जयपुर
राजस्थान विधानसभा में आज बजट पारित होने से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कई अहम घोषणाएं की। इसमें उन्होंने सवर्ण वर्ग को साधने के लिए आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग (EWS) के आरक्षण के दायरे में आने वालों के लिए बड़ी घोषणा की है। वहीं राज्य कर्मचारियों को साधने के लिए उपार्जित अवकाश का नकद भुगतान करने की घोषणा की। गहलोत ने EWS कैटेगिरी के युवाओं को अन्य केटेगिरी के समान सरकारी नौकरी की भर्तियों सहित अन्य मामलों में आयु सीमा और फीस में छूट देने की घोषणा की है। मुख्यमंत्री की इस घोषणा से अब EWS श्रेणी में आने वाले महिलाओं की तरह पुरूष अभ्यर्थियों को भी आयु सीमा में छूट का लाभ मिलेगा। इसके साथ ही आवेदन फीस में भी में छूट की घोषणा से दोनों (पुरूष व महिला वर्ग) को लाभ मिलेगा।
राज्य कर्मचारियों पर हुए मेहरबान
कोरोना काल में रोके गए वेतन का भुगतान होने के बाद अब सरकार ने राज्य कर्मचारियों के लिए एक और घोषणा की है। गहलोत ने राज्य कर्मचारियों को देय उपार्जित अवकाश की एवज में नकद भुगतान की स्वीकृतियां जारी करने की घोषणा की है। यानी अगर कोई कर्मचारी अपनी पीएल या अन्य उपार्जित अवकाश नहीं लेता तो उसके बदले उसे नकद भुगतान किया जाएगा।
भ्रष्ट अधिकारियों को ट्रेप करवाने वाले परिवादियों के लिए रिवॉलविंग फंड
इसके साथ ही राज्य में भ्रष्टाचार पर नकेल कसने के लिए भी गहलोत सरकार ने अहम घोषणा की है। उन्होंने भ्रष्ट अधिकारियों को ट्रेप करवाने वाले परिवादियों को आर्थिक संबंल देने के लिए एक अलग से रिवॉलविंग फंड बनाने का निर्णय किया है। इसके तहत इस फंड में 1 करोड़ रुपए की रकम का प्रावधान होगा। कोई परिवादी जो आर्थिक रूप से कमजोर है और ट्रेप करवाने के दौरान राशि उसके पास उपलब्ध नहीं है तो रिश्वत में मांगी जाने वाली राशि को इस फंड से उपलब्ध करवाया जाएगा।
महिलाओं के लिए बैक टू वर्क योजना
इस घोषणा में मुख्यमंत्री ने उन कामकाजी महिलाओं को वापस जॉब दिलाने की भी घोषणा की है, जो शादी के बाद घर परिवार संभालने के लिए जॉब छोड़ देती है। ऐसी ट्रेंड प्रोफेशनल और कामकाजी महिलाओं को वापस जॉब दिलवाने या उन्हे वर्क फ्रॉम होम का अवसर दिलाने के उदेश्य से प्राइवेट सेक्टर के सहयोग से बैक टू वर्क योजना शुरू की जाएगी। इसके तहत आगामी 3 सालों में ऐसी 15 हजार महिलाओं को जॉब वापस दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। इसके साथ ही मुख्यमंत्री वृद्धजन तीर्थ योजना के तहत हर साल देश के प्रमुख तीर्थ स्थलों पर भेजे जाने वाले 10 हजार वृद्धजनों के स्थान पर अब 20 हजार को भेजा जाएगा।
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