नई हवा ब्यूरो
जयपुर। जब जरूरत पड़ी पूरी तरह निचोड़ लिया और जब मुसीबत ने घेरा तो उन्हें दरकिनार कर दिया। जबकि हकीकत यह है कि पिछले साल के लॉक डाउन से लेकर अब तक वे जोखिम उठाकर फ्रंट लाइन कोरोना वॉरियर्स के रूप में अपनी सेवाएं आमजन को दे रहे हैं। फिर भी राजस्थान सरकार को उनकी फ़िक्र नहीं। यह व्यथा उन तमाम बैंककर्मियों की है जिन्होंने सरकार की मुद्रा योजना, जनधन खाते खोलने, लोन बांटने जैसी तमाम योजनाओं में अहम भूमिका निभाई है। पर कोरोना के हाहाकार के बीच उनकी कोई सुध नहीं ले रहा। जबकि बैंक शाखाएं कोरोना की हाॅटस्पाॅट बनती जा रही हैं। बिहार, उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात सहित कई राज्यों मैं कोरोना ने अनेक बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की जान ले ली। सैकड़ों कर्मचारी और अधिकारी रोजाना कोरोना की चपेट में आ रहे हैं। पर राजस्थान सरकार ने इन राज्यों से कोई सबक नहीं लिया और राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति के उस प्रस्ताव को पिछले करीब एक सप्ताह से ठन्डे बस्ते में डाल रखा है जिसमें बैंकों के समय में बदलाव को कहा गया है। जबकि यूपी, दिल्ली, गुजरात, बिहार सहित कई राज्य की सरकारें अपने यहां की राज्य स्तरीय बैंकर्स समितियों के प्रस्ताव को स्वीकृति देकर अपने राज्यों में बैंकों के समय में बदलाव करवा चुकी हैं।
ऐसे लटक – भटक रहा है प्रस्ताव
राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति राजस्थान ने कोरोना के प्रसार को रोकने के लिए राजस्थान में बैंकों का नकदी लेनदेन का समय 3 बजे तक तथा कार्य समय 4 बजे तक करने का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा हुआ है। इस प्रस्ताव को संयुक्त शासन सचिव ने 16 अप्रेल को प्रमुख शासन सचिव को अग्रेषित कर दिया। किन्तु वहां आज तक कोई निर्णय नहीं लिया जा सका। फ़िलहाल प्रस्ताव ठन्डे बस्ते में चला गया है। दिलचस्प ये है कि राजस्थान सरकार ने अपने सभी राज्य कार्यालय 4 बजे खुले रखने के आदेश दे रखे हैं। पर वास्तव में जो बैंक कोरोना के हॉट स्पॉट बनते जा रहे हैं और उनके कर्मचारियों और अधिकारियों को संसदीय समिति कोरोना योद्धा घोषित कर चुकी है, उनकी तरफ गहलोत सरकार ने नजरें इनायत तक नहीं की। उसने इन कोरोना योद्धाओं को भगवान भरोसे छोड़ दिया है। जबकि एसएलबीसी राज्य सरकार को बैंकों के लेनदेन का समय 10:00 से 04.00 बजे के स्थान पर 10.00 से 03.00 बजे तक करने का प्रस्ताव बना कर भेज चुकी है। जिससे बैंक 04:00 बजे तक खुले रह सके।
फैसला करवा कर भूल गई सरकार
कोविड-19 की दूसरी लहर के प्रसार को रोकने हेतु राजस्थान सरकार द्वारा जारी गाइडलाइंस पर चर्चा हेतु 5.04.2021 को राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति, राजस्थान की उपसमिति की विशेष बैठक आयोजित की गई जिसमें आयोजना विभाग, राजस्थान सरकार भारतीय रिजर्व बैंक, नाबार्ड, विभिन्न बैंकों के प्रतिनिधियों द्वारा सहभागिता की गई थी। इसमें तय किया गया था कि समस्त राजकीय कार्यालय (कोविड मैनेजमेंट से संबन्धित सभी कार्यालय, वार रूम, कंट्रोल रूम को छोड़कर) सॉय 4:00 बजे तक खुले रहेंगे। वहीं समस्त निजी कार्यालय एवं प्रतिष्ठानों को परामर्श दिया गया था कि कोविड संक्रमण कि वर्तमान परिस्थिति को देखते हुए वह भी अपने कार्यालय समय को इस अनुरूप परिवर्तित करे। इसी दौरान एसएलबीसी ने बैंक ग्राहकों को लेन-देन का समय 10 बजे से 4.00 बजे को 10 बजे से 3.00 बजे तक30.04.2021 तक परिवर्तित करने का निर्णय किया गया। पर गहलोत सरकार ने एक सप्ताह बाद भी इसी फैसले पर अपनी मुहर अभी तक नहीं लगाई है। एसएलबीसी राजस्थान के संयोजक एवं महाप्रबंधक महेंद्र सिंह महनीत राजस्थान सरकार को इस बारे में चिठ्ठी लिखकर आग्रह भी कर चुके हैं।
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के निर्देश, विशेष ध्यान रखा जाए बैंककर्मियों का
इस बीच भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा. मदनेश कुमार मिश्रा को सभी राज्यों के मुख्य सचिवों को 22 अप्रेल को यह याद दिलाते हुए एक चिठ्ठी निकालनी पड़ी कि बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों का इस कोरोना काल में विशेष ख्याल रखा जाए। उनका प्राथमिकता से टीकाकरण किया जाए और बैंक कोरोना के हॉट स्पॉट न बन जाएं, इसका विशेष ध्यान रखा जाए।
संसदीय स्थायी समिति ने भी माना बैंक कर्मचारियों को कोरोना योद्धा
CoVID के प्रबंधन पर गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति- L9 महामारी और संबंधित मुद्दों की 229 वीं रिपोर्ट में बैंकिंग क्षेत्र द्वारा निर्बाध रूप से सेवाएं प्रदान करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की गई है। COVID-19 प्रकोप और लॉकडाउन के दौरान सहज बैंकिंग सुविधाएं, उनके द्वारा किए गए अच्छे काम रिकॉर्ड में दर्ज है। यही नहीं संसदीय स्थायी समिति ने उन्हें CoVID-19 योद्धाओं के रूप में भी मान्यता दी है। फिर भी राजस्थान सरकार बैंकिंग और बीमा सेक्टर की उपेक्षा कर रही है।भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के संयुक्त सचिव डा. मदनेश कुमार मिश्रा ने राज्य सरकारों को लिखे पत्र में चिंता व्यक्त की है कि बैंकों, बीमा कंपनियों और अन्य सेवा के इन कोरोना योद्धाओं को अभी तक प्राथमिकता से टीका नहीं लगाया गया है। पत्र में निर्देश दी गए हैं कि इन कोरोना योद्धाओं को जल्द से जल्द प्राथमिकता से टीका लगाया जाए। और ग्राहकों को अपनी सर्वश्रेष्ठ सेवाएं प्रदान करने के लिए उनका मनोबल बढ़ाए रखें।
क्या है बैंक कर्मचारियों की मांग ?
