शिमला
हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) के सरकारी खजाने को किस तरह लूटा जा रहा था, इसकी एक और चौंकाने वाली कहानी सामने आई है। आरोप है कि हिमाचल प्रदेश भू संपदा नियामक प्राधिकरण (रेरा) के अध्यक्ष रहे और पूर्व IAS अधिकारी श्रीकांत बाल्दी (IAS Shrikant Baldi) ने अपने रसूख का इस्तेमाल करते हुए राजस्थान (Rajasthan) और दिल्ली (Delhi) के अफसरों को लाखों रुपये के सेब सरकारी खजाने से गिफ्ट किए। इतना ही नहीं, इसके लिए बाकायदा सरकारी बागवानी विभाग से सेब की खरीद की गई और VIP अफसरों के घरों तक इसे पहुंचाया गया।
राजस्थान के अफसरों पर खास मेहरबानी
खुलासे के मुताबिक, पूर्व आईएएस श्रीकांत बाल्दी ने अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर राजस्थान सरकार के मुख्य सचिव, मुख्यमंत्री के सलाहकार, सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के प्रधान सचिव, रेरा अध्यक्ष, पूर्व DGP और अन्य बड़े अधिकारियों को सरकारी खजाने से सेब भिजवाए। बताया जा रहा है कि हिमाचल सरकार के बजट से कुल 10 लाख रुपये के सेब विभिन्न अफसरों तक पहुंचाए गए।
खजाना खाली था, पर अफसरों की खातिरदारी जारी
सूत्रों के अनुसार, श्रीकांत बाल्दी जब वित्त सचिव थे, तब उन्होंने प्रदेश के गरीब मजदूरों, आउटसोर्स कर्मचारियों और अस्थायी वर्कर्स के वेतन बढ़ाने पर रोक लगाई थी, लेकिन अपने रिटायरमेंट के बाद उन्होंने सरकारी खजाने को निजी भोग-विलास में उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
कहां-कहां और कितने सेब भेजे गए?
दस्तावेजों के मुताबिक, साल 2020 से 2024 के बीच 10 लाख रुपये से ज्यादा के सेब सरकारी खर्चे पर राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ के बड़े अधिकारियों तक पहुंचाए गए।
- 2020: 3.50 लाख रुपये
- 2021: 1.70 लाख रुपये
- 2022: 3.38 लाख रुपये
- 2023: 2 लाख रुपये
- 2024: 1.50 लाख रुपये
हैरानी की बात यह है कि इनमें से सबसे ज्यादा सेब राजस्थान के अधिकारियों को भेजे गए।
FIR और जांच की उठी मांग
इस खुलासे के बाद हिमाचल प्रदेश में सियासत गर्मा गई है। वकील और पूर्व डिप्टी एडवोकेट जनरल विनय शर्मा ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जब बाल्दी वित्त सचिव थे, तब खजाना खाली था। अब सरकारी पैसे से अपने VIP दोस्तों को सेब खिला रहे थे। इन पर FIR दर्ज होनी चाहिए और ईडी को इनकी संपत्तियों की जांच करनी चाहिए!”
सरकार पर भी उठ रहे सवाल
पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के शासन में श्रीकांत बाल्दी को विशेष रूप से रेरा अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। अब मौजूदा कांग्रेस सरकार इस मामले की जांच कराने का दावा कर रही है, लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ जांच से यह मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा या फिर इन पर कोई ठोस कार्रवाई भी होगी?
अब देखना यह होगा कि क्या हिमाचल सरकार भ्रष्टाचार के इस बड़े खेल पर कोई ठोस कार्रवाई करती है या फिर इसे भी दबाने की कोशिश होती है।
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