भरतपुर में गूंजी ब्रजभाषा की मिठास | राष्ट्रीय कवि सम्मेलन में हास्य, शृंगार और अध्यात्म का अनोखा संगम

भरतपुर 

राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी, जयपुर एवं श्री हिंदी साहित्य समिति, भरतपुर के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को महात्मा गांधी वेटरिनरी कॉलेज ऑडिटोरियम, भरतपुर में अखिल भारतीय ब्रजभाषा कवि सम्मेलन का भव्य आयोजन हुआ।

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कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में जिला कलक्टर एवं अध्यक्ष, श्री हिंदी साहित्य समिति कमर उल जमान चौधरी, विशिष्ट अतिथि अतिरिक्त जिला कलक्टर (शहर) भरतपुर राहुल सैनी, अध्यक्षता ब्रजभाषा के वरिष्ठ कवि बृजेंद्र कोंतेय ने की। विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में भाजपा जिला अध्यक्ष शिवानी दायमा मंच पर उपस्थित रहीं।
राजकीय सार्वजनिक मंडल पुस्तकालय आहरण वितरण अधिकारी सतवारी एवं पुस्तकालय प्रभारी धर्मेंद्र सिंह ने सभी अतिथियों का पुष्पगुच्छ, प्रतीक चिह्न और पटका पहना कर स्वागत किया।

कवि सम्मेलन का संयोजन कवि नरेंद्र निर्मल ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत जयपुर से पधारी अकादमी सचिव प्रियंका राठौड़, अतिथियों और कवियों द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन से हुई। इसके बाद वरिष्ठ कवि राधा गोविंद पाठक (बलदाऊ) ने मां शारदे वंदना प्रस्तुत की।

कवियों की रचनाओं पर झूमे श्रोता

  • दिल्ली के सुनहरी लाल तुरंत ने हास्य-शृंगार मिश्रित रचना “गोरे गालन पै कहूँ तिल कौ होय निसान…” सुनाकर श्रोताओं को खूब गुदगुदाया।

  • छाता के श्यामसुंदर “आकिंचन” ने “दिन गुजरानी करनी बालम रह लिंगे चौबारे में…” जैसी मार्मिक रचना से वर्तमान सामाजिक अलगाव पर चोट की।

  • कैथवाड़ा के नानक नवीन की “बा छोरी सौं ब्याह करा जा कौ म्हौं होय गोल मटोल री” ने युवाओं को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया।

  • दौसा के डॉ. अंजीव अंजुम ने “भगवान कास मो कूँ बांसुरी बनाय देतौ…” जैसी रचना से ब्रजभाषा के लालित्य को मंच पर उतारा।

  • कवि नरेंद्र निर्मल ने शृंगार रचना “नर मिटतौ नारी पै नारी नर में ही घुल जाबै है…” सुनाकर समां बांधा।

  • सुरेंद्र “सार्थक” ने व्यंग्य रचना “एक बूढ़े और लाचार बाप की कमाई हूँ…” सुनाई, जिससे श्रोता भावुक हो उठे।

  • राधा गोविंद पाठक ने आध्यात्मिक रचना “रात गई दिन गयौ, गयौ महीना बीते साल…” से खूब तालियां बटोरी।

  • अध्यक्षीय उद्बोधन में बृजेंद्र कोंतेय ने परंपरागत छंद “देखि पिय गेह नेह वारि बनि मेह झरै…” सुनाकर ब्रजभाषा की मधुरता को उजागर किया और राजस्थान ब्रजभाषा अकादमी के प्रयासों की सराहना की।

कार्यक्रम का समापन और सम्मान

समापन सत्र में कर्नल तेजराम ने मंचासीन कवियों को प्रतीक चिह्न भेंट किए। इस अवसर पर डॉ. कुलदीप नारायण सक्सेना (प्रोफेसर, वेटरिनरी कॉलेज), डॉ. अजय सिंह, साहित्यकार डॉ. रामदास शर्मा, प्रो. डॉ. अशोक कुमार गुप्ता, भूपेंद्र सिंह, सुरेश शर्मा, उषा सिंह, राकेश मीना, सीमा मीना, योगेश शर्मा, शंकर लाल गुप्ता, मनोज तिवारी, मोहकम सिंह, ऋचा शर्मा, ओमकेश गुर्जर, एडवोकेट राजवीर सिंह, राजेश सिंह, आनंद जोशी, दाऊ सिंह सहित बड़ी संख्या में साहित्यकार, प्रबुद्धजन एवं वेटरिनरी कॉलेज के छात्र-छात्राएँ मौजूद रहे।

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