बेंगलुरु
शनिवार अलसुबह बेंगलुरु (Bengaluru) की एक चार मंजिला इमारत आग की लपटों में ऐसी समाई कि जालोर (Jalore) का पूरा परिवार राख हो गया। भीषण अग्निकांड में मदन सिंह राजपुरोहित, उनकी पत्नी संगीता, बेटे नीतेश और वीयान जिंदा जल गए। इसी इमारत में सो रहे सांचौर भडराना गांव के सुरेश कुमार खत्री की भी मौत हो गई।
घड़ी की सुईयां रात के साढ़े तीन बजा रही थीं। लोग गहरी नींद में थे और तभी भूतल पर बने प्लास्टिक मैट के गोदाम में शॉर्ट सर्किट से आग भड़की। लपटें इतनी तेज़ थीं कि किसी को सांस लेने और बाहर भागने का मौका ही नहीं मिला। कुछ ही मिनटों में इमारत चीखों और धुएं का मकबरा बन गई।
आग के बीच सिलेंडर धमाके से फटा तो पूरा इलाका दहल उठा। रात के अंधेरे में हर तरफ बस धुएं का गुबार, आग की गरज और बेबस चीखें गूंज रही थीं।
मदन सिंह राजपुरोहित पिछले 15 साल से परिवार सहित बेंगलुरु में चकला-बेलन का व्यवसाय कर रहे थे। वहीं सुरेश कुमार की पास ही क्रॉकरी की दुकान थी। किस्मत ने उन्हें मौत की उसी इमारत में सुला दिया, जो आग की भेंट चढ़ी।
फायर ब्रिगेड की कई गाड़ियां और पुलिस पूरी रात मशक्कत करती रही। जब तक आग बुझी, एक पूरा परिवार और एक ज़िंदगी खाक में बदल चुकी थी। अग्निशमनकर्मी जब मलबे से शव निकाल रहे थे, तो दृश्य इतना भयावह था कि देखने वालों के रोंगटे खड़े हो गए। यह त्रासदी जब जालोर के मोदरा और सांचौर गांव पहुंची तो वहां चीख-पुकार और मातम ही रह गया।
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