प्रयागराज
इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने कानपुर (Kanpur) नगर के एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज (ADJ) अमित वर्मा की न्यायिक क्षमता पर कड़ी टिप्पणी करते हुए उन्हें तीन महीने की अनिवार्य ट्रेनिंग पर भेजने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने स्पष्ट कहा कि जज वर्मा फैसला लिखने की बुनियादी काबिलियत भी नहीं रखते।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जस्टिस नीरज तिवारी ने मुन्नी देवी बनाम शशिकला पांडेय याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया। केस की पृष्ठभूमि के मुताबिक, 2013 में शशिकला पांडेय ने किराया वसूली और बेदखली को लेकर अदालत का दरवाजा खटखटाया था। 29 फरवरी 2024 को कोर्ट ने मुन्नी देवी के खिलाफ फैसला सुनाया।
इस फैसले को मुन्नी देवी ने चुनौती दी थी, जिसे ADJ अमित वर्मा ने 7 नवंबर 2024 को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट ने जब इस आदेश की समीक्षा की, तो पाया कि उसमें न तो कोई स्पष्ट कारण था और न ही निष्कर्ष। इस पर 17 दिसंबर 2024 को हाईकोर्ट ने आदेश रद्द करते हुए केस फाइल निचली अदालत को लौटा दी।
हालांकि इसके बाद भी जज वर्मा ने 1 मार्च 2025 को संशोधन याचिका बिना कोई तर्क दिए खारिज कर दी। इससे नाराज हाईकोर्ट ने कहा कि जज वर्मा ने पहले जैसी ही गलती दोबारा दोहराई है।
हाईकोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि जज वर्मा फैसला लिखने की न्यूनतम योग्यता भी नहीं रखते, इसलिए उन्हें तीन महीने के लिए न्यायिक प्रशिक्षण संस्थान (Judicial Training Institute) भेजा जाए, ताकि वे न्यायिक कार्य प्रणाली को सही तरीके से सीख सकें।
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