36 घंटे की ड्यूटी, नींद छिनी और मानसिक उत्पीड़न,जी.बी. पंत अस्पताल के रेज़िडेंट डॉ. अमित कुमार के मामले पर DMA इंडिया ने उठाई आवाज़

नई दिल्ली 

डेमोक्रेटिक मेडिकल एसोसिएशन (DMA इंडिया) ने जी.बी. पंत अस्पताल में प्रथम वर्ष डीएम (कार्डियोलॉजी) रेज़िडेंट डॉ. अमित कुमार के मामले में गंभीर स्वर में चिंता प्रकट की है। एसोसिएशन ने इस संबंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को पत्र भेजकर न्यायसंगत और मानवीय कार्य परिस्थितियों की मांग उठाई है।

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पत्र पर डॉ. अमित व्यास (राष्ट्रीय अध्यक्ष), डॉ. शुभ प्रताप सोलंकी (राष्ट्रीय महासचिव), डॉ. भानु कुमार (राष्ट्रीय उपाध्यक्ष) एवं डॉ. प्रियांशु शर्मा (राष्ट्रीय महिला प्रकोष्ठ सचिव)
के हस्ताक्षर हैं।

DMA के अनुसार, डॉ. अमित कुमार को लगातार 36 घंटे की ड्यूटी, नींद की भारी कमी, मानसिक उत्पीड़न, और असहनीय कार्य वातावरण का सामना करना पड़ा।
इन्हीं परिस्थितियों के चलते उन्होंने 23 अक्टूबर 2025 को अपना इस्तीफ़ा सौंप दिया।

DMA ने इसे न केवल मानवीय गरिमा के विरुद्ध बताया है, बल्कि क़ानूनी निर्देशों की स्पष्ट अवहेलना भी करार दिया है।

सरकार के नियम क्या कहते हैं?

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा 1992 में जारी रेज़िडेंसी ड्यूटी ऑवर्स निर्देशों के अनुसार —

  • रेज़िडेंट डॉक्टरों की साप्ताहिक ड्यूटी 48 घंटे से अधिक नहीं होनी चाहिए

  • एक बार में अधिकतम 12 घंटे की लगातार ड्यूटी की अनुमति है

DMA ने कहा कि जी.बी. पंत अस्पताल में इन नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है।

DMA ने याद दिलाया कि 2024 की नेशनल टास्क फोर्स रिपोर्ट, जो सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर बनी थी, ने स्पष्ट कहा था कि

“अत्यधिक कार्य घंटे और मानसिक दबाव, डॉक्टरों में मानसिक स्वास्थ्य संकट के मुख्य कारण हैं।”

RTI में जवाब नहीं — जवाबदेही पर सवाल

DMA ने बताया कि दो RTI आवेदन

  • GBP&H/R/2025/60034 (13.09.2025)

  • GBP&H/R/2025/60041 (12.10.2025)

दर्ज करने के बाद भी 48 घंटे की निर्धारित समयसीमा में अस्पताल प्रशासन ने कोई जवाब नहीं दिया। यह प्रशासनिक पारदर्शिता पर गंभीर प्रश्नचिह्न है।

DMA इंडिया की दो प्रमुख माँगें

  1. डॉ. अमित कुमार को तुरंत Humanitarian Duty Hours दिए जाएँ (यानी मानवीय समय आधारित ड्यूटी शेड्यूल)।

  2. सभी रेज़िडेंट डॉक्टरों के लिए 1992 नियम एवं 2024 टास्क फोर्स की सिफ़ारिशों का सख़्ती से पालन हो।


राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अमित व्यास ने स्पष्ट शब्दों में कहा —

“रेज़िडेंट डॉक्टर स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ हैं।
उनका शोषण, अत्यधिक कार्यभार और मानसिक स्वास्थ्य की अनदेखी किसी भी संस्था में स्वीकार्य नहीं। हम गरिमा, सम्मान और न्याय की माँग करते हैं — कृपा नहीं।”

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