऐतिहासिक कदम उठाते हुए तत्कालीन गहलोत सरकार के समय बने 17 में से 9 नए जिलों और 3 संभागों को खत्म कर दिया है। अब राजस्थान में केवल 41 जिले और 7 संभाग रहेंगे। सरकार का मानना है कि यह फैसला प्रदेश में प्रशासनिक व्यवस्था को मजबूत और व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से लिया गया है। संसदीय कार्य मंत्री जोगराम पटेल ने पत्रकार वार्ता में बताया कि कैबिनेट ने पिछली सरकार के समय में गठित जिलों और संभागों का पुनः निर्धारण किया है, जिसके बाद अब प्रदेश में कुल 7 संभाग और 41 जिले होंगे। उन्होंने बताया कि अब जिला परिषदों, पंचायत समिति और ग्राम पंचायतों का भी पुनर्गठन किया जाएगा।

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पूर्ववर्ती सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए किया नए जिलों और संभागों का गठन
जोगराम पटेल
ने बताया कि पूर्ववर्ती सरकार ने नवीन जिलों एवं संभागों का गठन पूरी तरह से राजनीतिक लाभ लेने के लिए किया। इसमें वित्तीय संसाधनों की उपलब्धता, प्रशासनिक आवश्यकता, कानून व्यवस्था, सांस्कृतिक सामंजस्य आदि किसी भी महत्वपूर्ण बिन्दु को ध्यान में नहीं रखा गया। नए जिलों के लिए पिछली सरकार ने कार्यालयों में न तो आवश्यक पद सृजित किए और न ही कार्यालय भवन बनवाए। बजट एवं अन्य सुविधायें भी उपलब्ध नहीं कराई गई।

उन्होंने कहा कि गत सरकार के इस अविवेकपूर्ण निर्णय की समीक्षा करने हेतु राज्य सरकार द्वारा एक मंत्रिमण्डलीय उप-समिति और इसके सहयोग के लिए सेवानिवृत्त आईएएस डॉ. ललित के. पंवार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया गया। विशेषज्ञ समिति द्वारा नवगठित जिलों एवं संभागों के पुनर्निर्धारण के संबंध में तैयार की गई रिपोर्ट एवं सिफारिशें मंत्रिमण्डलीय उप-समिति के समक्ष प्रस्तुत की गई। समिति द्वारा प्रस्तुत सिफारिशों पर विचार करते हुए नए सृजित जिलों में से 9 जिलों अनूपगढ़, दूदू, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, केकड़ी, नीम का थाना, सांचौर व शाहपुरा तथा नवसृजित 3 संभागों बांसवाड़ा, पाली, सीकर को नहीं रखने का निर्णय मंत्रिमण्डल द्वारा लिया गया है। आचार संहिता से ठीक पहले घोषित 3 नए जिलों मालपुरा, सुजानगढ़ और कुचामन सिटी को भी निरस्त करने का निर्णय राज्य मंत्रिमण्डल ने लिया है।

कौन-कौन से जिले हुए रद्द?
मांडलगढ़ के बालोतरा, खैरथल-तिजारा, ब्यावर, कोटपूतली-बहरोड़, डीडवाना-कुचामन, फलोदी, डीग और सलूम्बर जैसे 8 जिलों को बरकरार रखा गया है, जबकि दूदू, केकड़ी, शाहपुरा, नीमकाथाना, गंगापुरसिटी, जयपुर ग्रामीण, जोधपुर ग्रामीण, अनूपगढ़ और सांचौर जैसे जिलों को रद्द कर दिया गया।

रद्द हुए 3 नए संभाग
गहलोत सरकार में बने सीकर, पाली और बांसवाड़ा के नए संभाग भी अब इतिहास बन गए हैं। प्रदेश में अब केवल 7 संभाग ही रहेंगे।

कैसे बदला भूगोल?
1956 में बने राजस्थान में लंबे समय तक 26 जिले थे। इसके बाद धीरे-धीरे यह संख्या बढ़ी। गहलोत सरकार ने अपने कार्यकाल में 33 से 50 जिले कर दिए थे। लेकिन भजनलाल सरकार ने इसे 41 जिलों तक सीमित कर दिया है।

प्रशासनिक सुधार या जनता की नाराजगी?
सरकार के इस फैसले ने पूरे प्रदेश की जनता और प्रशासनिक हलकों में खलबली मचा दी है। कहीं इसे प्रशासनिक सुधार माना जा रहा है, तो कहीं जनता इसे गहलोत सरकार के फैसलों के खिलाफ उठाया गया कदम बता रही है।

भजनलाल कैबिनेट के अन्य फैसले

  •  1 लाख नौकरियों का ऐलान: 2025 तक 1 लाख बेरोजगारों को रोजगार।
  • खाद्य सुरक्षा योजना: 31 दिसंबर तक KYC न कराने वालों का नाम हटेगा।
  • समान पात्रता परीक्षा: परीक्षा का स्कोर कार्ड 3 साल तक वैध।
  • पशुधन सहायकों को 3 पदोन्नति का अवसर: नई पदोन्नति नीति को मंजूरी।

राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के नियम 14 की अनुसूची-1 में संशोधन
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री सुमित गोदारा ने पत्रकार वार्ता में बताया कि राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के नियम 14 की अनुसूची-1 में संशोधन, राजस्थान अधीनस्थ एवं लिपिक वर्गीय सेवा (समान पात्रता परीक्षा) नियम, 2022 में सीईटी स्कोर की वैधता 3 वर्ष करने, पशुधन सहायक को पदोन्नति का तीसरा अवसर उपलब्ध करवाने एवं इस संवर्ग के पदनामों में परिवर्तन के लिए सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है।

मिनिमम एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) पर परिनिंदा के दण्ड का प्रभाव समाप्त
गोदारा ने बताया कि कार्मिकों के हित को ध्यान में रखते हुए मिनिमम एश्योर्ड करियर प्रोग्रेशन (एमएसीपी) के तहत देय वित्तीय उन्नयन में राजस्थान सिविल सेवा (सी.सी.ए.) नियम, 1958 के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियों में अधिरोपित परिनिंदा के दण्ड के प्रभाव को समाप्त करने का अनुमोदन किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में परिनिन्दा से दण्डित कार्मिक को 9, 18 एवं 27 वर्ष की नियमित सेवा पर देय वित्तीय उन्नयन का लाभ एमएसीपी की निर्धारित तिथि के एक वर्ष बाद मिल पाता है।

उन्होंने बताया कि राज्य मंत्रिमण्डल ने कार्मिकों को होने वाले आर्थिक नुकसान को ध्यान में रखते हुए परिनिंदा के दण्ड के एमएएसपी पर प्रभाव को समाप्त करने के लिए राजस्थान सिविल सेवा (पुनरीक्षित वेतन) नियम, 2017 के नियम 14 की अनुसूची-1 में संशोधन के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। इससे पहले राज्य सरकार द्वारा सीसीए नियमों के अंतर्गत अनुशासनिक कार्यवाहियों में अधिरोपित परिनिंदा के दण्ड का पदोन्नति पर प्रभाव भी समाप्त किया जा चुका है।

अभ्यर्थियों को बड़ी राहत, सीईटी स्कोर की वैधता 3 वर्ष तक
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने कहा कि राजस्थान अधीनस्थ एवं लिपिक वर्गीय सेवा (समान पात्रता परीक्षा) नियम, 2022 में सीईटी स्कोर की वैधता अब 1 वर्ष के बजाय 3 वर्ष के लिए रहेगी। इसके लिए नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। उन्होंने बताया कि सीईटी स्कोर की वैधता एक वर्ष होने के कारण हर साल होने वाली अगली सीईटी परीक्षा में अभ्यर्थियों की संख्या बढ़ती चली जा रही थी। अत्यधिक संख्या में आवेदन आने पर बोर्ड को वित्तीय भार और कठिनाई का सामना करना पड़ता है। इसलिए सीईटी स्कोर की वैधता अवधि 3 वर्ष करने का निर्णय लिया गया है, जिससे अभ्यर्थियों को भी बड़ी राहत मिलेगी। गोदारा ने बताया कि राजस्थान जनजाति क्षेत्रीय विकास राज्य एवं अधीनस्थ सेवा नियम, 2001 के अंतर्गत आने वाले छात्रावास अधीक्षक (पुरुष) ग्रेड-2 एवं छात्रावास अधीक्षक (महिला) ग्रेड-2 को समान पात्रता परीक्षा की अनुसूची-1 (स्नातक स्तर) में शामिल किया जा रहा है। इस संशोधन के फलस्वरूप जनजाति क्षेत्रीय विकास विभाग के पद सीईटी में शामिल किए जा सकेंगे, जिससे परीक्षार्थियों को अधिक पदों पर चयन का अवसर प्राप्त होगा।

पशुधन सहायक के पदनामों में परिवर्तन, तीसरी पदोन्नति का अवसर भी मिलेगा
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री ने बताया कि राजस्थान पशुपालन अधीनस्थ सेवा नियम, 1977 के तकनीकी संवर्ग में पशुधन सहायक को पदोन्नति का तीसरा अवसर उपलब्ध करवाने और इस संवर्ग के पदनामों में परिवर्तन के लिए सेवा नियमों में संशोधन को मंजूरी दी गई है। इस संशोधन के अनुसार तीसरी पदोन्नति का अवसर देने के लिए मुख्य पशुधन प्रसार अधिकारी का नवीन पद सृजित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पशुधन सहायक का पदनाम अब पशुधन निरीक्षक, पशुचिकित्सा सहायक का पदनाम पशुधन प्रसार अधिकारी, सहायक सूचना अधिकारी का पदनाम वरिष्ठ पशुधन प्रसार अधिकारी किया जाएगा। इससे इस संवर्ग के कर्मचारियों के आत्मसम्मान एवं कार्यकुशलता में वृद्धि होगी।

चुरू के राजकीय महाविद्यालय सिद्धमुख के नाम परिवर्तन को स्वीकृति
गोदारा ने बताया कि उच्च शिक्षा के क्षेत्र में दानदाता के सम्मान व अन्य दानदाताओं को प्रोत्साहन देने के उद्देश्य से चुरू के राजकीय महाविद्यालय सिद्धमुख का नामकरण ‘श्रीमती शकुन्तला देवी राजकीय महाविद्यालय, सिद्धमुख करने की स्वीकृति प्रदान की गई है।

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