आपको बता दें कि कोरोना की वजह से पूरे देश में हाहाकार मची है, ऐसे में भी बैंक कर्मियों को लगातार दफ्तर जाना पड़ रहा है। कई राज्यों में बहुत से बैंक कर्मियों की मौत हो गई है। इसकी वजह से बैंकों के कर्मचारी संघों की यह मांग है कि बैंकों को सिर्फ 3 से 4 घंटे के लिए खोला जाए। गौरतलब है कि बैंकिंग को जरूरी सेवाओं में शामिल किया गया है, इसलिए उन इलाकों में भी बैंक कर्मियों को ऑफिस जाना पड़ता है, जहां लाॅकडाउन लगे होते हैं। बैंक कर्मचारियों के महासंघ यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन (UFBU) ने इस बात पर चिंता जताई है कि बैंक शाखाएं कोरोना की हाॅटस्पाॅट बनती जा रही हैं। UFBU बैंकों के 9 यूनियन का महासंघ है।
क्या कहा यूनियन ने
यूनियन ने यह मांग की है कि जब तक हालात नहीं सुधरते तब तक बैंकों में जरूरी सेवाएं ही जारी रखी जाएं और काम की अवधि रोज 3 से 4 घंटे ही कर दिए जाएं। बैंक यूनियनों ने बैंकिंग इंडस्ट्री के संगठन इंडियन बैंक्स एसोसिएशन (IBA) से मांग की है कि कर्मचारियों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए यह जरूरी है कि बैंक सिर्फ 3 से 4 घंटे के लिए खोले जाएं। UFBU ने वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवाओं के सचिव देबाशीष पांडा और इंडियन बैंक एसोसिएशन को लेटर लिखकर यह मांग की है। इधर इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के चेयरमैन राज किरण राय ने भी यह स्वीकार किया है कि जिन शाखाओं में लगातार ग्राहक आ रहे हैं और काउंटर पर ज्यादा संपर्क होता है, उनके कोरोना हब बनने की आशंका बनी हुई है। यूनियन ने यह भी कहा है कि हर जगह कुछ ऐसे क्लस्टर बैंक शाखाओं की पहचान की जाए जहां ग्राहकों को ज्यादा पड़ता है। वहां बैंक कर्मचारियों की रोटेशन पर ड्यूटी लगाई जाए।
सरकार! क्या ये उदहारण ही काफी नहीं
लॉकडाउन अवधि में अनिवार्य सेवा जारी रखने के उद्देश्य से बैंकों को बंदी से वंचित रखा गया था। परन्तु, बैंकों में ग्राहकों के बढ़ते अनियंत्रित भीड़ के कारण अब बैंक कर्मी भी संक्रमित होने लगे हैं। बतौर उदहारण बिहार में अब तक 1000 से ज्यादा बैंक कर्मचारी और अधिकारी कोरोना पॉजिटिव (Corona positive) हो चुके हैं। वहीं कोरोना वायरस (Corona virus) की चपेट में आने की वजह से आधा दर्जन बैंक कर्मचारियों की मौत हो चुकी है। पटना (Patna) में इसी अप्रेल महीने में पंजाब नेशनल बैंक के बख्तियारपुर इलाके की सबनिमा शाखा के अधिकारी गौतम सिंह और सेंट्रल बैक आंचलिक कार्यालय पटना के सहायक महाअकेले भारतीय रिजर्व बैंक के दो दर्जन अधिकारी संक्रमित हो चुके हैं। इनमें से कई कर्मचारियों की स्थिति चिंताजनक है। प्रदेश में स्टेट बैंक के 500 से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी कोरोना संक्रमित हैं। इसमें अकेले बैंक के स्थानीय मुख्य कार्यालय में 45 से ज्यादा कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं। इसके अलावा पंजाब नेशनल बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, केनरा बैंक, सेंट्रल बैंक आदि बैंकों में भी सैकड़ों कर्मचारी और अधिकारी कोरोना संक्रमित हो चुके हैं।बैंक अधिकारी व कर्मी सीधे ग्राहकों के संपर्क हैं, ऐसे प्रशासन को चाहिए कि वे बैंक के बाहर दो गज की दूरी बनाकर ग्राहकों को पंक्ति बद्ध कराए।
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