MPUAT बना गांवों में सौर वृक्ष स्थापित करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय, स्कूलों और किसानों के लिए जगी उम्मीद की किरण

उदयपुर 

देश के किसानों और दूर-दराज के ऐसे गांवों में जहां बिजली का संकट हमेशा बना रहता, उनमें उदयपुर के महाराणा प्रताप कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (MPUAT) ने एक बड़ी उम्मीद की किरण जगा दी है। स्मार्ट विलेज इनिशिएटिव के तहत यह विश्वविद्यालय सौर वृक्ष स्थापित करने वाला देश का पहला विश्वविद्यालय बन गया है। MPUAT ने सौर वृक्ष स्थापित करने के लिए गांव मदार के उच्च माध्यमिक विद्यालय का चयन किया था।

दरअसल सौर वृक्ष का यह प्रयोग न केवल दूर-दराज के ग्रामीण इलाकों की शिक्षण संस्थाओं, बल्कि किसानों के लिए भी बड़ी उम्मीद की किरण लेकर आया है। आपको बता दें बिजली के संकट के कारण ग्रामीण इलाकों की शिक्षण संस्थान अपने विद्यार्थियों को डिजिटल तरीके से शिक्षा नहीं दे पा रहे जिससे वे शहरी विद्यार्थियों से पिछड़ते नजर आ रहे हैं। वहीं किसान बिजली की कमी के कारण पर्याप्त उपज नहीं ले पा रहे। ऐसे में ये सौर वृक्ष किसानों और विद्यार्थियों के लिए वरदान साबित होंगे।

एक सौर वृक्ष से रोजाना पैदा होगी 20 यूनिट बिजली
विश्वविद्यालय कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि 5 केवी के ऐसे सौर वृक्ष से रोजाना लगभग 20 यूनिट बिजली का उत्पादन होगा जिसका उपयोग स्कूल में विद्यार्थियों को स्वच्छ जल हेतु नल कूप, रात्रि कालीन अध्ययन हेतु प्रकाश व्यवस्था तथा ऑन लाइन अध्ययन हेतु कम्प्यूटर से जोड़ा जाएगा।

9.80 लाख की आई लागत
मदार के इस उच्च माध्यमिक विद्यालय में सौर वृक्ष स्थापना के लिए 9.80 लाख रुपए की एक योजना स्वीकृत की गई थी जिसमें राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के रूरल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट फण्ड (आर्र.आइ.पी.एफ.) के तहत नाबार्ड द्वारा 8.82 लाख रुपए व विश्वविद्यालय की भागीदारी करीब एक लाख रुपए की है। विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. नरेन्द्र सिंह राठौड़ ने बताया कि जैसे-जैसे ऐसे वृक्ष की किसानों और विद्यालयों में स्वीकार्यता बढ़ेगी तो इसकी लागत में भी और कमी आती जाएगी।

एक माह से भी काम समय में पूरा हो गया प्रोजेक्ट
विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. राठौड़ के नेतृत्व में निदेशक प्रसार शिक्षा, डाॅ. एस.के. शर्मा के प्रयासों से यह प्रोजेक्ट एक माह से भी कम समय में पूर्ण  कर लिया गया।

ऊर्जा विशेषज्ञ यह मानकर चल रहे हैं कि 2030 तक वर्तमान में काम में लिए जाने वाले ऊर्जा के डीजल, पेट्रोल व गैस जैसे संसाधन समाप्त हो जाएंगे। ऐसे में ऊर्जा आपूर्ति हेतु सौर ऊर्जा पर  निर्भर रहना पड़ेगा। इसलिए ऐसे सौर वृक्ष स्थापित होने से ऊर्जा संकट के इस दौर में एक बड़ी उम्मीद की किरण जगी है।

सोलर ट्री का निरीक्षण करते हुए नाबार्ड के अधिकारी

नाबार्ड के चेयरमेन ने किया निरीक्षण
नाबार्ड के चेयरमेन डाॅ. जी.आर. चिंतला ने उदयपुर प्रवास के दौरान अपने वरिष्ठ अधिकारियों श्रीमती सुशीला चिंतला, मेनेजिंग डायरेक्टर एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी नब किसान फाईनेन्स, जयदीप श्रीवास्तव, सी.जी.एम. राजस्थान, पाण्डे, जी.एम. व अन्य अधिकारियों के साथ मदार पहुंचे तथा सौर वृ़क्ष का निरीक्षण किया। नाबार्ड के चेयरमेन डाॅ. जी.आर. चिंतला ने इस प्रयोग पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों को सौर वृक्ष से उत्पन्न बिजली के विभिन्न पहलुओं पर और अध्ययन करने का सुझाव दिया।

इस मौके पर एक कार्यक्रम में निदेशक प्रसार शिक्षा डाॅ. एस.के. शर्मा ने स्मार्ट विलेज के उद्देश्यों, नवाचारों द्वारा आजीविका सुरक्षा, कौशल विकास द्वारा रोजगार पर किए कार्यों की विस्तृत चर्चा की। नोडल अधिकारी डाॅ. एस.के. इन्टोदिया ने चयनित गांवों में समन्वित कृषि पद्धति तकनी की जानकारी दी। स्मार्ट विलेज समन्वयक डाॅ. इन्द्रजीत माथुर ने चयनित गांवों में सी.एस.आर. फण्ड द्वारा व विभिन्न संस्थाओं द्वारा किए कार्यों के बारे में बताया। संचालन व धन्यवाद डाॅ. लतिका व्यास द्वारा किया गया।

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